बिहार सरकार लेकर आयेगी विधेयक
बता दें कि बेतिया राज बिहार की सबसे बड़ी जमींदारियों में से एक था। फिलहाल, इस जमीन का प्रबंधन बिहार सरकार के राजस्व बोर्ड के ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ द्वारा किया जाता है। लेकिन, अतिक्रमण और प्रबंधन की समस्याओं को देखते हुए, सरकार इसे अपने नियंत्रण में लेना चाहती है।
इसके लिए एक विधेयक दिसंबर 2024 में विधानसभा में पेश किया जा सकता है। राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष-सह-सदस्य केके पाठक ने अक्टूबर में एक आदेश में कहा था कि राज्य सरकार बेतिया राज की संपूर्ण संपदा को अपने कब्जे में लेने पर विचार कर रही है और (इस संबंध में) एक विधेयक दिसंबर 2024 में विधानमंडल के अगले सत्र में पेश किए जाने की संभावना है।
राजस्व बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिमी चंपारण में बेतिया राज की 66 फीसदी जमीन पर कब्जा हो चुका है। पूर्वी चंपारण में यह आंकड़ा 60 प्रतिशत है। सरकार ने अतिक्रमण हटाने की शुरुआत कर दी है और विधेयक पास होने के बाद इस काम में तेजी आएगी।
बिहार से लेकर यूपी तक फैला है बेतिया राज की जमीन
‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ के मुताबिक, बेतिया राज की कुल जमीन 15,358.60 एकड़ है, जिसमें से 15,215.33 एकड़ बिहार में और 143.26 एकड़ उत्तर प्रदेश में है। इस जमीन की कुल कीमत 7,957.38 करोड़ रुपये आंकी गई है।
अधिकारियों का कहना है कि बेतिया राज की जमीन पर सालों से कब्जा होता आ रहा है। बिहार में भूमि सर्वेक्षण चल रहा है और सरकार ने अधिकारियों को बेतिया राज की जमीन की पहचान करके उसे अतिक्रमण से मुक्त कराने का आदेश दिया है।
हरेंद्र किशोर सिंह थे आखिरी राजा
बता दें कि बेतिया राज के आखिरी राजा हरेंद्र किशोर सिंह थे जिनकी मृत्यु 26 मार्च 1893 को हो गई थी। उनके कोई उत्तराधिकारी नहीं थे। उनकी दो पत्नियां थीं महारानी शिव रत्ना कुंवर और महारानी जानकी कुंवर। पहली पत्नी की मृत्यु 1896 में हो गई थी।
महारानी जानकी कुंवर संपत्ति का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं थीं, इसलिए इसका प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ द्वारा किया जाने लगा। उनकी मृत्यु 1954 में हो गई थी। पूर्वी और पश्चिमी चंपारण के अलावा, बेतिया राज की जमीन बिहार के गोपालगंज, सिवान, पटना और सारण जिलों में भी है।