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Bijapur Encounter: 800 वर्ग किमी की पहाड़ी में छिपे हैं खूंखार नक्सली, 24 हजार जवानों ने घेरा, सबसे बड़े मिशन को ऐसे दे रहे अंजाम – dreaded naxalites are hiding in a hill of 800 square km, 24 thousand soldiers surrounded them, this is how they are carrying out the biggest mission

Byadmin

Apr 28, 2025


रायपुर: छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर पहाड़ियों पर सुरक्षाबल के जवानों ने नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान लांच किया है। बताया जा रहा है कि इस अभियान में नक्सलियों के टॉप लीडर घिर गए हैं। नक्सली संगठनों ने अपने टॉप कैडर को बचाने के लिए शांति को लेकर लेटर लिखा है। सरकार ने नक्सली संगठनों के लिखे लेटर पर गंभीरता से विचार नहीं किया है। जिसके बाद सुरक्षाबल के जवान लगातार आगे बढ़ रहे हैं। नक्सल विरोधी अभियान के आठवें दिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसकी समीक्षा की।

अभियान में 24 हजार जवान शामिल

अधिकारियों ने सीएम को बताया कि यह अभियान बस्तर क्षेत्र में शुरू की गई सबसे बड़ी नक्सल विरोधी कार्रवाइयों में एक है। जिसमें जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), ‘बस्तर फाइटर्स’, विशेष कार्य बल (एसटीएफ), राज्य पुलिस की सभी इकाइयों, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और इसकी विशिष्ट इकाई ‘कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (कोबरा)’ समेत विभिन्न इकाइयों के लगभग 24 हजार जवान शामिल हैं।

21 अप्रैल से शुरू हुआ है अभियान

यह अभियान 21 अप्रैल को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 450 किलोमीटर दूर अंतरराज्यीय सीमा बीजापुर (छत्तीसगढ़) और मुलुगु (तेलंगाना) के दोनों ओर लगभग 800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले कर्रेगुट्टा और दुर्गमगुट्टा की पहाड़ियों और घने जंगल में शुरू किया गया था। जिस इलाके में अभियान चल रहा है, वह पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है तथा इसे माओवादियों की ‘पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) बटालियन नंबर एक’ का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। ‘बटालियन नंबर’ एक माओवादियों का सबसे मजबूत सैन्य संगठन है।

बैठक के लिए पहुंचे थे नक्सली

अभियान की निगरानी कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जानकारी मिली है कि ‘पीएलजीए बटालियन नंबर एक’, तेलंगाना राज्य समिति और माओवादियों की ‘दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी)’ से जुड़े पांच सौ से अधिक नक्सली हिडमा, बरसे देवा और दामोदर जैसे खूंखार नक्सलियों के नेतृत्व में इस इलाके में छिपे हुए हैं। ये नक्सली एक बैठक के लिए यहां एकत्र हुए थे।

ड्रोन और हेलीकॉप्टर की भी मदद

अधिकारी ने बताया, ‘‘राज्य और केंद्रीय बल के 24 हजार जवान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस अभियान में शामिल हैं। अभियान का उद्देश्य ‘डीकेएसजेडसी’, ‘टीएससी’, ‘पीएलजीए बटालियन नंबर एक’ और ‘सेंट्रल रीजनल कमेटी (सीआरसी) कंपनी के कब्जे से क्षेत्र को खाली कराना है, जो निर्दोष स्थानीय लोगों और सुरक्षा बलों के खिलाफ अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए क्षेत्र को एक सुरक्षित ठिकाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।’’ उन्होंने बताया कि अभियान में हेलीकॉप्टर और ड्रोन भी शामिल है।

आबादी को खाली कराना पहला लक्ष्य

अधिकारी ने बताया, ‘‘कुछ सप्ताह पहले नक्सलियों ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने बीजापुर के उसूर विकासखंड के क्षेत्र में बारूदी सुरंग (आईईडी) लगाई हैं। इसके बाद क्षेत्र में प्रेशर बम, आईईडी विस्फोट में कुछ नागरिक घायल हो गए तथा 30 मार्च को उसूर क्षेत्र में बोटामारका पहाड़ियों पर इसी तरह के विस्फोट में एक महिला की मौत हो गई। स्थानीय आबादी के लिए किसी भी तरह के खतरे को दूर करने के लिए क्षेत्र को खाली कराना सुरक्षा बलों का प्राथमिक कर्तव्य है।’’

कब तक चलेगा अभियान
अधिकारी ने कहा कि जब तक क्षेत्र को माओवादियों के अवैध और प्रतिबंधित संगठनों से मुक्त नहीं कर दिया जाता, तब तक अभियान जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के पास अब भी हिंसा छोड़ने और आत्मसमर्पण करने का विकल्प है। 24 अप्रैल को कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर तीन महिला नक्सलियों को मार गिराया गया और इस दौरान सुरक्षाबलों ने हथियारों, विस्फोटकों और अन्य सामग्रियों का एक बड़ा जखीरा बरामद किया।

उन्होंने कहा, ‘‘अब तक, हमारे सभी जवान सुरक्षित हैं। दुर्गम इलाके और भीषण गर्मी की कठिनाइयों को छोड़कर कोई समस्या नहीं है। चुनौतियों से निपटने के लिए जवानों का मनोबल ऊंचा है।’’ अभियान के दौरान अलग-अलग स्थानों पर नक्सलियों द्वारा लगाए गए प्रेशर बम में विस्फोट होने से डीआरजी और एसटीएफ के एक-एक जवान मामूली रूप से घायल हो गए थे। अभियान में शामिल कुछ जवानों को पानी की कमी और लू लगने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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