• Wed. Mar 26th, 2025

24×7 Live News

Apdin News

Bihar Politics,लालू यादव ने नीतीश के साथ किया ‘माइनस 17’ वाला खेल, इफ्तार पार्टी देकर भी सियासी गणित में पीछे रहे मुख्यमंत्री – lalu yadav played a minus 17 game with nitish kumar cm not win hearts of muslims even after hosting iftar party

Byadmin

Mar 24, 2025


पटना: बिहार के उलेमाओं ने सीएम नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बायकॉट किया। इसकी उलेमाओं ने शर्त भी रखी। स्पष्ट कहा कि एनडीए में रहते हुए वक्फ संशोधन बिल का विरोध करें, वर्ना वे इफ्तार पार्टी का बहिष्कार करेंगे। नीतीश कुमार बिना कोई प्रतिक्रिया दिए खामोश रह गए। बायकॉट के पत्र पर दस्तखत करने वाले रविवार को आयोजित पार्टी में नहीं पहुंचे। इसके बावजूद खासा तादाद में रोजेदारों और सियासी जमावड़े के बीच इफ्तार पार्टी संपन्न हुई। नीतीश ने इफ्तार के जरिए अपने 225 वाले लक्ष्य को फिक्स कर लिया है।

चिराग ने बायकॉट पर बोला

बॉयकॉट वाले पत्र के बारे में जान कर लोजपा-आर के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि एनडीए सरकार ने जितना मुसलमानों के लिए किया है, उतना न आरजेडी ने किया और उसके पहले की किसी अन्य पार्टी की सरकार ने। बायकॉट का कोई औचित्य नहीं है। इसी बहाने उन्होंने अपनी पीठ भी पिता का उदाहरण देकर थपथपाई। उन्होंने बताया कि उनके पिता बिहार में मुस्लिम को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, पर बनने नहीं दिया गया। मुस्लिम हितैषी रही है उनकी पार्टी।

बिहार के मुस्लिमों के चक्रव्यूह में ‘फंसे’ नीतीश, ‘बॉयकॉट’ वाले खेल से बहुत खुश होंगे तेजस्वी यादव!

मुस्लिमों के लिए काम

यह सच भी है कि नीतीश कुमार के कार्यकाल में मुसलमानों के हित में काफी काम हुए हैं। इसके बावजूद मुसलमानों के वोट जेडीयू को उस तरह नहीं मिलते, जितना उन्होंने उनके लिए काम किए हैं। इसका कारण शायद नीतीश कुमार का एनडीए में होना है। वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में तो जेडीयू के टिकट पर खड़े उम्मीदवारों में एक भी नहीं जीत पाया। जेडीयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। भला हो जमा खान का, जो जीते तो चिराग पासवान की पार्टी के टिकट पर, लेकिन सदन पहुंचते ही उन्होंने जेडीयू का दामन थाम लिया और नीतीश मंत्रिमंडल में उनके भरोसे के साथी बन गए।

‘मुसलमान जानते हैं कि नीतीश ही उनके सबसे बड़े हितैषी’, बिहार में ‘शवाब’ पर इफ्तार पॉलिटिक्स

जेडीयू को वोट नहीं देते मुसलमान

ज्यादा दिन नहीं बीते, जब जेडीयू सांसद और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा था कि मुगालते में न रहें, मुसलमान जेडीयू को वोट नहीं करते। यह बात अलग-अलग मौकों पर उन्होंने दो बार कहीं। उनसे पहले जेडीयू के ही एक सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने भी ऐसी ही बात कही थी। उन्होंने तो ललन सिंह से भी एक कदम आगे बढ़ कर कह दिया था कि उनको मुसलमानों और यादवों ने वोट नहीं दिया। इसलिए वे उनका कोई काम नहीं करेंगे। उलेमाओं के बायकॉट के ऐलान के बाद नीतीश कुमार की चुप्पी से अंदाज लगता है कि उन्हें भी इससे पीड़ा पहुंची है। पहुंचे भी क्यों नहीं, नीतीश कुमार ने न सिर्फ उनके लिए काम किए, बल्कि उन पर किसी तरह का जुल्म भी अपने कार्यकाल में नहीं होने दिया है।

राबड़ी आवास पर इफ्तार को लेकर महागठबंधन के अंदर बवाल, जानिए आयोजन पर क्यों भड़के कांग्रेस के मुस्लिम नेता

बिहार में मुस्लिम आबादी 17 फीसद

बिहार में मुस्लिम आबादी 17 प्रतिशत के करीब है। आरजेडी इतनी बड़ी आबादी को अपना वोट बैंक बनाने के लिए मुसलमानों और यादवों का एम-वाई समीकरण बना लिया है। यादवों की 14 प्रतिशत जनसंख्या मिला कर यह आबादी 31-32 प्रतिशत के करीब हो जाती है। मुसलमान भाजपा को तो वोट करते ही नहीं। अब जेडीयू से भी कट गए। ऐसे में थोक में मुसलमानों के वोट पर महागठबंधन की नजर है। आरजेडी कैंप यकीनन इस बात पर खुशी होगी कि उलेमाओं ने नीतीश की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किया। पर, यह भी सच है कि मुस्लिम वोटों का दावेदार तब अकेले महागठबंधन की ही पार्टियां नहीं होंगी।

मुस्लिम वोट किधर? कई हैं दावेदार

जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर की भी मुस्लिम वोटों पर चौकस नजर है। उन्होंने 40 मुसलमानों को इस बार विधानसभा का टिकट देने की घोषणा की है। एआईएमआईएम वाले असदुद्दीन ओवैसी भी मुस्लिम वोटों के हिस्सेदार बनेंगे ही। मुस्लिम बहुल सीमांचल की पांच सीटें पिछली बार जीत कर और गोपालगंज विधानसभा के उपचुनाव में आरजेडी उम्मीदवार को हरा कर वे अपनी ताकत का एहसास करा चुके हैं। इसलिए महागठबंधन को अभी इतराने से परहेज करना ही श्रेयस्कर होगा।

By admin