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Bihar Politics,RJD में ‘बाबू साहेब’ का काम तमाम, तेजस्वी युग में भी बाप-बेटे का बंधा बोरिया-बिस्तर – bihar politics tejashwi yadav distanced himself from rajput bhumihar and brahmin castes

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Jan 18, 2025


पटना: आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की राजनीति के आईने में आप बिहार की जातिगत समीकरण वाली सियासत की स्पष्ट तस्वीर देख सकते हैं। लालू यादव दलित, पिछड़ों और अति- पिछड़ों के अलावा एमवाई समीकरण को अपने राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि का महत्वपूर्ण कारक मानते रहे हैं। उसका उन्हें लगातार फायदा भी हुआ है। कहा जा रहा है कि अब लालू वाले सारे अधिकार तेजस्वी यादव को सौंपे गए हैं। तेजस्वी यादव में भी एमवाई समीकरण और लालू के रास्ते से अलग चलने का कोई माद्दा नहीं दिखता है। तेजस्वी यादव एटूजेड की बात करते जरूर हैं। लेकिन उन्हें डर है कि कहीं दांव उल्टा न पड़ जाए।

आरजेडी की राजनीति

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में उपरोक्त बातें कहीं। उन्होंने आगे कहा कि आप खुद ही देख लीजिए। पटना में आरजेडी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पार्टी के कद्दावर नेता और राजपूत चेहरा जगदानंद सिंह नहीं मौजूद थे। उनके बेटे और सांसद सुधाकर सिंह भी नहीं पहुंचे थे। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि लालू यादव सियासत में कभी-कभार संबंधों को ढोते थे। तेजस्वी यादव बिल्कुल ऐसा नहीं करने वाले हैं। तेजस्वी यादव और राहुल गांधी सवर्णों से दूरी बनाने वाली राजनीति पर काम कर रहे हैं। धीरेंद्र ने कहा कि आरजेडी में सवर्णों के लिए अब कोई जगह नहीं बची है।

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सवर्णों से बनाई दूरी

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक आरजेडी और उसके सहयोगियों का फोकस पूरी तरह गैर सवर्णों पर केंद्रित है। जाति का सियासी एजेंडा जो राहुल गांधी ने सेट किया है। तेजस्वी यादव भी उसी राह पर चल रहे हैं। आरजेडी की बैठक में राजपूत नेताओं का नहीं पहुंचना, ये पार्टी के अंदर से ‘बाबू साहेब’ एरा का अंत समझिए। धीरेंद्र ने कहा कि जगदानंद सिंह और उनके बेटे सुधाकर सिंह लगातार आरजेडी में अपमानित होते रहे हैं। उन्होंने खुलकर कभी कुछ बोला नहीं। लालू यादव और तेजस्वी इन्हें कोई वैल्यू नहीं देते। धीरेंद्र ने कहा कि ये संभव है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस और आरजेडी से राजपूतों, भूमिहार और ब्राह्मण का सफाया हो जाए।

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तेजस्वी यादव को कमान

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार को संपन्न हुई। कार्यकारिणी ने तेजस्वी यादव को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बराबर अधिकार दे दिए गए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आलोक मेहता ने पार्टी के संविधान में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया। इसके बाद यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हो गया। इसके साथ ही राजद में ‘तेजस्वी युग’ की शुरुआत हो गई। अब तेजस्वी यादव को वह सभी फैसले लेने का अधिकार मिल गया है जो अब तक सिर्फ लालू यादव ही ले सकते थे।

तेजस्वी को मिला अधिकार

तेजस्वी यादव अब चुनाव में जिसे चाहें उसे अपनी पार्टी का सिंबल दे सकते हैं और पार्टी के सारे अहम फैसले ले सकते हैं। हालांकि इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह नहीं पहुंचे। इसके बाद उनके नाराज होने के कयास लगाए जाने लगे, लेकिन मीसा भारती ने इन कयासों पर यह कहकर विराम लगा दिया कि वह बीमार हैं। बैठक के बाद तेजस्वी यादव ने मीडियाकर्मियों से कहा कि उनके पास बिहार को आगे ले जाने का ब्लू प्रिंट है। उन्हें पता है कि बिहार को कैसे आगे ले जाना है। शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में देश की वर्तमान स्थिति और बिहार विधानसभा चुनाव पर चर्चा की गई।

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