बिहार में शिक्षकों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी
बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि यह नीति सिर्फ बीपीएससी और सक्षमता परीक्षा पास नियोजित शिक्षकों और पुराने वेतनमान वाले शिक्षकों पर लागू होगी। स्थानीय निकायों से नियुक्त शिक्षक इस नीति का लाभ नहीं ले पाएंगे।
नई नीति में कई अहम बातों का ध्यान रखा गया है। पुरुष शिक्षकों को अपने ही अनुमंडल में पोस्टिंग नहीं मिलेगी। पहले चरण में सभी योग्य शिक्षकों का ट्रांसफर मुख्यालय स्तर से होगा। अगर बीपीएससी टीआरई-1, टीआरई-2 और सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों ने ट्रांसफर का विकल्प नहीं चुना है, तो उनका ट्रांसफर नहीं होगा।
ट्रांसफर पॉलिसी में इनको मिली प्राथमिकता
ट्रांसफर के दौरान राज्य स्तरीय वरीयता का ध्यान रखा जाएगा। गंभीर बीमारी जैसे कैंसर से पीड़ित शिक्षक या उनके परिवार के सदस्य को पसंदीदा जिले, अनुमंडल या पंचायत में पोस्टिंग मिल सकेगी। विधवा, तलाकशुदा और अन्य महिला शिक्षिकाओं को भी पसंदीदा जगह पर पोस्टिंग में प्राथमिकता दी जाएगी। अगर पति सरकारी कर्मचारी है, तो पति के कार्यस्थल के आधार पर महिला शिक्षिका को ट्रांसफर का विकल्प मिलेगा।
नई नीति के तहत हर पांच साल में ट्रांसफर अनिवार्य होगा। शिक्षक ट्रांसफर के लिए अधिकतम 10 जगह चुन सकते हैं। ट्रांसफर सॉफ्टवेयर के जरिए होगा। स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात, बुनियादी ढांचा और खाली पदों के आधार पर पोस्टिंग दी जाएगी।
जो ट्रांसफर नहीं चाहते, उनका तबादला नहीं होगा
शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘जो नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण हैं, वही इस नीति के तहत आएंगे। साथ ही बीपीएससी से चयनित और पुराने वेतनमान वाले शिक्षकों पर भी यह नीति लागू होगी।’
उन्होंने आगे बताया, ‘बीपीएससी टीआरई-1, टीआरई- 2 और सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों ने अगर ट्रांसफर-पोस्टिंग का विकल्प नहीं दिया है, तो उनके स्थानांतरण पर विचार नहीं किया जाएगा। वे अपने स्कूल में यथावत बने रहेंगे।’ इस नई नीति से शिक्षकों को राहत मिलने की उम्मीद है।