ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित बॉन्डी इलाके में यहूदी पर्व हनुक्का के दौरान हुए भीषण गोलीकांड ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया है। इस हमले में कम से कम 16 लोगों की मौत हुई है, जिनमें एक इस्राइल का नागरिक भी शामिल है। घटना के बाद जहां दुनिया भर से शोक और संवेदना के संदेश आ रहे हैं, वहीं इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज पर तीखा हमला बोला है। नेतन्याहू ने आरोप लगाया कि फलस्तीन राज्य के समर्थन ने यहूदी विरोधी भावनाओं को और भड़काया है।
यरूशलम से जारी बयान में नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने पहले ही ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री को चेताया था कि फलस्तीन राज्य की मांग यहूदी विरोधी आग में घी डालने जैसी है। उनके मुताबिक, सिडनी में हुआ यह हमला उसी मानसिकता का नतीजा है। नेतन्याहू ने कहा कि गाजा युद्ध के बाद इस्राइल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आलोचना और फलस्तीन समर्थन ने दुनिया भर में यहूदी समुदाय को निशाना बनाए जाने की घटनाएं बढ़ाई हैं।
फलस्तीन राज्य और नेतन्याहू का आरोप
नेतन्याहू का कहना है कि फलस्तीन राज्य को मान्यता देने की अंतरराष्ट्रीय मुहिम हमास को इनाम देने जैसा है। उन्होंने साफ कहा कि इस्राइल की सैन्य कार्रवाई की आलोचना और फलस्तीन समर्थन से यह संदेश जाता है कि हिंसा को सही ठहराया जा रहा है। उन्होंने सिडनी गोलीकांड को इसी सोच से जोड़ते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को अपनी नीतियों पर आत्ममंथन करना चाहिए।
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फलस्तीन पर ऑस्ट्रेलिया का रुख
ऑस्ट्रेलिया उन देशों में शामिल है, जिन्होंने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान फलस्तीन राज्य को औपचारिक मान्यता दी थी। फलस्तीन विदेश मंत्रालय के अनुसार, अब तक 159 देश फलस्तीन को मान्यता दे चुके हैं। दुनिया का बड़ा हिस्सा मानता है कि दशकों पुराने इस्राइल-फलस्तीन संघर्ष को खत्म करने के लिए दो-राष्ट्र समाधान ही एकमात्र रास्ता है। हालांकि, नेतन्याहू सरकार इस सोच को सिरे से खारिज करती है और इसे इस्राइल की सुरक्षा के लिए खतरा मानती है।
सिडनी हमले पर वैश्विक आक्रोश
सिडनी गोलीकांड की दुनियाभर में कड़ी निंदा हुई है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि आतंकवाद और निर्दोष लोगों की हत्या कहीं भी हो, स्वीकार्य नहीं है। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यहूदी विरोध के लिए दुनिया में कोई जगह नहीं है। ब्रिटेन के राजा चार्ल्स तृतीय ने घटना पर गहरा दुख जताया, वहीं लंदन पुलिस ने यहूदी स्थलों की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया है।
संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि हनुक्का जैसे शांति और रोशनी के पर्व पर यह हमला बेहद भयावह है। उन्होंने दुनियाभर के यहूदी समुदाय के प्रति एकजुटता जताई। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि भारत इस दुख की घड़ी में ऑस्ट्रेलिया के लोगों के साथ खड़ा है। जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने इसे साझा मूल्यों पर हमला बताया।
ऑस्ट्रेलिया में डर का माहौल
हमले के बाद ऑस्ट्रेलिया के यहूदी समुदाय में डर का माहौल है। बॉन्डी इलाके के एक चर्च के पादरी ने बताया कि घटना के समय लोग जान बचाने के लिए चर्च में शरण लेने पहुंचे। उन्होंने कहा कि इलाके में यहूदी विरोधी ग्रैफिटी आम बात हो गई है। विश्व यहूदी कांग्रेस ने कहा कि कोई भी समुदाय अपने धर्म और पहचान को मनाने से डरने को मजबूर नहीं होना चाहिए। ऑस्ट्रेलियाई नेतृत्व ने भरोसा दिलाया है कि देश नफरत, हिंसा और आतंक के आगे नहीं झुकेगा।
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