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Churu News Today,राजस्थान में 90 साल की बुजुर्ग महिला कर रही संथारा व्रत, 28 दिन से त्यागा अन्न, सिर्फ पीते हैं पानी – rajasthan 90 year old woman kanwari devi from sadulpur takes santhara fast giving up food

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Feb 22, 2025


चूरू: राजस्थान के चूरू जिले के सादुलपुर कस्बे में 90 वर्षीय कंवरी देवी बीते लगभग एक महीने से केवल दिन में पानी का सेवन कर रही हैं और पूर्ण रूप से अन्न-त्याग किया हुआ है। इस आध्यात्मिक और कठोर संकल्प को देखने-सुनने के बाद समाज के लोग उनसे आशीर्वाद लेने के लिए बड़ी संख्या में जुट रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, सादुलपुर की रहने वाली कंवरी देवी, जो जैन समाज की वरिष्ठ महिला हैं, संथारा व्रत का पालन कर रही हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने पिछले 28 दिनों से अन्न का त्याग कर रखा है और केवल पानी का सेवन कर रही हैं। वे पूरी तरह चैतन्य अवस्था में हैं। उल्लेखनीय है कि कंवरी देवी नगरपालिका के पूर्व उपाध्यक्ष स्व. झुमरमल बैद की पत्नी हैं।

संथारा व्रत क्या है?

संथारा, जिसे संलेखना, समाधि-मरण, इच्छा-मरण और संन्यास-मरण भी कहा जाता है, जैन धर्म की एक महत्वपूर्ण प्रथा है। इस व्रत के दौरान व्यक्ति शांत मन से मृत्यु को अपनाता है। जैन धर्म के श्वेतांबर पंथ में यह परंपरा प्रचलित है, जबकि दिगंबर संप्रदाय में इसे सल्लेखना कहा जाता है। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है, जब व्यक्ति अपने जीवन के अंतिम चरण में होता है और सांसारिक मोह से मुक्त होकर आत्मिक शुद्धि की ओर अग्रसर होता है।

संथारा को अपनाने वाली महान विभूतियां

इतिहास में कई प्रसिद्ध व्यक्तियों ने भी संथारा व्रत को अपनाया है। जैन मुनि समर्थ सागर और जैन मुनि सुज्ञेय सागर महाराज ने संथारा धारण कर अन्न-जल त्याग दिया था। इसी तरह, भूदान आंदोलन के प्रणेता आचार्य विनोबा भावे ने भी संथारा लिया था। इतना ही नहीं, प्रसिद्ध कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने भी अपने अंतिम समय में संथारा लेने की इच्छा प्रकट की थी।

कंवरी देवी के दर्शनों के लिए उमड़ रही भीड़

जैन श्वेतांबर तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र जैन के अनुसार, संथारा व्रत आत्मा की शुद्धि और साधना का सर्वोच्च मार्ग है। सादुलपुर के सेठिया भवन में कंवरी देवी बैद के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। सीए आरती, एडवोकेट सौरभ जैन और भिवानी महिला मंडल की सुनीता नाहटा सहित कई श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। सोशल मीडिया पर संथारा व्रत की खबरें वायरल होने के बाद दूर-दराज से भी लोग उनके दर्शन के लिए आ रहे हैं।

संथारा आत्महत्या नहीं, यह आध्यात्मिक साधना है: सुरेन्द्र जैन

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यायालय ने भी संथारा को वैध करार दिया है। उपाध्यक्ष सुरेन्द्र जैन ने स्पष्ट किया कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का सर्वोच्च मार्ग है। केवल वे ही इस व्रत को अपना सकते हैं, जिनमें अद्वितीय धैर्य और आध्यात्मिकता हो। भगवान महावीर के उपदेशों के अनुसार, मृत्यु भी एक उत्सव की तरह अपनाई जा सकती है। संथारा लेने वाला व्यक्ति प्रसन्नता से अपनी अंतिम यात्रा को सफल बनाता है।

कंवरी देवी का यह कठोर संकल्प समाज में आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत बन रहा है और लोग उन्हें सम्मान और श्रद्धा से देखने आ रहे हैं।

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