अरावली और ग्राउंड वॉटर को नुकसान
नगर निगम के इस प्लांट से आसपास के एरिया का पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। कूड़े से निकलने वाले लीचेट से अरावली प्रदूषित हो रही है। ग्राउंड वॉटर को भी नुकसान हो रहा है। इसी मामले को लेकर पर्यावरणविद् वैशाली राणा चंद्रा सहित कई ग्रामीण एनजीटी चले गए थे, तभी से यह केस एनजीटी में चल रहा है। इस केस में एनजीटी के सामने 17 दिसंबर को नगर निगम ने स्टेटस रिपोर्ट देनी है। प्लांट पर अभी 10 लाख टन से अधिक कूड़े का पहाड़ है। यहां तीन एजेंसियों का काम पूरा होने वाला है। अब नगर निगम तीन एजेंसियों को कूड़े के निस्तारण का टेंडर देना है। इसकी डीपीआर तैयार हो चुकी है। तीन एजेंसियां इस कूड़े का निस्तारण छह महीने में करेंगी। यह करीब 110 करोड़ का प्रॉजेक्ट है।
एक महीने में कैसे होगा कामनगर निगम की ओर से रेट अप्रूवल के लिए इस प्रॉजेक्ट को हाई पावर परचेज कमिटी की मीटिंग में रखा जाना है। पिछले माह हुई मीटिंग में जीएमडीए के 250 करोड़ के प्रॉजेक्ट पास हुए, लेकिन उस समय निगम के प्रॉजेक्ट नहीं रखे गए। अब अगली मीटिंग में यह प्रॉजेक्ट रखा जाएगा। ऐसे में दूसरी ओर बंधवाड़ी प्लांट पर लीगेसी वेस्ट निस्तारण का काम शुरू न होने के कारण कूड़े का पहाड़ अभी भी खड़ा है। सवाल यह है कि एक महीने में दिसंबर तक दस लाख टन कूड़े का निस्तारण कैसे होगा। अब दिसंबर में भी काम शुरू होता है तो जुलाई तक यह काम पूरा हो पाएगा। इसे लेकर एनजीटी में इस बार न केवल नगर निगम के अधिकारियों को फटकार लग सकती है, बल्कि एनजीटी निगम को जुर्माना भी लगा सकता है। बार-बार कूड़े के निस्तारण का समय आगे बढ़ाने पर निगम पर कार्रवाई हो सकती है।