• Thu. Dec 4th, 2025

24×7 Live News

Apdin News

Delhi Blast:आतंकी जांच में अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम आने पर छात्रों के परिजन परेशान, सरकार को लिखा पत्र – Students Families Upset After Al Falah University Name Appears In Terror Probe

Byadmin

Dec 4, 2025


अल फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों के परिजनों ने केंद्र व राज्य सरकार को पत्र लिखकर छात्रों के भविष्य पर ध्यान देने की मांग की है। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री, डीजी हेल्थ व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को ये पत्र लिखा गया है। परिजनों की ओर से कहा गया है कि आतंकवाद और दिल्ली बम धमाके से जुड़े मामले में अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ डॉक्टर और अन्य स्टॉफ की गिरफ्तारी हुई है। सेंट्रल और स्टेट एजेंसियां जांच कर रही हैं।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसके मेडिकल कॉलेज को सीधे टेरर हब या टेरर से जुड़ा कैंपस बताया जा रहा है। इससे यूनिवर्सिटी की छवि को नुकसान हुआ है और छात्रों व अभिभावकों को डर है कि यह कलंक यूनिवर्सिटी के नाम के साथ हमेशा के लिए जुड़ जाएगा। कई साल तक भारत और विदेशों में होने वाले एम्प्लॉयर्स, लाइसेंसिंग बॉडीज और हायर-एजुकेशन इंस्टीट्यूशन में अल-फलाह से पास की गई डिग्री को शक या हिचकिचाहट से देखा जाएगा।

यूनिवर्सिटी की रिकग्निशन वापस लेने या सस्पेंड करने का अंदेशा है। इसका सीधा असर छात्रों की डिग्री की वैलिडिटी और एक्सेप्टेबिलिटी पर पड़ सकता है। छात्र यह सोच रहे हैं कि क्या उनकी कई साल की मेहनत उन हालात की वजह से बेकार हो जाएगी जो उनके कंट्रोल से पूरी तरह बाहर हैं।

फर्जी मरीजों की फाइल तैयार कराने का भी आरोप, वीडियो वायरल

अल फलाह यूनिवर्सिटी में व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल से जुड़े डॉ. मुजम्मिल, डॉ. उमर की ओर से मरीजों की फर्जी फाइल का रेकॉर्ड तैयार कराने के भी आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि स्टॉफ से जबरन ये फर्जी रेकॉर्ड वाली फाइलें बनवाई जाती थी। ऐसा न करने वाले स्टॉफ का वेतन रोकने समेत अन्य तरह से परेशान किया जाता था। इसको लेकर डेढ़ मिनट की वीडियो भी वायरल है। इस वीडियो में फर्जी फाइल को दिखाकर दावा किया जा रहा है कि ये फाइल अल फलाह अस्पताल में आतंकी तैयार करवाते थे। इसके पीछे मकसद इन फर्जी फाइलों के अनुसार मरीजों का भर्ती होना दिखाकर ग्रांट के नाम पर टेरर फंडिंग लेना बताया जा रहा है।

लाल किला ब्लास्ट की 6 माह में सुनवाई पूरी करने की मांग वाली याचिका खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिका में लाल किला बम विस्फोट मामले की सुनवाई की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने और मुकदमा छह महीने में पूरा करने का निर्देश देने की मांग थी। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि वह एक ऐसे मुकदमे की निगरानी नहीं कर सकते, जिसकी सुनवाई शुरू भी नहीं हुई है।

न्यायमूर्ति गेडेला ने पूछा, यह क्या है? सुनवाई शुरू भी नहीं हुई है, और आप चाहते हैं कि हम निगरानी करें कि सुनवाई कैसे चलाई जाए? मैं समझ सकता था अगर यह कई साल से लंबित होता, लेकिन यह तो शुरू भी नहीं हुआ। मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा कि याचिकाकर्ता यह दिखाने में विफल रहा है कि उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा, यह जनहित याचिका आपके इस अनुभव पर आधारित है कि पिछली सुनवाइयों में कई साल लग गए। और इसलिए, हमें यह मान लेना चाहिए कि इस सुनवाई में भी समय लगेगा? आप जांच, आरोपपत्र दाखिल करने की निगरानी चाहते हैं। क्या हमें निगरानी करनी चाहिए?

यह है मामला

पूर्व विधायक डॉ. पंकज पुष्कर द्वारा दायर इस याचिका में मुकदमे के सभी चरणों की निगरानी के लिए अदालत-निगरानीकृत पर्यवेक्षण तंत्र या समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने केंद्र सरकार की ओर से कहा कि जनहित याचिका गलत धारणाओं पर आधारित है और याचिकाकर्ताओं ने यह तथ्य बताना जरूरी नहीं समझा कि अब जांच दिल्ली पुलिस के पास नहीं है, बल्कि इसे राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) को हस्तांतरित कर दिया गया है। शर्मा ने कहा कि अब यह मामला यूएपीए के तहत चलेगा।

लाल किला ब्लास्ट के आरोपी जसीर वानी की हिरासत 7 दिन बढ़ी

पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को लाल किला ब्लास्ट केस के मुख्य आरोपी जसीर बिलाल वानी की हिरासत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास सात दिन और बढ़ा दी। वानी को कोर्ट में पेश किया, क्योंकि प्रधान सत्र और जिला न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने 27 नवंबर को उसकी 7 दिन की कस्टडी दी थी, जो बुधवार को खत्म होने थी। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के काजीगुंड के रहने वाले वानी को एनआईए ने 17 नवंबर को श्रीनगर में गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप है कि उसने 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के पास हुए जानलेवा कार ब्लास्ट से पहले ड्रोन को मॉडिफाई करके हमले करने और रॉकेट बनाने की कोशिश में तकनीकी मदद की थी। ब्लास्ट में 13 लोग मारे गए थे। अब तक, एनआईए ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है, जो जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा पकड़े गए एक व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल से जुड़ा है।

By admin