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“कैमरों ने आपका एक इमोशन कैच किया. आम तौर पर आप बहुत ख़ूबसूरत छक्के जड़ते हैं, लेकिन आज शुभमन गिल ने एक छ्क्का मारा, जिस पर आप सिर हिलाते हैं, उस मोमेंट को एन्जॉय करते हैं, तारीफ़ करते हैं, उसके बारे में कुछ बताइए…”
“मुझे लगा आप मेरे कैच टपकाने का ज़िक्र कर रहे हैं…”
“क्योंकि आपने ज़िक्र किया है, इसलिए मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आप अक्षर पटेल को ट्रीट पर ले जा रहे हैं.”
“मैं शायद उन्हें कल डिनर पर ले जाऊंगा. वो एक आसान कैच था. मुझे उस कैच को पकड़ना चाहिए था. स्लिप पर खड़े होकर मैंने अपने लिए जो मानक तय किए गए हैं, उसके हिसाब से ये काफ़ी निराशाजनक है.”
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भारत और बांग्लादेश के बीच चैंपियंस ट्रॉफ़ी का पहला मैच जब ख़त्म हुआ तो रोहित शर्मा के चेहरे पर मुस्कुराहट थी.
लेकिन पोस्ट मैच प्रजेंटेशन में उनकी टीस भी सामने आ गई. हर्षा भोगले का सवाल कुछ और था, लेकिन रोहित का जवाब कुछ और निकला.
इस मैच में एक बार ऐसा लगा था कि लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय पारी हिचकोले खा रही है, लेकिन शुभमन गिल और के एल राहुल ने सूझबूझ वाली बल्लेबाज़ी से टीम को जीत तक पहुंचा दिया.
वो पल जो रोहित और अक्षर, दोनों नहीं भूलेंगे
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इससे पहले जब बांग्लादेश खेल रहा था तो 35 रन पर उसकी आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी. लेकिन इसके बाद भारतीय फ़ील्डरों ने थोड़ी सुस्ती दिखाई और कई मौके गंवाए.
इनमें एक आसान मौका कप्तान रोहित शर्मा के हाथों से फिसला. ये मौक़ा बाकी सभी मौकों से बड़ा और अहम था. ज़ाहिर है, ये कैच छोड़ने का मलाल रोहित को लंबे समय तक परेशान करेगा. वाकया है बांग्लादेशी पारी के आठवें ओवर का.
गेंद अक्षर पटेल के हाथ में थी. इस ओवर की दूसरी गेंद पर तंज़ीद हसन के बल्ले को हल्का सा छूते हुए गेंद पीछे विकेटकीपर के एल राहुल के दस्तानों में समा गई. अक्षर को इस बात की भनक तक नहीं लगी.
लेकिन के एल राहुल को पता था कि बल्लेबाज़ आउट है. वो अपील करते रहे. अम्पायर पॉल राइफ़ल ने देर से सही, लेकिन उंगली उठा दी. बल्लेबाज़ ने डीआरएस लेना चाहा, लेकिन वक़्त गुज़र चुका था. तंज़ीद लौट गए.
अगली गेंद का सामना करने आए बांग्लादेश के बेहद अनुभवी बल्लेबाज़ मुश्फ़िक़ुर रहीम. एक बार फिर अक्षर की फिरकी ने बल्ले को चूमा और राहुल ने कैच लपका.
इस बार बॉलर को पता था कि विकेट निकाल ली है. रहीम सिर झुकाए पवेलियन लौटे. दो बॉल पर दो विकेट. अक्षर के घूमती गेंदें बांग्लादेशी बल्लेबाज़ों की समझ से परे थी.
अब इस ओवर की सबसे अहम गेंद की बारी थी. सामने थे जाकिर अली. अक्षर की गेंद ने पिच पर टप्पा खाया और बाहर की तरफ़ निकलते हुए जाकिर के बल्ले का एज ले गई.
आसान सा कैच बना और पहली स्लिप पर रोहित शर्मा मौजूद थे. औपचारिकता सी थी. अब कैच होगा और हैट्रिक का जश्न शुरू होगा.
लेकिन तभी रोहित के हाथों से गेंद टकराई और नीचे गिर गई. खुशी से उछलने के लिए तैयार आजू-बाजू खड़े फ़ील्डर निराश हो गए. रोहित खुद से कितना ख़फ़ा थे, ये उनके रिएक्शन ने दिखाया. उन्होंने मैदान पर कई बार अपना हाथ पटका.
ये कमाल करने वाले पांचवें गेंदबाज़ बन जाते अक्षर पटेल
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और मैच के बाद हर्षा भोगले और उनके बीच इसी कैच पर बात हो रही थी. अगर रोहित ये कैच लपक लेते तो अक्षर पटेल अपना नाम इतिहास के पन्नों में लिख देते.
उनके नाम पर तीन गेंद में तीन विकेट चटकाने का रिकॉर्ड दर्ज होता. एक ऐसा कारनामा जो आज तक भारत के सिर्फ़ चार गेंदबाज़ कर पाए हैं.
किस्मत ने साथ दिया होता तो वनडे में हैट्रिक लेने वाले अक्षर पटेल भारत के दूसरे स्पिन गेंदबाज़ बन जाते. उनसे पहले कुलदीप यादव भारत के ऐसे फिरकी गेंदबाज़ी हैं, जो तीन बॉल पर तीन बल्लेबाज़ों को पवेलियन भेज चुके हैं. उनका रिकॉर्ड ख़ास है. क्योंकि ये कमाल वो दो बार कर चुके हैं.
भारत की तरफ़ से एकदिवसीय मैचों में पहली हैट्रिक चेतन शर्मा ने ली थी. साल 1987 में उन्होंने नागपुर में न्यूज़ीलैंड के रदरफोर्ड, स्मिथ और चैटफ़ील्ड को तीन लगातार बॉल पर आउट किया था.
इसके चार साल बाद 1991 में कपिल देव कलकत्ता के मैदान पर श्रीलंका के ख़िलाफ ये कारनाम दोहराया. उन्होंने महानामा, रत्नायके और जयसूर्या को आउट किया था.
कुलदीप यादव हैट्रिक के मामले में सबसे ख़ास भारतीय बॉलर
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भारतीय टीम को ये कीर्तिमान दोबारा बनाने में इसके बाद 26 साल का वक़्त लग गया. भारत की तरफ़ से तीसरी हैट्रिक ली कुलदीप यादव ने.
ये साल था 2017 और मैदान वही कोलकाता का. ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी करते हुए कुलदीप ने मैथ्यू वेड, एगर और कमिंस को तीन बॉल पर आउट किया था.
दो साल बाद साल 2019 में मोहम्मद शमी की गेंद आग उगल रही थी और सामने टीम थी अफ़ग़ानिस्तान. पहली बार भारत के किसी बॉलर ने विदेशी सरज़मीं पर हैट्रिक ली. शमी ने मोहम्मद नबी को कैच आउट कराया, आफ़ताब आलम को बोल्ड मारा और फिर मुजीबउर्रहमान की गिल्लियां बिखेर दीं.
इसी साल कुलदीप यादव इन सभी भारतीय गेंदबाज़ों से एक कदम और आगे बढ़ गए. उन्होंने विशाखापटनम में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ खेलते हुए दूसरी हैट्रिक ली.
इस कमाल में उन्होंने होप, होल्डर और जोसफ़ को आउट किया था. भारत की तरफ़ से वो इकलौते गेंदबाज़ हैं, जिन्होंने वनडे इंटरनेशनल में दो बार हैट्रिक ली है.
वनडे की पहली हैट्रिक किसने ली थी?
वनडे क्रिकेट में जिस तरह बल्लेबाज़ के 100 और 200 रन बनाने को सेलिब्रेट किया जाता है, उसी तरह गेंदबाज़ के पारी में पांच विकेट का जश्न मनाया जाता है. लेकिन जब कोई गेंदबाज़ हैट्रिक लेता है तो वो वाकया इतिहास में अलग से दर्ज हो जाता है.
ये कितना दुर्लभ होता है, इसका अंदाज़ा इस बात से होता है कि साल 1971 में पहला वनडे इंटरनेशनल खेला गया था और तब से अब तक 54 साल में महज़ 51 गेंदबाज़ ऐसे हैं, जिन्होंने एकदिवसीय मैचों में तीन बॉल पर तीन विकेट चटकाए हैं.
इनमें कुछ दिग्गज ऐसे हैं, जो ये कमाल दो बार कर चुके हैं. इनमें पाकिस्तान के वसीम अकरम और सक़लैन मुश्ताक़, श्रीलंका के चमिंडा वास और लसिथा मलिंगा, न्यूज़ीलैंड के ट्रेंट बोल्ट शामिल हैं.
इसी ख़ास सूची में भारत के कुलदीप यादव भी जगह रखते हैं.
अगर हम वनडे की पहली हैट्रिक की बात करें तो इस खेल प्रारूप के शुरू होने के 11 साल बाद ये कमाल पहली बार हुआ था.
और ये रिकॉर्ड पाकिस्तान के नाम है. ये मैच पाकिस्तान के हैदराबाद में ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के बीच खेला जा रहा था.
सितंबर, 1982 में इस मैच में पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ जलालुद्दीन ने तीन बॉल पर तीन विकेट चटकाए थे. उनके शिकार बने थे मार्श, याडले और लॉसन.
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