एक तरफ़ यमुना का किनारा और दूसरी तरफ़ दरियागंज से शुरू होकर लाजपत नगर तक रिहायशी इलाक़ों की एक पतली पट्टी. ये दिल्ली विधानसभा की सीट संख्या 41 यानी जंगपुरा है.
साल 2013 में जब आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई तो बीजेपी से आए मनिंदर सिंह धीर ने दो हज़ार से भी कम वोटों से कांग्रेस के तरविन्दर सिंह मारवाह से ये सीट आम आदमी पार्टी के लिए छीनी थी.
इसके बाद प्रवीण कुमार लगातार दो बार से यहां से आम आदमी पार्टी के टिकट पर विधायक रहे और कांग्रेस के टिकट पर लड़ते रहे मारवाह का वोट प्रतिशत यहां कम होता गया.
दक्षिण पूर्वी दिल्ली की ये सीट इस बार दिल्ली विधानसभा चुनावों में नई दिल्ली विधानसभा सीट के बाद सबसे चर्चित सीट बनी हुई है. यहां ज़मीन पर कड़ा मुक़ाबला दिखाई दे रहा है.
आम आदमी पार्टी के दूसरे नंबर के नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अपनी पटपड़गंज सीट छोड़कर यहां से मैदान में हैं. मनीष के लिए सवाल सिर्फ़ जीत का नहीं बल्कि अपनी राजनीतिक विरासत को मज़बूत करने का भी है.
त्रिकोणीय है मुक़ाबला
इस बार जंगपुरा में सिर्फ़ मनीष सिसोदिया की नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी की भी प्रतिष्ठा दांव पर है.
पिछले तीन चुनावों में आप के खाते में गई जंगपुरा सीट पर इस बार कड़ा मुक़ाबला देखने को मिल रहा है.
दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का श्रेय लेने वाले मनीष सिसोदिया इस समय कथित शराब नीति घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे हैं.
2020 चुनाव में बेहद कम वोटों से पटपड़गंज विधानसभा सीट जीतने वाले सिसोदिया के सामने इस बार जंगपुरा में भी कड़ी चुनौती है. उनके सामने कांग्रेस और बीजेपी के अनुभवी उम्मीदवार हैं.
ऐतिहासिक रूप से भी, ये सीट बेहद कम अंतर से हार-जीत के लिए जानी जाती रही है.
1993 में यहां हार-जीत का अंतर सिर्फ़ ढाई हज़ार वोट के आसपास था. हालांकि इसके बाद यहां मारवाह ने अपनी पकड़ मज़बूत की और कांग्रेस के टिकट पर लगातार तीन बार जीतते हुए हर बार 50 फ़ीसदी से अधिक मत अकेले हासिल किए.
लेकिन 2013 में यहां आम आदमी पार्टी की जीत का अंतर दो हज़ार से भी कम वोट का रहा था.
मनीष सिसोदिया के सामने कांग्रेस से तीन बार विधायक रहे और अब बीजेपी का दामन थाम चुके तरविन्दर सिंह मारवाह और कांग्रेस के उम्मीदवार फ़रहाद सूरी की चुनौती है.
मारवाह का अपना लंबा राजनीतिक करियर है जबकि सूरी कांग्रेस के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से हैं.
मारवाह 1998 से लेकर 2008 तक तीन बार कांग्रेस के टिकट पर यहां से विधायक रहे.
जबकि फ़रहाद सूरी दिल्ली के मेयर रह चुके हैं. वो दिवंगत ताजदार बाबर के बेटे हैं जो दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी की अध्यक्ष भी थीं.
ताजदार बाबर मिंटो रोड सीट (जो बाद में नई दिल्ली विधानसभा) का हिस्सा बनीं की विधायक भी रह चुकी थीं.
मारवाह यहां अपनी पुरानी राजनीतिक साख़ को वापस पाना चाहते हैं तो वहीं फ़रहाद सूरी इसे कांग्रेस के दिल्ली में पुराने वैभव को वापस हासिल करने के मौक़े के रूप में देख रहे हैं.
विविध आबादी वाली सीट
दरियागंज, राजघाट, विक्रम नगर, तिलक ब्रिज, प्रगति मैदान, सुंदर नगर, निज़ामुद्दीन ईस्ट और वेस्ट, सराय काले खां, जंगपुरा, भोगल, जंगपुरा एक्सटेंशन, लाजपत नगर के कुछ इलाक़े, नेहरू नगर, हरि नगर आश्रम, सिद्धार्थ बस्ती, किलोकरी, आश्रम, सनलाइट कॉलोनी यहां की प्रमुख आबादी बस्तियां हैं.
इस सीट की ख़ास बात ये भी है कि यहां हर वर्ग की आबादी रहती है. यहां निज़ामुद्दीन ईस्ट और वेस्ट जैसी पॉश कॉलोनियों से लेकर भोगल की मध्यवर्गीय और रेलवे लाइन के पास बनीं जेजे कॉलोनियां हैं. यानी यहां अमीर वर्ग भी है, मध्यवर्ग भी और ग़रीब मतदाता भी.
यहां लाजपत नगर और दरियागंज जैसे चर्चित बाज़ार हैं जहां रोज़ाना लाखों लोग आते हैं.
इस सीट पर कुल मतदाता क़रीब 1.48 लाख हैं. आर्थिक और सामाजिक रूप से इस विविध इलाक़े के मुद्दे भी विविध हैं. यहां के लोगों के मुताबिक़ ट्रैफ़िक जाम, पानी का जमाव, सीवर और ख़राब सड़कें प्रमुख मुद्दे हैं.
निज़ामुद्दीन ईस्ट और लाजपत नगर जैसे इलाक़ों के लोगों की मांग बेहतर शहरी सुविधाएं हैं. वहीं जेजे कॉलोनियों के लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं ही सबसे बड़ा मुद्दा है.
क्या कहते हैं लोग?
इस सीट पर क़रीब 15 प्रतिशत मतदाता मुसलमान हैं जिनकी आबादी निज़ामुद्दीन दरगाह के आसपास के इलाक़े, सराय काले खां और दरियागंज में सिमटी है.
निज़ामुद्दीन दरग़ाह के पीछे बनी बस्ती में रहने वाले सोहेल का परिवार अब तक आम आदमी पार्टी का समर्थन करता रहा है.
लेकिन सोहेल अब निराश नज़र आते हैं. सोहेल कहते हैं, “चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो सभी ने निराश ही किया है. यहां रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने में ही अधिकतर लोग फंसे हैं.”
सोहेल कहते हैं, “मैं अलग उम्मीदवार को पसंद कर रहा हूं और मेरा परिवार अलग उम्मीदवार को.”
उनकी बातचीत में सरकार से निराशा झलकती है. यहां कई और लोगों की राय ऐसी ही है.
यहां से कुछ ही दूर अलवी चौक पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी की झंडे लगे हैं. पूरा चौराहा राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों से भरा हुआ है.
मुस्लिम आबादी वाली निज़ामुद्दीन बस्ती में लोगों की राय अलग-अलग है. कई मुसलमान युवा यहां कांग्रेस के प्रत्याशी फ़रहाद सूरी का समर्थन करते नज़र आते हैं.
कुछ कांग्रेस का विधायक रहने के दौरान बीजेपी उम्मीदवार तलविन्दर मारवाह का काम याद दिलाते हैं तो कई आम आदमी पार्टी की सरकार में जनता को मिल रही सहूलियतों का ज़िक्र करते हैं.
आम आदमी पार्टी का समर्थन कर रहे एक किराना दुकानदार अपना नाम न ज़ाहिर करते हुए कहते हैं, “इसमें कोई शक नहीं है कि आप के लिए इस बार जंगपुरा सीट पर मुक़ाबला कड़ा है.”
वो कहते हैं, “मुसलमान वोटों में एक बंटवारा नज़र आ रहा है. कांग्रेस और बीजेपी उम्मीदवार को भी यहां समर्थन मिलता दिख रहा है.”
इस दुकान के ठीक सामने आम आदमी पार्टी का चुनावी कार्यालय है. इससे सटकर बैठे जावेद हाशमी कहते हैं, “यहां मुक़ाबला त्रिकोणीय है. बीजेपी उम्मीदवार तरविन्दर मारवाह यहां चर्चित चेहरा हैं. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार फ़रहाद सूरी को यहां सभी जानते हैं. वो ख़ुद पार्षद रहे हैं और उनकी मां भी विधायक थीं. वहीं मनीष सिसोदिया अच्छे नेता हैं लेकिन यहां के लोग उन्हें बाहरी के रूप में देख रहे हैं.”
जावेद हाशमी कहते हैं, “हो सकता है कि मनीष सिसोदिया अपने चेहरे के दम पर यहां से जीत जाएं, लेकिन उनके लिए मुक़ाबला बहुत मुश्किल है.”
आप का बचत कार्ड
आम आदमी पार्टी का सबसे बड़ा दांव मुफ़्त की योजनाएं और महिलाओं को 2100 रुपये महीना देने का वादा है.
भोगल में आम आदमी पार्टी की रैली के लिए भारी भीड़ इकट्ठा है. हालांकि रैली में आए जिन लोगों से यहां बीबीसी ने बात की उनमें से अधिकतर या तो दिल्ली के बाहर से थे या जंगपुरा सीट के बाहर के इलाक़ों से.
यहां आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं का समूह रैली में आए लोगों को ‘बचत कार्ड’ बांट रहा था. इस कार्ड पर महिला सम्मान योजना के अलावा उन अन्य योजनाओं का ज़िक्र था जिनसे आप की फिर सरकार बनने पर मतदाताओं को आर्थिक फ़ायदा मिल सकता है.
मंच से इस कार्ड को दिखाते हुए मनीष सिसोदिया कहते हैं, “ये कम से कम पच्चीस हज़ार रुपये महीने की बचत का कार्ड है. ये फ़ायदे की राजनीति का बचत पत्र है. हिसाब लगाइये हर परिवार को हर महीने कितने का फ़ायदा केजरीवाल की सरकार में होगा.”
रैली स्थल पर जगह-जगह ये बचत कार्ड बिखरे नज़र आते हैं. यहां आई एक आप समर्थक महिला कहती हैं, “जो हमें फ़ायदा पहुंचाएगा हम उसे वोट करेंगे.”
सिसोदिया के दावों पर सवाल उठाते हुए तरविन्दर मारवाह कहते हैं, “झूठे वादों के सिवा अब उनके पास कुछ नहीं है. जनता ने पिछले दस साल में उनका काम देख लिया है. जनता इस जाल में नहीं फंसेगी.”
वहीं कांग्रेस उम्मीदवार फ़रहाद सूरी कहते हैं, “जनता इस झूठ को समझ रही है और उसे कांग्रेस के दौर का काम याद आ रहा है, जब दिल्ली का असली विकास हुआ था.”
सड़क-सीवरेज की समस्या
यहां के लोगों के लिए सीवरेज और ख़राब सड़कें सबसे बड़ा मुद्दा हैं.
प्रॉपर्टी का काम करने वाले लक्की बिंद्रा कहते हैं, “आम आदमी पार्टी ने सड़कें और सीवरेज ठीक कराने का वादा किया गया था, जो दस साल में भी पूरा नहीं हुआ.”
किराना दुकानदार राजीव कुमार भी लक्की बिंद्रा की राय से सहमत होते हुए कहते हैं, “यहां सड़कें टूटी हैं, अभी भी घरों में गंदा पानी आता है, सीवरेज की हालत बेहद ख़राब है. यहां लोग आप के मौजूदा विधायक से निराश हैं.”
ये मुद्दे सिसोदिया को भी समझ आ रहे हैं. सिसोदिया अपनी रैलियों में टूटी सड़कें बनवाने, सीवर ठीक करवाने और व्यवस्थाएं बेहतर करने का वादा बार-बार दोहरा रहे हैं.
एक रैली में सिसोदिया ने कहा, “जंगपुरा की एक-एक सड़क पांच साल के अंदर चमका दूंगा. पांच साल क्या अगले एक-दो साल में ही ये काम हो जाएगा. जिन कुछ घरों में गंदा पानी आता है, कुछ महीनों में ही ये समस्या दूर कर दी जाएगी.”
आम आदमी पार्टी का प्रचार कर रहे कार्यकर्ता भी इस बात को स्वीकार करते हैं. जंगपुरा-भोगल की एससी-एसटी आरडब्ल्यूए से जुड़े लक्ष्मी नारायण कहते हैं, “आप ने काम तो किया है लेकिन कहीं ना कहीं कुछ कमी रह गई है. सीवरेज को लेकर लोगों की शिकायत है.”
आम आदमी पार्टी का प्रचार कर रहे लक्ष्मी नारायण कहते हैं, “मनीष सिसोदिया यहां से जीत तो जाएंगे लेकिन ये आसान नहीं होगा. उन्हें ये भरोसा पैदा करना होगा कि वो लोगों के लिए उपलब्ध रहेंगे और उनके मुद्दे को प्राथमिकता देंगे.”
बाहरी उम्मीदवार का मुद्दा
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के उम्मीदवार मनीष सिसोदिया के बाहरी होने का मुद्दा भी उठा रहे हैं.
तलविन्दर मारवाह कहते हैं, “मनीष ने अगर इतना ही अच्छा काम किया है तो वो पटपड़गंज छोड़कर यहां क्यों आए हैं?”
यही सवाल करते हुए फ़रहाद सूरी कहते हैं, “मनीष पटपड़गंज बहुत मुश्किल से जीते थे. जनता के लिए वहां कुछ नहीं कर पाए तो यहां आ गए हैं.”
मनीष सिसोदिया से बाहरी उम्मीदवार होने का सवाल कई बार पूछा गया है. अपने सार्वजनिक बयान में सिसोदिया ने कहा था, “जंगपुरा को मज़बूत और ईमानदार नेतृत्व की ज़रूरत है. मैं निष्ठा से यहां के लोगों की सेवा करना चाहता हूं.”
वहीं, अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया के लिए प्रचार करते हुए बार-बार दोहराया है कि आप की सरकार में सिसोदिया फिर से डिप्टी सीएम होंगे.
एक रैली में केजरीवाल ने कहा, “आपका एमएलए डिप्टी सीएम होगा तो सभी अधिकारी फ़ोन पर ही आपके काम कर देंगे.”
हालांकि विश्लेषक मानते हैं कि मनीष के लिए भले मुक़ाबला मुश्किल हो लेकिन उन्हें अपने राजनीतिक क़द का फ़ायदा यहां मिलेगा.
राजनीतिक विश्लेषक मुकेश केजरीवाल कहते हैं, “जब भी कोई अपनी मूल सीट छोड़कर दूसरी जगह से लड़ता है तब विपक्ष ये सवाल उठाता ही है. मनीष के लिए पिछला चुनाव काफ़ी मुश्किल भी रहा था.”
“जंगपुरा में आप के मौजूदा विधायक को लेकर नाराज़गी भी दिख रही है. लेकिन बावजूद इसके, जंगपुरा के लिए मनीष सिसोदिया एक हाई प्रोफ़ाइल उम्मीदवार हैं. अगर आप की सरकार बनेगी तो मनीष फिर से उप-मुख्यमंत्री बनेंगे. ऐसे में ये संभावना अधिक है कि मनीष अपने क़द के दम पर यहां जो नाराज़गी है, उससे पार पा लेंगे.”
आप ने झौंकी ताक़त
आम आदमी पार्टी ने इस सीट पर पूरी ताक़त झौंक दी है. यहां पंजाब से आए आम आदमी पार्टी के कई कार्यकर्ता चुनाव प्रचार करते दिखे.
निज़ामुद्दीन बस्ती में प्रचार कर रहे मलेर कोटला से आए आप कार्यकर्ता साकिब अली कहते हैं, “हमारी कई लोगों की टीम है जो यहां घर-घर तक पार्टी का संदेश पहुंचाने में जुटी है.”
साकिब अली के साथ पंजाब से आए कई और कार्यकर्ता भी हैं जो निज़ामुद्दीन बस्ती की गलियों में मनीष सिसोदिया के लिए प्रचार कर रहे थे.
मुकेश केजरीवाल कहते हैं, “मनीष सिसोदिया दिल्ली में आम आदमी पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं. पार्टी उनके ही शिक्षा मॉडल का प्रचार करती है, ऐसे में इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपने सभी संसाधन भी लगा दिए हैं. क्योंकि यहां पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है.”
गुरुवार को समाजवादी पार्टी सांसद इक़रा हसन ने निज़ामुद्दीन बस्ती में मनीष सिसोदिया के समर्थन में चुनाव प्रचार किया.
बीबीसी से बातचीत में इक़रा ने कहा, “हम दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ हैं, मुझे प्रचार की ज़िम्मेदारी दी गई है.”
इक़रा ने ख़ासकर मुसलिम इलाक़ों में मनीष सिसोदिया के लिए प्रचार किया. इक़रा ने मनीष के लिए वोट की अपील करते हुए कहा, “मैं अपने बड़े भाई मनीष के लिए आपके वोट का वादा लेने के लिए आई हूं.”
आम आदमी पार्टी के इस सीट पर पूरी ताक़त झोंकने की वजह बताते हुए मुकेश केजरीवाल कहते हैं, “कांग्रेस के पास यहां खोने के लिए कुछ नहीं है, बीजेपी सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है, लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए ये सिर्फ़ प्रतिष्ठा का ही नहीं बल्कि सरकार बचाए रखने का भी सवाल है.”
पिछले चुनावों में आम आदमी पार्टी की एक लहर थी. लेकिन इस बार ज़मीन पर आप के समर्थन या विरोध में ऐसी कोई लहर नज़र नहीं आ रही है.
मुकेश केजरीवाल कहते हैं, “पिछले चुनावों में मतदान से चार-पांच दिन पहले ज़ोरदार लहर नज़र आने लगी थी. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है, इससे ज़ाहिर है कि इस बार मुक़ाबला कड़ा है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित