ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने इशाक डार से वादा किया है कि “एक मजबूत मित्र के रूप में, चीन हमेशा की तरह पाकिस्तान की राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने में उसका मजबूती के साथ समर्थन करेगा। पाकिस्तान को उसकी राष्ट्रीय परिस्थितियों के मुताबिक विकास के रास्ते को तलाशने में मदद देगा, आतंकवाद का डटकर मुकाबला करने में पाकिस्तान का समर्थन करेगा और अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों में बड़ी भूमिका निभाने में पाकिस्तान का समर्थन करेगा।”
पाकिस्तान की हर हाल में मदद करेगा चीन
रिपोर्ट के मुताबिक बैठक के दौरान बीजिंग और इस्लामाबाद ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के प्रस्तावित एडवांस संस्करण को रफ्तार देने के अलावा सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने पर सहमति जताई है। सीपीईसी प्रोजेक्ट के पहले चरण ने नई दिल्ली को परेशान कर दिया था, क्योंकि यह भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से होकर गुजरता है। चीन और पाकिस्तान के बीच इसके अलावा उद्योग, कृषि, ऊर्जा और खनन, मानव संसाधन विकास, आतंकवाद विरोधी और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई गई है।
आपको बता दें कि नई दिल्ली ने CPEC 1.0 का विरोध किया था, क्योंकि यह भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है। 3000 किलोमीटर लंबी सीपीईसी कनेक्टिविटी परियोजना, चीन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रोजेक्ट बीआरआई का ही हिस्सा है। सीपीईसी, चीन के शिनजियांग प्रांत को दक्षिणी पाकिस्तान के बंदरगाह शहर ग्वादर को जोड़ती है। इसमें जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारत के क्षेत्र को शामिल किया गया है। चीन ने सीपीईसी के साथ बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में 65 बिलियन डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। हालांकि पिछले 2-3 सालों से सीपीईसी प्रोजेक्ट करीब करीब थम चुका है, क्योंकि पाकिस्तान अपने हिस्से का निवेश नहीं कर पा रहा है और चीन ने जितना निवेश किया है, उसके बदले में उसे कुछ भी हासिल नहीं हो पा रहा है। लेकिन सीपीईसी के दूसरे चरण में चीन, न सिर्फ पाकिस्तान और उसके अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में बल्कि पूरे क्षेत्र में अपने पैर पसारने की कोशिश करेगा, जिससे भारत के लिए रणनीतिक चुनौती खड़ी होगी।