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भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़े अंतर से दिल्ली विधानसभा में जीत दर्ज की है. दिल्ली में 27 साल के लंबे अंतराल के बाद बीजेपी की सत्ता में वापसी हो रही है.
इससे पहले, 1993 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 70 में से 49 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
अब बीजेपी को 48 सीटें मिली हैं, जबकि 11 साल तक सत्ता में रही आम आदमी पार्टी के हिस्से सिर्फ़ 22 सीटें आई हैं.
ऐसे में अब सवाल यह उठने लगा है कि आखिर दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन बनेगा?
आइए जानते हैं पांच ऐसे दावेदार जिन्हें मुख्यमंत्री बनने की कतार में शामिल माना जा रहा है.
प्रवेश वर्मा
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आम आदमी पार्टी के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा की मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है.
नई दिल्ली सीट से प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को 4,089 वोटों से हराया.
प्रवेश वर्मा भारतीय जनता पार्टी का पंजाबी और जाट चेहरा हैं. प्रवेश ‘राष्ट्रीय स्वयं’ नाम का एक सामाजिक सेवा संगठन भी चलाते हैं.
वो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता दिवंगत साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं. यह परिवार दिल्ली के प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों में से एक है.
प्रवेश वर्मा के चाचा भी राजनीति में हैं. वह उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर रह चुके हैं और उन्होंने मुंडका से 2013 में विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था.
प्रवेश की पत्नी स्वाति सिंह मध्य प्रदेश के भाजपा नेता विक्रम वर्मा की बेटी हैं. प्रवेश वर्मा की दो बेटियां और एक बेटा है.
चुनाव प्रचार में उनकी दोनों बेटियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.
प्रवेश वर्मा के पिता पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा की गिनती भाजपा के दिग्गज नेताओं में होती थी. वह बीजेपी के दिग्गज जाट नेताओं में से एक थे.
पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए प्रवेश वर्मा ने भी राजनीति में प्रवेश किया.
प्रवेश वर्मा ने 2013 में पहली बार चुनाव लड़ा और महरौली से विधायक बने.
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बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें पश्चिमी दिल्ली से टिकट दिया.
इस चुनाव में वर्मा ने पांच लाख से भी ज़्यादा वोट से जीत हासिल की.
इसके बाद वह संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते संबंधी संयुक्त संसदीय समिति और शहरी विकास संबंधी स्थायी समिति के सदस्य भी रहे.
इसके बाद 2024 में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया.
फिर पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारा तो उन्होंने अरविंद केजरीवाल को मात दे दी.
चुनाव के दौरान उन्होंने बहुत आक्रामकता के साथ केजरीवाल और आम आदमी पार्टी सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की. प्रदूषण प्रबंधन, बुनियादी ढांचे सहित कई मामलों पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी.
चुनाव में संसाधनों के दुरुपयोग, यमुना प्रदूषण और मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर बीजेपी के ‘शीश महल’ के आरोपों को लेकर अरविंद केजरीवाल से उनकी तीखी नोकझोंक भी हुई.
प्रवेश वर्मा का जन्म 1977 में हुआ था. उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की.
इसके बाद किरोड़ीमल कॉलेज से बीए की डिग्री और फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए किया.
प्रवेश वर्मा बीजेपी के अरबपति विधायकों में से एक हैं.
चुनाव आयोग को दिए हलफ़नामे के अनुसार उनके पास कुल 115 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है.
अपने उग्र बयानों के कारण वो कई बार विवादों में घिर चुके हैं. 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल के बारे में एक आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी. इसके बाद चुनाव आयोग ने उन पर 24 घंटे के लिए प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
2025 के चुनाव के दौरान भी प्रवेश वर्मा पर महिला मतदाताओं को जूते बांटने का आरोप लगा था जिसके बाद चुनाव आयोग में उन पर आदर्श आचार संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया था.
राजनीतिक विश्लेषक जय मृग कहते हैं, “बीजेपी पहले दिन से ही अपने अगले चुनाव की तैयारी करने लगती है. अगला चुनाव केवल उसी राज्य का ही चुनाव नहीं होता वह किसी अन्य राज्य का भी चुनाव होता है. हरियाणा में माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में गैर जाट समुदाय ने बीजेपी को वोट दिया. ऐसे में बीजेपी के लिए यह अवसर है कि एक जाट चेहरा वापस लाए. ऐसे में प्रवेश वर्मा हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनके काम आ सकते हैं.”
वीरेंद्र सचदेवा
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वीरेंद्र सचदेवा भारतीय जनता पार्टी दिल्ली इकाई के प्रदेश अध्यक्ष हैं.
1988 से राजनीति में सक्रिय सचदेवा भारतीय तीरंदाजी संघ के सचिव और कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं.
2009 में वह प्रदेश मंत्री और 2017 में वह प्रदेश उपाध्यक्ष बने.
वीरेंद्र सचदेवा लोकसभा चुनाव के पहले से ही आक्रामक रणनीति पर काम कर रहे थे.
वीरेंद्र सचदेवा संगठन के व्यक्ति माने जाते हैं.
दिल्ली का चुनाव उनके नेतृत्व में हुआ है. ऐसे में वीरेंद्र सचदेवा का भी दावा मजबूत माना जा रहा है.
हालांकि वरिष्ठ पत्रकार शरद गुप्ता कहते हैं, “किसी भी जीत का श्रेय अमूमन अध्यक्ष के सिर बंधता है लेकिन बीजेपी में जीत का श्रेय सिर्फ़ पीएम नरेंद्र मोदी को दिया जाता है.”
मनजिंदर सिंह सिरसा
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सिख समुदाय में अच्छी पैठ रखने वाले बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा पर भी पार्टी मुख्यमंत्री का दांव खेल सकती है. बीजेपी के पास सिख समुदाय का कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है.
सिरसा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के भी अध्यक्ष रह चुके हैं.
राजौरी गार्डन से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा पहले भी इसी सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं.
विश्लेषक मानते हैं कि दिल्ली में सिरसा भी बीजेपी के लिए मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं, ताकि उनके सहारे वो पंजाब के आगामी विधानसभा चुनाव में सिख वोटर्स को लुभाने की तैयारी शुरू कर सके.
सिरसा अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के भी बहुत करीबी रह चुके हैं.
विजेंद्र गुप्ता
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दिल्ली में पूर्व नेता प्रतिपक्ष और पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को भी मुख्यमंत्री की रेस में शामिल बताया जा रहा है.
वह वैश्य समुदाय से आते हैं. दिल्ली में वैश्य समुदाय बड़ी संख्या में है.
विजेंद्र गुप्ता लगातार चुनाव जीतकर ही केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ़ मुखर और संघर्षरत रहे.
रोहिणी सीट से लगातार तीन चुनाव जीतकर उन्होंने हैट्रिक लगाई है. इस बार उन्होंने करीब 38 हजार वोटों से अपनी जीत दर्ज की है.
वो बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के भी सदस्य हैं.
विजेंद्र गुप्ता की राजनीतिक यात्रा 1997 से शुरू हुई. वह पहली बार दिल्ली नगर निगम के पार्षद चुने गए.
रेखा गुप्ता
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रेखा गुप्ता का नाम भी इस कतार में शामिल बताया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी अगर किसी महिला को मुख्यमंत्री बनाने की राय रखती है तो वह पहली पंक्ति में शामिल हैं.
शालीमार बाग से रेखा गुप्ता ने करीब 30 हज़ार वोट से जीत दर्ज की है.
वह इसी सीट पर 2020 के चुनाव में मामूली अंतर से हार गईं थीं.
रेखा गुप्ता दिल्ली नगर निगम की पार्षद और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं.
वरिष्ठ पत्रकार शरद गुप्ता कहते हैं, “महिला और वैश्य समुदाय, दोनों को ही रेखा गुप्ता के माध्यम से साधा जा सकता है.”
हालांकि बीजेपी हमेशा अपने चयन से चौंकाती रही है. उड़ीसा हो या छत्तीसगढ़, राजस्थान हो या मध्यप्रदेश, बीजेपी ने हमेशा ऐसा नाम चुना है जोकि बहुत चर्चा में ना हा हो.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित