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Delhi Bomb Blast
– फोटो : भूपिंदर सिंह
प्रशांत विहार में बंसीवाला स्वीट्स और सीआरपीएफ स्कूल के पास हुए धमाके की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। धमाके में बेंजोइल पेरोक्साइड यानी ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल करने की बात सामने आई है। पाउडर के साथ कुछ और रसायन भी मिलाए गए थे, लेकिन रसायन कौन-कौन से थे इनका रोहिणी स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) भी अभी तक पता नहीं लगा पाई है। उधर, अधिकारियों का कहना है कि ब्लीचिंग पाउडर आज तक आतंकी वारदात या फिर बम धमाकों में इस्तेमाल नहीं किया गया है। ऐसे में या तो कोई वेस्ट सामान फेंक रहा है या फिर शरारत की जा रही है।
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मौके पर जांच करती एनएसजी कमांडो, फॉरेंसिक टीम व अन्य कई सुरक्षा एजेंसियां
– फोटो : भूपिंदर सिंह
बेंजोइल पेरोक्साइड बम धमाकों के लिए इस्तेमाल नहीं होता
लैब के अफसरों के अनुसार बेंजोइल पेरोक्साइड बम धमाकों के लिए इस्तेमाल नहीं होता। मौके से पुलिस को बम धमाके के लिए इस्तेमाल करने वाली कोई डिवाइस आदि नहीं मिली है।
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मौके पर जांच करती एनएसजी कमांडो, फॉरेंसिक टीम व अन्य कई सुरक्षा एजेंसियां
– फोटो : भूपिंदर सिंह
क्या है बेंजोइल
बेंजोइल पेरोक्साइड मुंहासे विरोधी घटक है जो जैल, क्लींजर और स्पॉट ट्रीटमेंट में पाया जाता है। इसका उपयोग हल्के से मध्यम स्तर के इलाज के लिए अलग-अलग मात्रा में किया जाता है। छिद्रों से बैक्टीरिया और मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने में प्रभावी होने के बावजूद इसकी सीमाएं हैं। ये मुंहासे के इलाज व मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया को कम करने और त्वचा को शुष्क व छिलने से बचाता है। बेहतर परिणामों के लिए इसका इस्तेमाल होता है।
सीआरपीएफ स्कूल के पास धमाके की जांच प्रशांत विहार थाना पुलिस कर रही है। जांच में आतंकी वारदात व बम धमाका होने जैसी कोई बात सामने नहीं आई, इस कारण जांच स्पेशल सेल को नहीं दी गई। दूसरे धमाके के मामले में भी प्रशांत विहार थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई। हालांकि, बाकी एजेंसियां भी जांच कर रही हैं।
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मौके पर जांच करती एनएसजी कमांडो, फॉरेंसिक टीम व अन्य कई सुरक्षा एजेंसियां
– फोटो : भूपिंदर सिंह
‘कोई शरारत नहीं धमाकों में है संदेश’
पूर्व पुलिस उपायुक्त एल न राव के मुताबिक, 40 दिनों में दो धमाकों से ऐसा लग रहा है कि यह कोई शरारत नहीं, बल्कि इसमें कोई संदेश हैं। शरारत करने वाला इतनी मेहनत नहीं करेगा। इन धमाकों के पीछे किसी आतंकी संगठन का हाथ हो सकता है। वे धमाका कर एजेंसियों को संदेश देना चाहते हैं कि हम बहुत कुछ कर सकते हैं।
विस्फोटक को इस तरह से बनाया गया है जिससे लोगों में डर पैदा हो। विस्फोटक में जिस केमिकल या पाउडर आदि का उपयोग किया गया है, वह बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। पहले सीआरपीएफ स्कूल की दीवार पर धमाका किया। फिर कुछ मीटर की दूरी पर क्राइम ब्रांच के कार्यालय के सामने धमाका हुआ।
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मौके पर जांच करती एनएसजी कमांडो, फॉरेंसिक टीम व अन्य कई सुरक्षा एजेंसियां
– फोटो : भूपिंदर सिंह
घटनास्थल पर आवाजाही रोकी
दिल्ली के प्रशांत विहार में धमाके के बाद शुक्रवार को घटनास्थल पर पुलिस ने आवाजाही रोक दी और सभी दुकानें आदि बंद रहीं। पुलिस ने दुकानों और घरों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच 20 अक्तूबर को सीआरपीएफ स्कूल की दीवार पर हुए धमाके से जोड़कर की जा रही है। धमाके की जांच पुलिस के साथ केंद्रीय एजेंसियां भी कर रही हैं, लेकिन अभी कुछ भी ऐसा हासिल नहीं हो सका है जिससे यह कहा जाए कि धमाका किसने और क्यों किया। पुलिस की स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच के अलावा एफएसएल रोहिणी, एनएसजी और एनआईए की टीमों ने नमूने आदि लिए हैं। पांच किलोमीटर के दायरे में जितने लोगों के मोबाइल संचालित हुए उन सभी का डंप डाटा लिया गया है। इससे जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है। जिस जगह पर धमाका हुआ है, वहां गाड़ियां खड़ी थीं और कूड़ा पड़ा था। इस बीच किसी ने विस्फोटक वहां पर रखा, कूड़े से ढंक दिया।