थर्मल पावर प्लांट से हो रहा सबसे ज्यादा प्रदूषण
CREA की स्टडी के मुताबिक, ‘दिल्ली-एनसीआर में थर्मल पावर प्लांट 89 लाख टन पराली जलाने से निकलने वाले 17.8 किलोटन प्रदूषण के मुकाबले 16 गुना ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।’ स्टडी में कहा गया है कि जून 2022 और मई 2023 के बीच एनसीआर में कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांटों ने 281 किलोटन सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) छोड़ा।
भारत सबसे बड़ा SO₂ उत्सर्जक देश
बता दें कि भारत फिलहाल में दुनिया का सबसे बड़ा SO₂ उत्सर्जक है। यह वैश्विक मानवजनित SO₂ उत्सर्जन के 20% से ज्यादा के लिए जिम्मेदार है। ऐसा मुख्य रूप से इसके कोयला-निर्भर ऊर्जा क्षेत्र के कारण है।
थर्मल पावर प्लांट से निकल रही सबसे ज्यादा SO2
स्टडी में पाया गया कि, ‘एनसीआर थर्मल पावर प्लांट उत्सर्जन और पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने वाले उत्सर्जन के बीच तुलना SO₂ प्रदूषण के पैमाने पर प्रकाश डालती है। एनसीआर में थर्मल पावर प्लांट सालाना 281 किलोटन SO₂ उत्सर्जित करते हैं, जो 89 लाख टन पराली जलाने से उत्सर्जित 17.8 किलोटन से 16 गुना ज़्यादा है।’
पराली जलाने पर जुर्माना, लेकिन थर्मल प्लांट पर पाबंदी नहीं
स्टडी में आगे कहा गया है कि पराली जलाने से मौसमी उछाल आता है, थर्मल पावर प्लांट साल भर प्रदूषण का एक बड़ा स्थायी स्रोत हैं। यह थर्मल पावर प्लांट उत्सर्जन पर सख्त नियंत्रण की जरूरत पर जोर देता है। लेकिन थर्मल पावर प्लांटों को अक्सर नियमों से ढील मिलती है। जबकि पराली जलाने पर भारी जुर्माना लगाया जाता है।