परिवार में बचे सिर्फ 5 लोग
तहसीन के परिवार में कुल 13 लोग थे, लेकिन हादसे के बाद परिवार में सिर्फ पांच लोग बचे हैं। इनमें तसहीन की बड़ी बहू साहिबा, उनके तीन बच्चे और देवर चांद बचे हैं। साहिबा ने बताया कि उनके एक रिश्तेदार के घर शादी थी। जिसके लिए वह तीनों बच्चों के साथ एक दिन पहले ही घर से चली गईं थीं। उन्हें दो दिन बाद लौटना था। हादसे की सूचना मिली तो वह तुरंत लौट आईं। यहां आकर देखा तो उनका घर जमींदोज हो चुका था। साहिबा ने बताया कि उनके ससुर हाजी तहसीन, देवरानी चांदनी, नजीम, सायना, नजीम के तीन बच्चे और नाना इसहाक की मौत हो गई है। परिवार में कमाने वाले सिर्फ उनके देवर मोहम्मद चांद बचे हैं। साहिबा ने बताया कि उनके परिवार को अब शुरू से सब कुछ शुरू करना पड़ेगा।पड़ोसी मोहम्मद अफजल ने बताया कि तहसीन और उनका एक बेटा कबाड़ का काम करते थे। शुरुआत में इमारत में सिर्फ दो मंजिलें थीं, लेकिन 7-8 साल पहले उन्होंने दो और मंजिलें खड़ी कर दीं। इस हादसे में तहसीन की पत्नी और एक बेटे की जान बच गई। एक अन्य बेटे चांद ने इमारत गिरने के दौरान तेजी से अपने परिवार को आगाह किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
वसीम की बहन चांदनी की शादी चांद से हुई थी। वसीम ने बताया कि शुक्रवार रात 11 बजे उनकी चांदनी से आखिरी बार बात हुई थी। तब सब कुछ नॉर्मल लग रहा था। घटना की खबर मिलते ही उनकी जिंदगी पलट गई। हम पहले ही आस मोहम्मद को नॉर्थ ईस्ट दंगों में खो चुके थे। इसहाक भी तहसीन के पोते-पोतियों से मिलने आए थे, जो इस हादसे में चल बसे।
पिछले दो साल में बिल्डिंग गिरने की घटनाएं
- जनवरी 2025 में बुराड़ी के कौशिक एनक्लेव में बिल्डिंग गिरने से 5 लोगों की मौत
- मार्च 2024 में वेलकम में दो मंजिला मकान गिरने से दो मजदूरों की मौत
- अगस्त 2024 में मॉडल टाउन के महेंद्रू एनक्लेव में दीवार गिरने से एक की मौत
- अगस्त 2024 में ही दल्लूपुरा गांव में मकान की छत गिरने से बच्चे की मौत
- सितंबर 2024 में करोल बाग में दीवार गिरने से 4 लोगों की मौत
शादी के लिए परिवार देख रहा था लड़की
हादसे में किराएदार शाहिद अहमद ने अपने दो बेटों को खो दिया। उनके परिवार के बाकी दो लोग अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती हैं। अस्पताल में भर्ती शाहिद अहमद और रिहाना खातून जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे हैं। जबकि 19 साल की नेहा को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। परिवार में कोई कमाने वाला नहीं बचा है। हादसे की सूचना मिलने के बाद अस्पताल पहुंचे रिहाना के भाई शहजाद अहमद ने बताया कि उसके रिश्तेदार शाहिद अहमद अपने परिवार के साथ इस इमारत में किराए पर रहते थे। वह मूलत: धामपुर, बिजनौर, उत्तर प्रदेश का रहने वाले हैं।
‘…बेटों की मौत की बात बताई नहीं गई’
शाहिद के परिवार में पत्नी रिहाना, बेटा दानिश, नावेद और बेटी नेहा परवीन शामिल हैं। शहजाद ने बताया कि हादसे की सूचना उनके रिश्तेदारों ने उन्हें दी। जिसके बाद वह सीधा यहां पहुंचे। पूछताछ में पता चला कि हादसे के करीब 30 मिनट बाद ही रिहाना और उनके परिवार को मलबे से बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचा दिया गया, जहां दानिश और नावेद की मौत हो गई। शाहिद को अभी तक होश नहीं आया है। उनकी सर्जरी की गई है। जबकि रिहाना होश में हैं, लेकिन चोट बहुत लगी हुई है। रिहाना को अभी तक बेटों की मौत की बात बताई नहीं गई है।
शादी के लिए तलाशी जा रही थी लड़की
शहजाद अहमद ने बताया कि दानिश परिवार का बड़ा बेटा था और उसकी शादी के लिए पिछले छह माह से लड़की की तलाश की जा रही थी। परिवार जल्द ही उसकी शादी करना चाहता था, क्योंकि शाहिद की तबीयत खराब रहती थी और वह देख नहीं सकते थे। ऐसे में परिवार दानिश और नेहा की शादी जल्द करना चाहता था। दानिश अपने घर में अकेले कमाने वाले थे। नावेद 9वीं क्लास में था और नेहा घर में रहती थीं।
11 बजे झटका महसूस हुआ, भूकंप समझकर ध्यान नहीं दिया
मुस्तफाबाद में इमारत गिरने से पहले इसमें रहने वाले लोगों ने रात करीब 11 बजे झटका महसूस किया था। उन्होंने उसे भूकंप समझकर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। इसके चंद ही घंटे बाद पूरी की पूरी इमारत जमींदोज हो गई। लोगों का कहना था कि अगर उस वक्त बिल्डिंग में रहने वाले लोग झटके को नजरअंदाज नहीं करते, तो शायद सभी 11 लोगों की जान बच जाती।
तहसीन के परिवार वालों ने बताया कि पिछले कई दिनों से बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर काम चल रहा था। दरअसल तहसीन वहां मीट की दुकान तैयार करवा रहे थे। इसके लिए कागजी कार्रवाई भी हो चुकी थी। दुकान को बड़ा करने के चक्कर में हाजी तहसीन ने दो दुकानों के बीच के पार्टीशन को निकाल दिया था। शुक्रवार को भी वहां काम हुआ था। पड़ोसी सोहराब ने बताया कि रात 11 बजे उनका बेटा इमारत के पास मौजूद था। इस बीच इमारत हल्की सी खिसकी। बिल्डिंग में रहने वाले बेटे के दोस्त ने इसका जिक्र भी किया था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
60 गज के एल-शेप के मकान में दो तरफ नाली गुजरती है। ग्राउंड फ्लोर पर तहसीन ने चार दुकानें बनाईं। फिलहाल एक दुकान में प्रॉपर्टी का ऑफिस चल रहा था। दूसरी दुकान में पहले मोबाइल की दुकान थी, जिसमें अब मिठाई की दुकान खुल गई थी। बाकी दो दुकानों में मीट की दुकान खोलने की तैयारी थी।
पड़ोसी सलीम ने बताया कि हाजी तहसीन ने मकान में कॉलम और पिलर नाम के लिए ही डाले थे। ऐसे में ग्राउंड फ्लोर पर की गई छेड़छाड़ की वजह से मकान गिर गया। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि नाली का पानी बिल्डिंग की बुनियाद में जाने को इमारत कमजोर हो गई और इसी वजह से यह गिर गई।
जैसे धमाका हुआ, लोग आ गए बाहर
पड़ोसी मुकर्रम ने बताया कि देर रात उन्हें धमाके की आवाज आई। वह दौड़कर बाहर आए तो उसने देखा कि इमारत गिरी हुई थी। मलबे के अंदर से चांद के चिल्लाने की आवाज आ रही थी। लोग उन्हें बचाने के लिए दौड़े। लोगों ने उनके दोनों बच्चे और चांद को बाहर निकाला, लेकिन चांद की पत्नी चांदनी ने उनकी आंखों के सामने दम तोड़ दिया। पड़ोसी फहीम ने बताया कि वह अपने घर में सो रहे थे। इसी दौरान उन्होंने धमाके की आवाज आई। उन्हें लगा कि भूकंप आया है और इमारत गिर गई है। वह दौड़कर बाहर आए तो उन्होंने देखा कि लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे।
बचाव दल मौके पर पहुंचा
इतने में और भी लोग आ गए। वह मलबा हटाकर अंदर फंसे लोगों को निकालने की कोशिश करने लगे। इसी दौरान बचाव दल और पुलिस मौके पर पहुंच गए। उन्हें पीछे हटा दिया गया। चांद के दोस्त आशिक ने बताया कि लोग मलबा हटाकर मदद कर रहे थे। उन्हें पता चला कि उनका दोस्त जीटीबी अस्पताल में भर्ती है, तो वह उन्हें देखने के लिए अस्पताल गए। उन्हें देखकर चांद रोने लगे और अपने परिजनों के बारे में पूछने लगा। वह बार-बार बोल रहे थे कि वह अपनी पत्नी को नहीं बचा पाए।
2020 के दंगों में मारा गया था तहसीन का बड़ा बेटा
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के दौरान फरवरी 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगे भड़के थे। जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी। उनमें से एक आस मोहम्मद भी थे। दयालपुर में बिल्डिंग गिरने से जिस एक परिवार के 8 लोगों की मौत हो गई, आस मोहम्मद उसी परिवार के सबसे बड़े बेटे थे। वह 25 फरवरी 2020 से लापता थे, जिनका शव गोकुलपुरी नाले में पांच दिन बाद मिला था। शनिवार तड़के हुए हादसे के बाद तहसीन के तीन बेटों में से अब सिर्फ मोहम्मद चांद रह गए हैं।
शादी में जाने से बच गई चार की जान
परिजनों ने बताया कि आस मोहम्मद की पत्नी साहिबा अपने तीनों बच्चों को लेकर शादी में शामिल होने के लिए एक दिन पहले ही बिजनौर में अपने मायके गईं थीं। इस वजह से दंगों में उनकी जान बच गई। अगर हादसे के वक्त वो भी घर में मौजूद होते तो शायद नहीं बचते। परिवार में अब कमाने वाला तहसीन का बेटा सिर्फ मोहम्मद चांद रह गया है। उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।