राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल स्वास्थ्य विभाग ने पिछले महीने भाजपा में शामिल हुए आरजी कर मेडिकल कालेज व अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली को निलंबित कर दिया है। उत्तर दिनाजपुर जिले के कालियागंज स्टेट जनरल अस्पताल के उपाधीक्षक (गैर- चिकित्सा) पद से पिछले महीने 13 अक्टूबर को इस्तीफा देकर अली इसके अगले दिन 14 अक्टूबर को भाजपा में शामिल हो गए थे।
हालांकि राज्य सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था। इस बीच त्यागपत्र के करीब 25 दिनों बाद शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग ने उनके निलंबन का आदेश जारी किया। मालूम हो कि पिछले साल अगस्त में कोलकाता के सरकारी आरजी कर अस्पताल में महिला चिकित्सक से दुष्कर्म व हत्या की घटना के बाद तत्कालीन प्रिंसिपल डा संदीप घोष के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे पहले आवाज बुलंद करने वाले व्यक्ति अख्तर अली ही थे।
कहां किया गया था तबादला?
उस वक्त अली आरजी कर अस्पताल के उपाधीक्षक पद पर थे। आरजी कर घटना का खुलकर विरोध करने और संदीप घोष के कार्यकाल में अस्पताल में हुए कथित वित्तीय घोटाले पर मुंह खोलने के चलते बाद में उनका मुर्शिदाबाद मेडिकल कालेज और फिर कालियागंज स्टेट जनरल अस्पताल में तबादला कर दिया गया था।
इधर, स्वास्थ्य विभाग ने उनके निलंबन के पीछे आरजी कर अस्पताल में वित्तीय भ्रष्टाचार की सीबीआइ जांच में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मिले सबूत का हवाला दिया है। अधिसूचना में कहा गया है कि कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ द्वारा की जा रही आरजी कर के वित्तीय भ्रष्टाचार की जांच में अख्तर की भी भूमिका सामने आई है, जिसके चलते उन्हें निलंबित किया गया है।
CBI को क्या जानकारी मिली?
आरजी कर के तत्कालीन सहायक अधीक्षक के रूप में अख्तर अस्पताल के आवश्यक उपकरणों की खरीद-बिक्री की निगरानी करते थे। बाद में उपाधीक्षक के रूप में उन्होंने इन सभी मामलों में अपना प्रभाव डाला। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि सीबीआइ को ऐसी जानकारी मिली है।
स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि अख्तर ने अस्पताल के विभिन्न उपकरणों की खरीद-बिक्री में शामिल एक कंपनी को अवसर प्रदान करने के बदले लाखों रुपये की मांग की थी। इतना ही नहीं, 2020-22 के दौरान अख्तर के खाते में 2.39 लाख रुपये जमा किए गए हैं। इसके अलावा उस समय उनकी पत्नी के खाते में भी 50 हजार रुपये जमा किए गए थे। इसके अलावा अपनी और अपने परिवार की हवाई यात्रा का भी लाभ उठाया। स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि इन सभी मुद्दों की जांच के बाद उन्हें निलंबित करने का निर्णय लिया गया।
निलंबन की कार्रवाई पर अली का बयान
वहीं, निलंबन की कार्रवाई पर अली ने कहा कि जिन आरोपों में मुझे निलंबित किया गया है, उस संबंध में मुझे सीबीआई या अदालत से कोई दस्तावेज नहीं मिले हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग और ममता सरकार के खिलाफ हमलावर अली ने कहा कि आरजी कर घटना के बाद अस्पताल प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ मुंह खोलने की उन्हें सजा भुगतनी पड़ रही है।