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CJI सूर्यकांत: पहले दिन 17 मामलों की सुनवाई, 9 फरवरी 2027 तक रहेगा कार्यकाल; कोलेजियम में होगा सिर्फ एक बदलाव

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Nov 24, 2025


जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के 53वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत लगभग 15 महीने इस पद पर रहेंगे और नौ फरवरी, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे। उन्होंने जस्टिस बीआर गवई का स्थान लिया है।

सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जस्टिस सूर्यकांत को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। हरियाणा (हिसार) से पहले प्रधान न्यायाधीश बनने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने ईश्वर के नाम पर हिंदी में शपथ ली। शपथ लेने के तुरंत बाद उन्होंने अपने परिवार के बड़े सदस्यों के पैर छुए।

शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी भी रहे मौजूद

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश व अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में जस्टिस सूर्यकांत को उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दीं। यह पहला मौका था जबकि प्रधान न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह में अन्य देशों के न्यायाधीश भी शामिल हुए। समारोह में भूटान, केन्या, मलेशिया, ब्राजील, मारीशस, नेपाल और श्रीलंका के न्यायाधीश शामिल हुए।

जस्टिस सूर्यकांत 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे। 30 अक्टूबर को उन्हें अगला प्रधान न्यायाधीश नामित किया गया था। शपथ लेने के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर सबसे पहले महात्मा गांधी और डा. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित की।

सीजेआई सूर्यकांत ने क्या कहा?

प्रधान न्यायाधीश का पद संभालने के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने मौखिक मेंशनिंग को लेकर स्थिति स्पष्ट की और कहा कि बहुत विशेष परिस्थितियों और बहुत अर्जेंट मामलों को छोड़कर शीघ्र सुनवाई के लिए मेंशनिंग का अनुरोध मेंशनिंग स्लिप देकर लिखित रूप से किया जाएगा। रजिस्ट्री पहले स्लिप देखेगी और उस मामले पर तत्काल सुनवाई के कारण देखने के बाद मामले को सुनवाई पर लगाने का निर्णय लिया जाएगा।

उन्होंने ये निर्देश तब दिए जब उनकी अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष एक कैंटीन ढहाने से संबंधित मामले की अर्जेंट सुनवाई के लिए मेंशनिंग की जा रही थी। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जब तक कोई विशेष परिस्थिति न हो, जैसे किसी की स्वतंत्रता का मुद्दा हो या मृत्युदंड आदि का मामला हो तभी मौखिक मेंशनिंग की जाए।

संजीव खन्ना ने बंद की थी मौखिक मेंशनिंग

इससे पहले, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मौखिक मेंशनिंग बंद कर दी थी। लेकिन जस्टिस गवई ने इसे फिर शुरू कर दिया था। निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने सोमवार को एक नई मिसाल कायम की। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी जस्टिस सूर्यकांत के शपथ ग्रहण समारोह के बाद सरकारी मर्सिडीज-बेंज कार राष्ट्रपति भवन में ही छोड़ दी। एक सूत्र ने बताया, शपथ समारोह के बाद जस्टिस गवई राष्ट्रपति भवन से एक अन्य वाहन से वापस गए।

पहले दिन 17 मामलों की सुनवाई

प्रधान न्यायाधीश के रूप में पहले दिन जस्टिस सूर्यकांत ने लगभग दो घंटे में 17 मामलों की सुनवाई की। उनके साथ पीठ में जस्टिस जोयमाल्या बागची और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर बैठे थे।

15 माह के कार्यकाल में कोलेजियम में होगा सिर्फ एक बदलाव

सुप्रीम कोर्ट के जजों को चुनने व हाई कोर्ट के जजों के ट्रांसफर पर फैसला करने वाले पांच सदस्यीय कोलेजियम में प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत के अलावा जस्टिस विक्रम नाथ, बीवी नागरत्ना, जेके महेश्वरी और एमएम सुंद्रेश शामिल होंगे। उनके लगभग 15 माह के कार्यकाल में कोलेजियम में सिर्फ एक बदलाव होगा, जब जस्टिस महेश्वरी 28 जून, 2026 को सेवानिवृत्त होंगे और जस्टिस पीएस नरसिम्हा उनका स्थान लेंगे।

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