सदन में सीआईएसएफ कर्मियों की मौजूदगी के मुद्दे पर आज राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। दरअसल सभापति ने इस बात पर आपत्ति जताई कि जब खरगे ने उन्हें सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती को लेकर पत्र लिखा था तो उसे मीडिया में क्यों जारी किया गया। सभापति ने इसे सदन के नियमों का उल्लंघन करार दिया। इस पर खरगे ने कहा कि वह सभी को पत्र के बारे में जानकारी नहीं दे सकते थे तो उन्होंने इसे लेकर मीडिया में बयान जारी किया। चर्चा के दौरान जेपी नड्डा ने विपक्ष के रवैये पर सवाल उठाए और नसीहत देते हुए कहा कि विपक्ष को उनसे ट्यूशन लेने की जरूरत है।
‘वेल में प्रदर्शन सदन के नियमों के खिलाफ’
दरअसल राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खरगे के पत्र के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पत्र को मीडिया में जारी करके संसद के जनता को जानकारी देने के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इसके बाद उपसभापति ने कई घटनाओं का जिक्र किया, जब सत्ता पक्ष के लोग सदन में बोल रहे थे और विपक्षी सांसदों ने उनकी सीटों के पास आकर उनके संबोधन बाधित करने का प्रयास किया। सभापति ने कहा कि ‘क्या यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं है? उन्होंने कहा कि सदस्यों द्वारा वेल में प्रदर्शन गलत है और यह सदन की परंपरा के खिलाफ है क्योंकि वेल की एक पवित्रता होती है।’
खरगे ने पूछा- क्या हम आतंकवादी हैं?
सभापति के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जब सदन के नेता महत्वपूर्ण मुद्दे उठा रहे होते हैं तो उस समय सदन में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती गलत है। उन्होंने उदाहरण दिया कि ‘जब अरुण जेटली राज्यसभा में और सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष के नेता थे, तो उन्होंने कहा था कि व्यवधान डालना भी लोकतंत्र को मजबूत करने का तरीका है। हम इसी तरह लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करते रहेंगे और ये हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।’ खरगे ने कहा कि ऐसे में अगर मैंने आपको पत्र लिखा और उस बारे में मीडिया में जानकारी दी गई तो उस पर आपको इतनी आपत्ति क्यों है? मैं सभी सदस्यों को सूचित नहीं कर सकता, इसलिए एक प्रेस नोट जारी किया। मुझे बताइए सीआईएसएफ को वेल में तैनात क्यों किया गया? क्या हम आतंकवादी हैं?
#WATCH | Rajya Sabha LoP Mallikarjun Kharge tells Deputy Chairman Harivansh, “… I wrote to you – ‘I am writing to you on behalf of the Opposition parties in Rajya Sabha. We are astonished and shocked at the manner in which CISF are made to run into the Well of the House when… pic.twitter.com/h1wSiUvM7K
— ANI (@ANI) August 5, 2025
जेपी नड्डा बोले- मुझसे ट्यूशन ले लीजिए
खरगे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि ‘कार्यवाही को बाधित करना अलोकतांत्रिक है और यह नियमों के खिलाफ है। जिन घटनाओं का उपसभापति ने उल्लेख किया कि किस तरह से स्पीकर को बोलते समय बाधित किया गया, तो यह लोकतंत्र नहीं है, ये काम करने का तरीका नहीं है। मैं 40 साल से ज्यादा विपक्ष में रहा हूं, मुझसे ट्यूशन ले लीजिए। अभी आपको 10 ही साल हुए हैं, अभी 30-40 साल और विपक्ष में ही रहना है। अरुण जेटली के बयान को उद्धत किया गया कि बाधित करना लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन बाधित करने के और भी तरीके हैं। मुझसे ट्यूशन लोगे तो मैं बताऊंगा।’
नड्डा ने तेज स्वर में कहा कि ‘अगर आप लाठी भांजेंगे और आपकी लाठी मेरी नाक पर लगती है तो ये गलत है। आपका लोकतंत्र वहां खत्म हो जाता है, जहां मेरी नाक शुरू होती है। जब विपक्षी सांसद अपनी जगह छोड़कर स्पीकर के बगल में खड़े होकर नारेबाजी करते हैं तो यह विरोध नहीं बल्कि अराजकता है और ये अराजकता करने की कोशिश करते हैं।’ नड्डा ने कहा कि ‘जो भी व्यक्ति सदन में सभापति के आदेश पर सदन को संचालित करने में मदद करता है तो वह मार्शल है, न कि किसी पैरामिलिट्री फोर्स के सदस्य।’
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क्या है पूरा विवाद
बीते दिनों कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को पत्र लिखकर कहा कि जब सदन के सदस्य अहम मुद्दे उठा रहे थे, उस समय सदन के वेल में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती हैरान करने वाली है। खरगे ने कहा कि क्या हमारी संसद इस स्तर तक पहुंच गई है? यह बेहद निंदनीय है। खरगे ने यह पत्र तब लिखा, जब कुछ विपक्षी सांसद बिहार में मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण के मामले पर सदन में प्रदर्शन कर रहे थे। जब उन्होंने वेल में घुसने की कोशिश की तो उन्हें सीआईएसएफ कर्मियों द्वारा रोक दिया गया। खरगे ने कहा कि मार्शल सदन के गेट पर तैनात रहते हैं और स्पीकर के कहने पर ही अंदर आते हैं, लेकिन इस सत्र में सीआईएसएफ कर्मियों को मार्शलों की ड्यूटी पर लगा दिया गया है। इसी पर पूरा विवाद हो रहा है।
रिजिजू ने खरगे पर लगाया गुमराह करने का आरोप
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा, ‘मैं एक बात स्पष्ट करना चाहूंगा। विपक्ष के नेता बहुत वरिष्ठ नेता हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल उठाया था। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि सदन में सेना के लोग लाए जाएंगे, सीआईएसएफ के जवान लाए गए और दिल्ली पुलिस को लाया गया। यह रिकॉर्ड में स्पष्ट है कि केवल मार्शल ही सदन में प्रवेश कर सकते हैं। उस दिन केवल मार्शल ही यहां थे। इसलिए, विपक्ष के नेता ने गुमराह किया और यहां झूठे तथ्य पेश किए। उन्होंने आपको भी लिखा है। जब विपक्ष के नेता सभापति को झूठा पत्र लिखते हैं और झूठे तथ्य पेश करते हैं, तो क्या कार्रवाई होनी चाहिए?