केंद्रीय कैबिनेट ने बिहार समेत पांच राज्यों को 12 हजार करोड़ रुपये की चार रेलवे परियोजनाओं का तोहफा दिया है। इन राज्यों में नई रेलवे लाइन बिछाने के साथ ही ट्रैक दोहरीकरण का काम कराया जाएगा।
सरकार ने बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात और असम में 12,328 करोड़ रुपये की लागत वाली चार रेलवे परियोजनाओं को मंजूरी दी। इनमें देशलपार-हाजीपीर-लूना तथा वायोर और लखपत को जोड़ने वाली नई रेल लाइन का निर्माण, सिकंदराबाद (सनथनगर)-वाडी के बीच तीसरी और चौथी लाइन, भागलपुर से जमालपुर तक तीसरी लाइन और फुरकाटिंग-न्यू तिनसुकिया लाइन का दोहरीकरण शामिल है।
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इन परियोजनाओं का उद्देश्य यात्रियों और वस्तुओं दोनों का निर्बाध और त्वरित परिवहन सुनिश्चित करना है। ये पहल कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी और यात्रा सुविधा में सुधार के साथ-साथ लॉजिस्टिक्स लागत को कम करेंगी। साथ ही तेल आयात पर निर्भरता कम करेंगी। इसके अलावा इन परियोजनाओं से कार्बनडाइ ऑक्साइड उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी। इससे स्थायी और कुशल रेल संचालन को बढ़ावा मिलेगा। ये परियोजनाएं अपने निर्माण के दौरान लगभग 251 लाख मानव-दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित करेंगी।
प्रस्तावित नई रेल लाइन कच्छ क्षेत्र के सुदूर क्षेत्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह गुजरात के विद्मान रेलवे नेटवर्क में 145 रूट किमी और 164 ट्रैक किमी जोड़ेगी। इसकी अनुमानित लागत 2526 करोड़ रुपये है। परियोजना की पूर्ण होने की समय-सीमा 3 वर्ष है। गुजरात राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के अतिरक्त, यह नई रेल लाइन नमक, सीमेंट, कोयला, क्लिंकर और बेंटोनाइट के परिवहन में भी मदद करेगी।
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इस परियोजना का रणनीतिक महत्व यह है कि यह कच्छ के रण को कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। हड़प्पा स्थल धोलावीरा, कोटेश्वर मंदिर, नारायण सरोवर और लखपत किला भी रेल नेटवर्क के अंतर्गत आएंगे क्योंकि 13 नए रेलवे स्टेशन जोड़े जाएंगे जिससे 866 गांवों और लगभग 16 लाख आबादी को लाभ होगा।