दरअसल इसी महीने यूपी की खैर, मझवां, कुंदरकी, गाजियाबाद समेत 9 विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। 13 नवंबर को सभी सीट पर वोटिंग होनी है। उपचुनाव को लेकर सपा, कांग्रेस, बीजेपी और बसपा ने अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव की तरह इस उपचुनाव में भी इंडिया और एनडीए गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला हो सकता है। वहीं बीजेपी इस उपचुनाव में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। उम्मीदवारों की घोषणा करते हुए बीजेपी विपक्ष का सुपड़ा साफ करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सीएम योगी ने उपचुनाव में विजयश्री हासिल करने के लिए खुद कमान संभाल ली है।
इसी क्रम में सीएम योगी ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है। करीब सवा घंटा तक चली इस मुलाकात के दौरान उपचुनाव समेत कई महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर चर्चा हुई है। बताया जा रहा है कि बीजेपी इस उपचुनाव में कैसे बेहतर परफॉर्मेंस करें, इसको लेकर दोनों नेताओं के बीच बेहद अहम चर्चा हुई है। वहीं मुलाकात के दौरान सीएम योगी ने बीजेपी अध्यक्ष को 2025 में प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ का न्यौता भी दिया है। फिलहाल उपचुनाव को लेकर 13 नवंबर को होने वाली वोटिंग से कुछ दिन पहले हुई इस मुलाकात को कई मायनों में अहम माना जा रहा है।
उपचुनाव से पहले दिल्ली दौरा क्यों अहम
वहीं दिल्ली दौरे के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं। वहीं प्रदेश में जब-जब उपचुनाव हुआ है, सीएम योगी ने बीजेपी कार्यकर्ता के रूप में प्रचार की कमान संभाली है। इसका परिणाम रहा है कि NDA ने काफी कमाल किया है। गोला गोकर्णनाथ में तत्कालीन विधायक अरविंद गिरि के निधन से सीट रिक्त हुई तो 2022 में योगी के प्रचार की बदौलत अमन गिरि यहां से कमल खिलाने में सफल हुए।
मई 2023 में छानबे सीट पर उपचुनाव में अपना दल (सोनेलाल) की रिंकी कोल व स्वार टांडा में अपना दल (एस) के शफीक अंसारी चुनाव जीत चुके हैं। इसी तरह रामपुर में आकाश सक्सेना, ददरौल से उपचुनाव में अरविंद सिंह की जीत भी सीएम योगी के संवाद का ही नतीजा है। लखनऊ पूर्व से आशुतोष टंडन के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भी सीएम योगी ने भाजपा प्रत्याशी ओपी श्रीवास्तव के लिए प्रचार-प्रसार किया था। अब सीएम योगी ने 9 सीट पर पूरी ताकत झोंक रखी है।