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Bengal Durga Puja: ‘महिषासुरमर्दिनी करेंगी महिषासुरों का करेंगी नाश…’, आंदोलन के बीच नई आस जगाती दुर्गापूजा

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Oct 7, 2024


विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर से दरिंदगी की घटना ने सबको झकझोरा है, लेकिन इसने समाज को अभूतपूर्व तरीके से एकजुट भी किया है। मृतका के परिवार के लिए न्याय मांगने असंख्य लोग सड़क पर उतरे। जुलूस निकाले गए, धरने हुए, सभाएं हुईं। देश-दुनिया ने आंदोलन का नया स्वरूप देखा, जो अब भी जारी है।

इन सबके बीच आदिशक्ति का आगमन हुआ है। दुर्गा पूजा अर्थात जनजीवन में अथक उत्साह का संचार, अमिट ऊर्जा का प्रसार। देवीपक्ष की शुरुआत के साथ सबके मन में नए सिरे से आस जगी है कि महिषासुरमर्दिनी आएंगी और अब समाज के महिषासुरों का नाश करेंगी। आंदोलन के बीच पूरा बंगाल दुर्गामय हो उठा है।

पंडालों में झलक रहा बंगाल का चिंतन

विशिष्ट समाज सुधारक गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा था-‘बंगाल जो आज सोचता है, भारत कल सोचेगा।’ बंगाल की दुर्गा पूजा में भी यह साल-दर-साल परिलक्षित होता आया है। यहां के पूजा पंडालों, प्रतिमाओं व आलोक सज्जा में देश-दुनिया की प्रमुख घटनाओं, दर्शनीय स्थलों से लेकर सामाजिक चिंतन, जागरुकता व संदेश सब कुछ झलकता है। इस बार भी बंगाल की अद्भुत हस्तशिल्प कला के माध्यम से ये सब कुछ नजर आ रहा है।

 कोलकाता की मशहूर दुर्गोत्सव कमेटी यंग ब्वायज क्लब का इस बार की पूजा थीम बढ़ते शहरीकरण से पर्यावरण को पहुंच रहे नुकसान पर केंद्रित है। क्लब के पदाधिकारी राकेश सिंह ने कहा-‘हम पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का अहसास कराने का प्रयास कर रहे हैं।’

वहीं हाजरा पार्क दुर्गा उत्सव समिति अपने पंडाल के माध्यम से समाज में ‘शुद्धिकरण’ का संदेश दे रही है। समिति के संयुक्त सचिव सायन देब चटर्जी ने कहा-‘दुर्गापूजा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है। यह एक आंदोलन भी है। हम अपने थीम के जरिए सामाजिक भेदभाव खत्म कर सशक्त समाज के निर्माण की बात रखना चाहते हैं।’

आरजी कर कांड की संवेदनशीलता व इस मामले के सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण अधिकांश पूजा आयोजक इसे अपनी थीम बनाने से बचे हैं।

हालांकि, कोलकाता के काकुड़गाछी इलाके की श्री श्री सरस्वती और काली माता मंदिर परिषद की पूजा में एक मार्मिक प्रतिमा को दर्शाया गया है। इसमें दुर्गा एक महिला के शव के सामने अपनी हथेलियों से अपना चेहरा ढंकते हुए दिख रही हैं। इस थीम को ‘लज्जा’ नाम दिया गया है।

पूजा समिति के प्रवक्ता ने बताया-‘यह महिलाओं पर लगातार हो रही हिंसा और हमलों के प्रति हमारा विरोध है। हमारा मानना है कि इस दुर्गा पूजा का हमारी पीड़ा को व्यक्त करने के लिए एक मंच के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए।’

कुम्हारटोली से पंडालों में पहुंचने लगी हैं प्रतिमाएं

कोलकाता में प्रतिमा निर्माण कला के केंद्रबिंदु कुम्हारटोली से दुर्गा प्रतिमाएं पंडालों में पहुंचने लगी हैं। जाने-माने मूर्तिकार सुकुमार पाल ने बताया कि यहां हर साल 250 से 300 दुर्गा प्रतिमाएं तैयार होती हैं। 70-80 प्रतिशत से अधिक प्रतिमाएं पूजा पंडालों में जा चुकी हैं। कुम्हारटोली सूना हो चला है।

उन्होंने आगे कहा कि विदेशों में होने वाली पूजा के लिए फाइबर निर्मित दुर्गा प्रतिमाएं कई महीने पहले ही भेजी जा चुकी हैं। इंग्लैंड, अमेरिका, इटली, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी समेत विभिन्न देशों में हर वर्ष बड़ी संख्या में प्रतिमा के आर्डर मिलते हैं।

चमक उठी हैं सदियों पुरानी राजबाड़ियों में होने वाली पारंपरिक दुर्गा पूजा का अलग ही आकर्षण है। कोलकाता की शोभा बाजार राजबाड़ी व हावड़ा की आंदुल राजबाड़ी दुर्गा पूजा की पावन बेला में फिर से जीवंत हो उठी हैं। उनके रंग-रोगन, साज-सजावट व आलोक सज्जा का काम पहले ही पूरा हो चुका है।

कभी वहां रहे जमींदारों के वंशज साथ मिलकर पूजा मनाने के लिए वहां जुटने लगे हैं। पूर्व मेदिनीपुर जिले की महिषादल राजबाड़ी, हुगली की ईटाचूना राजबाड़ी और मुर्शिदाबाद का हजारद्वारी पैलेस भी दुर्गापूजा के रंग में रंग चुका है।

आखिरी चरण में जमकर खरीदारी

कोलकाता के धर्मतल्ला, न्यू मार्केट, गरियाहाट, बड़ाबाजार, सियालदह समेत विभिन्न बाजारों में इन दिनों पैर रखने को जगह नहीं हो रही। गरियाहाट के एक कपड़ा विक्रेता ने बताया कि आरजी कर कांड को लेकर विरोध-प्रदर्शन के कारण पूजा की खरीदारी शुरू में सुस्त रही लेकिन दुर्गोत्सव के नजदीक आते ही इसने जोर पकड़ लिया और आखिरी चरण में जमकर चल रही है।

कांफेडरेशन आफ वेस्ट बंगाल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील पोद्दार ने बताया कि बंगाल में दुर्गापूजा के समय कपड़े का अनुमानित बाजार 6,000 करोड़ रुपये का है।’ 

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