• Wed. Nov 20th, 2024

24×7 Live News

Apdin News

Delhi Hc Stays Trial Court Proceedings Against Chidambaram In Aircel-maxis Case – Amar Ujala Hindi News Live

Byadmin

Nov 20, 2024


Delhi HC stays trial court proceedings against Chidambaram in Aircel-Maxis case

दिल्ली हाईकोर्ट, Delhi High Court
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें



दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज एयरसेल-मैक्सिस मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर बुधवार को रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी नोटिस जारी किया और चिदंबरम की याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें धन शोधन मामले में एजेंसी द्वारा उनके और उनके बेटे कार्ति के खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा, “नोटिस जारी किया गया है। अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही स्थगित रहेगी। मामले की सुनवाई 22 जनवरी को होगी।” उन्होंने कहा कि वह बाद में विस्तृत आदेश पारित करेंगे।

चिदंबरम का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और वकीलों अर्शदीप सिंह खुराना और अक्षत गुप्ता ने दलील दी कि विशेष न्यायाधीश ने पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ अभियोजन के लिए किसी मंजूरी के अभाव में धन शोधन के कथित अपराध के लिए आरोपपत्र पर संज्ञान लिया, जो कथित अपराध के समय लोक सेवक थे।

ईडी के वकील ने याचिका की स्वीकार्यता पर शुरुआत में आपत्ति उठाई और कहा कि इस मामले में अभियोजन के लिए मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आरोप चिदंबरम के कार्यों से जुड़े हैं, जिनका उनके आधिकारिक कर्तव्यों से कोई लेना-देना नहीं है। अंतरिम राहत के रूप में चिदंबरम ने ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने की भी मांग की। निचली अदालत ने 27 नवंबर, 2021 को एयरसेल-मैक्सिस मामले में चिदंबरम और कार्ति के खिलाफ सीबीआई और ईडी की ओर से दायर आरोपपत्रों पर संज्ञान लिया और उन्हें बाद की तारीख पर तलब किया।

चिदंबरम के वकील ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197(1) के तहत अभियोजन के लिए मंजूरी प्राप्त करना अनिवार्य है और ईडी ने कांग्रेस नेता के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आज तक मंजूरी प्राप्त नहीं की है। वकील ने कहा कि वर्तमान में आरोपों पर विचार के लिए निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही तय है।

वकील के अनुसार, “धारा 197(1) सीआरपीसी के तहत संरक्षण विषय मामले में याचिकाकर्ता तक विस्तारित है और विशेष न्यायाधीश ने धारा 197(1) सीआरपीसी के तहत ईडी की पूर्व मंजूरी प्राप्त किए बिना याचिकाकर्ता के खिलाफ पीएमएलए की धारा 4 के साथ धारा 3 के तहत अपराध का संज्ञान लेने में गलती की है।”

याचिका में कहा गया है, “इसलिए 13 जून, 2018 और 25 अक्टूबर, 2018 को अभियोजन पक्ष की शिकायत में उल्लिखित अपराधों का संज्ञान लेने वाले आदेश को केवल इसी आधार पर रद्द किया जाना चाहिए और याचिकाकर्ता के लिए इसे खारिज किया जाना चाहिए।”

सीआरपीसी की धारा 197(1) के अनुसार, जब कोई व्यक्ति जो न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट या लोक सेवक है या था, जिसे सरकार की मंजूरी के बिना उसके पद से हटाया नहीं जा सकता, उस पर किसी ऐसे अपराध का आरोप लगाया जाता है जो उसके द्वारा अपने आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन से जुड़ा तो कोई भी अदालत पूर्व मंजूरी के बिना ऐसे अपराध का संज्ञान नहीं लेगी।

आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए विशेष न्यायाधीश ने कहा था कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में चिदंबरम और अन्य आरोपियों को तलब करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। ये मामले एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित हैं। यह मंजूरी 2006 में दी गई थी, जब चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे।

सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम ने अपनी क्षमता से परे जाकर सौदे को मंजूरी दी, जिससे कुछ लोगों को लाभ पहुंचा और रिश्वत ली गई।

By admin