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Caste Census Update: जाति जनगणना हुई तो गिनी जाएंगी मुसलमानों की भी जातियां, 2025 में हो सकती है जनगणना

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Oct 20, 2024


Caste Census Update केरल के पलक्कड़ में हुई आनुसंगिक संगठनों की बैठक के बाद आरएसएस ने साफ कर दिया था कि वह जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं है लेकिन इसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ लेने के लिए नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों पर समाज को बांटने के लिए जातीय जनगणना का मुद्दा उठाने का आरोप लगाया था।

नीलू रंजन, नई दिल्ली। जातीय जनगणना होनी की स्थिति में पहली बार देश में मुसलमानों की भी जातियां गिनी जाएगी। भारत का महापंजीयक और जनगणना आयुक्त इसके लिए जरूरी तैयारी में जुट गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी महीने महाराष्ट्र में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुसलमानों में जातियों की जनगणना के मुद्दे पर चुप्पी को लेकर विपक्ष को आड़े हाथों लिया था।

जनगणना 2025 में हो सकती है

प्रधानमंत्री मोदी के बयान को हिंदुओं की तरह मुसलमानों में भी जातियों की जनगणना कराये जाने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि कोरोना महामारी और फिर लोकसभा चुनावों के कारण अटकी हुई 2021 की जनगणना 2025 में हो सकेगी।

केंद्र सरकार जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने को लेकर फैसला नहीं किया है। लेकिन विपक्ष की ओर से जातीय जनगणना के लिए बढ़ते दबाव और इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश को देखते हुए मोदी सरकार इसे कराने का फैसला ले सकती है। भाजपा और केंद्र सरकार दोनों की ओर बार-बार साफ किया जा चुका है कि वह जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं है।

भारतीय मुसलमान भी कई जातियों में बंटे हुए हैं

पीएम मोदी ने पहले ही साफ कर दिया था कि सिर्फ हिंदुओं को विभाजित करने के लिए जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया जाता है, जबकि हिंदुओं की तरह भारतीय मुसलमान भी कई जातियों में बंटे हुए हैं। वैसे असम में हिमंत बिस्व सरमा की भाजपा सरकार पहले ही मुसलमानों की जातीय जनगणना करा चुकी है।

  • हर 10 साल पर भारत में जनगणना कराने वाले महापंजीयक और जनगणना आयुक्त जातीय जनगणना होने की स्थिति में उसके लिए जरूरी तैयारियों में जुट गई है।
  • भारत में यह पहली जनगणना होगी, जिसमें सभी आंकड़े डिजिटल जुटाए जाएंगे। इसके लिए तैयार पोर्टल में जातीय जनगणना के आंकड़ों के लिए भी प्रविधान किये जा रहे हैं।

2011 में 86.80 लाख से अधिक जातियां दर्ज

ध्यान देने की बात है कि पिछली बार 2011 में जनगणना के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना के आंकड़े जुटाए गए थे। लेकिन 1931 में हुई जातीय जनगणना में 4,147 जातियों के मुकाबले 2011 में 86.80 लाख से अधिक जातियां दर्ज की गई। जातियों में इस अप्रत्याशित बढ़ोतरी और अन्य अनियमितताओं के कारण पहले मनमोहन सिंह सरकार ने और बाद में मोदी सरकार ने इसके आंकड़ों को नहीं जारी करने का फैसला किया।

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