रूस के हथियारों पर पाकिस्तान की नजर
बेलारूस के राष्ट्रपति 3 दिन तक पाकिस्तान में रहेंगे और शहबाज शरीफ से लेकर आर्मी चीफ तक से मिलने की बात कही जा रही है। इस दौरान दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय मुद्दों और रक्षा संबंधों को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। इससे पहले बेलारूस के पीएम गोलोवचेंको भी अक्टूबर में पाकिस्तान की यात्रा पर आए थे और उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की थी। दोनों ने रक्षा संबंधों को मजबूत करने का ऐलान किया था। बेलारूस चाहता है कि वह पाकिस्तान के साथ सैन्य रिश्ते मजबूत करे।
पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान और बेलारूस के बीच रक्षा संबंध बहुत मजबूत हैं। बेलारूस कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहा है और आज भी उसके पास रूसी सैन्य साजो सामान की तकनीक है। रूस आज भी बेलारूस को अत्याधुनिक हथियार मुहैया करा रहा है। अमेरिका का कहना है कि बेलारूस से पाकिस्तान रक्षा तकनीक लेने की कोशिश कर रहा है। इस साल अप्रैल महीने में अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने बेलारूस की एक डिफेंस कंपनी पर प्रतिबंध लगाया था। बेलारूस की इस कंपनी पर आरोप है कि वह पाकिस्तान को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों को बनाने में मदद देने वाली तकनीक मुहैया करा रही थी।
बेलारूस की हथियार कंपनी पर अमेरिका ने लगाया बैन
खबरों के मुताबिक बेलारूस सरकार की कंपनी ‘मिंस्क व्हील ट्रैक्टर प्लांट’ ने पाकिस्तान को स्पेशल व्हीकल चेसिस की आपूर्ति की थी जिसका इस्तेमाल बलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए किया जाता है। इसी पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया है। यह कंपनी बेलारूस स्टेट अथॉरिटी फॉर मिलिट्री इंडस्ट्री ऑफ द रिपब्लिक ऑफ बेलारूस का भी हिस्सा है। यह सरकारी कंपनी बेलारूस की सेना के लिए आधुनिक और घातक हथियार तथा अन्य जरूरी हार्डवेयर बनाती है। इसी वजह से अमेरिका की भी इस यात्रा पर नजर है। अमेरिका इस यात्रा को रूस से भी जोड़कर देख रहा है। पाकिस्तान चाहता है कि जिस तरह से भारत रूस से दोस्ती बरकरार रखकर तेल समेत कई क्षेत्रों में फायदे ले रहा है, उसी तरह से बेलारूस के साथ दोस्ती बढ़ाकर वह इसका लाभ उठाए।