ईंट भट्ठे पर हमने ट्रक में छह हजार ईंट भर दीं और मैं ट्रक के ऊपर चढ़कर फट्टे लगाने लगा, तभी भट्ठे की दीवार भरभराकर मजदूर राजेंद्र और मुनीम दिनेश यादव के ऊपर गिर गई। ट्रक के ऊपर खड़ा होने की वजह से मैं बाल-बाल बच गया। वहां ईंट भरवाने वाले मजदूर दर्शन ने इस तरह की पूरी घटना के बारे में बताया।
उसने बताया कि चंद सेकंड में हुए हादसे में वहां से हटने का मौका भी नहीं मिला। गाजियाबाद जिले के निस्तौली गांव निवासी मजदूर दर्शन ने बताया कि ईंट सप्लायर ट्रक के अंदर बैठे हुए थे। गाड़ी में छह हजार ईंट भरने पर उन्होंने मुनीम को आवाज लगाकर पर्ची देने और चालान बुक पर हस्ताक्षर कराने के लिए कहा।
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गौना गांव के महादेव ब्रिक फील्ड भट्ठे पर हादसे की जांच करने पहुंचे एएसपी प्रवीण कुमार चौहान
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
बताया कि तभी भट्ठे के दूसरी तरफ खड़े मुनीम दिनेश यादव वहां आ गए और बातचीत करने लगे। मैं ट्रक के ऊपर चढ़कर फट्टे लगाने लगा। चंद सेकेंड बाद ही दीवार भरभराकर गिर गई। दर्शन ने बताया कि उसके ट्रक के ऊपर भी कुछ ईंटे गिरीं, जिनके लगने से वह मामूली रूप से घायल हो गया। वह नीचे खड़ा होता तो वह भी मलबे में दब जाता।
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गौना गांव के महादेव ब्रिक फील्ड भट्ठे पर राजेंद्र की मौत के बाद विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
जान बचाने को दौड़े मजदूर
ईंट भट्ठे की दीवार गिरते ही आसपास खड़े मजदूरों ने शोर मचा दिया और भट्ठे पर रहने वाले दूसरे मजदूरों को भी बुला लिया। इसके बाद मजदूरों ने मलबे में दबे मजदूरों और मुनीम को बाहर निकाला। इसके बाद ईंट भट्ठे पर शोक का माहौल छा गया।
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राजेंद्र की फाइल फोटो
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
परिवार वाले रोकते रहे मगर राजेंद्र गाड़ी पर चले गए
गाजियाबाद के निस्तौली गांव निवासी संजीव ने बताया कि उसके पिता राजेंद्र कई साल से ट्रक में ईंट भरने का काम करते थे। बृहस्पतिवार सुबह उसके पिता मजदूरी पर जाने लगे तो परिवार के सदस्यों ने बहन सुनीता और अनीता के भैया दूज मनाने के लिए घर आने की बात कहकर रोकने का प्रस भी किया। उस समय उसके पिता राजेंद्र तीन-चार घंटे में मजदूरी कर वापस आने की बात कहकर चले गए। इसके बाद भट्ठे की दीवार के नीचे दबने से उनकी मौत होने की सूचना मिली। राजेंद्र के परिवार में दो बेटियां और तीन बेटे हैं।
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दिनेश यादव की फाइल फोटो
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
बहन को रास्ते में मिली भाई की मौत की सूचना
गौना गांव निवासी मुनीम दिनेश यादव पिछले 20 वर्षों से काम कर रहे थे, जो पांच भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी है। बहन शनेस देवी बालैनी में रहती हैं, जो बृहस्पतिवार को भैयादूज पर्व मनाने के लिए गौना गांव आ रही थीं।