महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय का सभागार शनिवार को उस समय गहमागहमी का केंद्र बन गया, जब मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के संबोधन के बाद वकीलों ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। वकीलों की मांग थी कि बीकानेर में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित की जाए।
यह कार्यक्रम संविधान के 75 वर्ष और बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान विषय पर आयोजित था। इसमें बड़ी संख्या में वकील शामिल हुए। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि कई वकीलों को सीटें न मिलने के कारण सीढ़ियों पर बैठना पड़ा। वकीलों को उम्मीद थी कि सीजेआई अपने संबोधन में बीकानेर हाईकोर्ट बेंच पर कोई ठोस घोषणा करेंगे। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो माहौल अचानक बदल गया और नाराजगी नारेबाजी में तब्दील हो गई।
न्यायाधीशों और कानून मंत्री की मौजूदगी में गूंजे नारे
सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी मंच पर मौजूद थे। इसी दौरान वकीलों ने ‘वी वांट हाईकोर्ट’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। इस अप्रत्याशित विरोध ने कार्यक्रम का माहौल गर्मा दिया।
‘राज्य सरकार के प्रस्ताव पर निर्भर हाईकोर्ट बेंच’
नारेबाजी के बीच सीजेआई बीआर गवई दोबारा माइक पर लौटे और कहा कि हाईकोर्ट बेंच की स्थापना का अधिकार सीधे सुप्रीम कोर्ट के पास नहीं है, बल्कि यह राज्य सरकार के प्रस्ताव पर निर्भर करता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस मुद्दे पर वे राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से बातचीत करेंगे और आने वाले नए सीजेआई के समक्ष भी इसे उठाएंगे।
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वर्षों से चल रहा आंदोलन
बीकानेर के अधिवक्ता कई वर्षों से हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। बार एसोसिएशन के नेतृत्व में अधिवक्ता हर महीने की 18 तारीख को कार्य बहिष्कार कर अपनी मांग दर्ज कराते हैं। वकीलों का कहना है कि बीकानेर से जयपुर और जोधपुर की दूरी बहुत अधिक है, जिससे आमजन को न्याय पाने में कठिनाई होती है।
बार एसोसिएशन ने की शांति की अपील
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक शर्मा ने नारेबाजी कर रहे वकीलों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि जब देश के मुख्य न्यायाधीश ने स्वयं आश्वासन दिया है, तो उस पर भरोसा रखना चाहिए और धैर्य से आगे की प्रक्रिया का इंतजार करना चाहिए। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच की मांग केवल अधिवक्ताओं की ही नहीं, बल्कि आमजन की जरूरत भी है, जो वर्षों से न्यायिक सुविधा की आस लगाए बैठा है।
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