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Dairy Sector:तीन साल की उठापटक के बाद अब संतुलन की ओर बढ़ रहा डेयरी सेक्टर, जानिए रिपोर्ट में क्या दावा – After Three Years Of Turmoil, The Dairy Sector Is Now Moving Towards Balance; Find Out What The Report Claims

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Dec 27, 2025


भारत का डेयरी सेक्टर पिछले तीन वर्षों के उतार-चढ़ाव के बाद अब सीमित सप्लाई और मार्जिन के पुनर्संतुलन (रीकैलिब्रेशन) के चरण में प्रवेश कर रहा है। यह आकलन सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज द्वारा आयोजित एक एक्सपर्ट सेशन में सामने आया।

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कोविड का दौर डेयरी के लिए चुनौतीपूर्ण रहा

रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड के बाद 2022-23 का दौर डेयरी उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण रहा। इस दौरान दूध की कीमतों में इतनी तेज गिरावट आई कि वह किसानों की उत्पादन लागत भी नहीं निकाल पा रही थीं। नतीजतन, पशु संख्या में बढ़ोतरी रुकी और दूध उत्पादन में तेज गिरावट दर्ज की गई।

हालांकि, 2023 के मध्य से हालात बदलने लगे। प्रमुख सहकारी समितियों और निजी कंपनियों ने किसानों के साथ दोबारा जुड़ाव बढ़ाया, टिकाऊ चारा कार्यक्रम शुरू किए और भरोसा बहाल किया। इसका असर अक्तूबर 2024 से मार्च 2025 के फ्लश सीजन में दिखा, जब दूध उत्पादन में करीब 25 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी हुई और अस्थायी सरप्लस बना।

इस अतिरिक्त सप्लाई को खपाने के लिए डेयरी कंपनियों ने वैल्यू-ऐडेड प्रोडक्ट्स पर जोर बढ़ाया, कोल्ड-चेन को मजबूत किया और विज्ञापन व प्रमोशन तेज किए। बड़े खिलाड़ियों ने बैकएंड निवेश और लास्ट-माइल डिलीवरी पर भी फोकस किया। हालांकि यह सरप्लस ज्यादा समय तक नहीं टिक सका।

इन कारणों का उत्पादन पर असर पड़ा 

2025 में समय से पहले और बेमौसम बारिश ने गर्मियों के सामान्य मांग-आपूर्ति चक्र को बिगाड़ दिया। इसके अलावा भू-राजनीतिक घटनाओं, खासकर भारत-पाकिस्तान तनाव, का असर पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर जैसे प्रमुख दूध उत्पादक इलाकों पर पड़ा। इसी दौरान मजबूत त्योहारी मांग ने भी भंडार को तेजी से घटा दिया।



रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के उत्तरार्ध में उद्योग सीमित सरप्लस की स्थिति में पहुंच गया है। इससे विभिन्न क्षेत्रों में दूध खरीद लागत बढ़ी है, जबकि हालिया जीएसटी कटौती के बाद उत्पाद कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में दूध की कीमतों में 1 से 1.5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।



उद्योग से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि अप्रैल 2026 के आसपास, रमजान के समय, खरीद लागत में कुछ नरमी आ सकती है। जीएसटी कटौती के बाद कीमतें कम होने और छोटे पैक में ग्रामेज बढ़ने से मांग को सहारा मिला है, लेकिन सप्लाई चेन लागत और चैनल डिसरप्शन के कारण मार्जिन पर दबाव बना हुआ है।

कंपनियां मुनाफा सुधारने के लिए इन विकल्पों पर विचार कर रही 

सिस्टमैटिक्स के मुताबिक, कंपनियां अब मुनाफा सुधारने के लिए सीमित दायरे में कीमतें बढ़ाने या अधिक वॉल्यूम वापस लेने जैसे विकल्पों पर विचार कर रही हैं। एक अहम संरचनात्मक बदलाव वैल्यू-ऐडेड प्रोडक्ट्स जैसे दही, पनीर, घी और आइसक्रीम की ओर तेज झुकाव है। आइसक्रीम की मांग अब सिर्फ चरम गर्मियों तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे साल में फैल रही है।



डिस्ट्रीब्यूशन पैटर्न भी तेजी से बदल रहा है। क्विक-कॉमर्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की हिस्सेदारी बढ़ रही है, जबकि जनरल ट्रेड का दबदबा घट रहा है। वहीं, मॉडर्न ट्रेड भले ही ब्रांड को विजिबिलिटी देता हो, लेकिन कम मार्जिन के चलते डेयरी कंपनियों को यहां भी सोच-समझकर कदम उठाने पड़ रहे हैं।



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