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Delhi Pollution And Aqi Updates Air Pollution Responsible For 16 Lakh Deaths In India – Amar Ujala Hindi News Live

Byadmin

Nov 1, 2024


दिवाली की अगली सुबह जब दिल्ली-एनसीआर वालों की आंख खुली तो चारों तरफ स्मॉग और प्रदूषण ही नजर आ रहा था। दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और राष्ट्रीय राजधानी के अन्य क्षेत्रों में रहने वाले लोग भयंकर वायु प्रदूषण की मार झेल रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों से एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लगाताार ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई थी कि दिवाली के बाद ये और खराब हो सकती है। शुक्रवार की सुबह कुछ इसी तरह की स्थिति देखी गई। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, एक नवंबर (शुक्रवार) को सुबह 6 बजे दिल्ली के आनंद विहार इलाके में वायु की गुणवत्ता 395 दर्ज की गई। दिल्ली-एनसीआर के अन्य इलाकों में भी सुबह जहरीले धुएं की चादर जैसे नजारे देखने को मिले। रिपोर्ट्स के मुताबिक पहले से ही बने प्रदूषण की स्थिति के बीच दीपावली के दौरान पटाखे जलाने से हवा की गुणवत्ता और भी खराब हो गई है। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को सावधान करते हुए प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से बचने की सलाह दी है। विशेषतौर पर जिन लोगों को पहले से ही सांस और हृदय रोगों की समस्या है उनके लिए इस तरह का वातावरण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। 

सभी के लिए खतरनाक है वायु प्रदूषण

अध्ययनों से पता चलता है कि वायु प्रदूषण सभी उम्र के लोगों में अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने वाला हो सकता है। सांस की समस्याओं से इतर ये शरीर के सभी अंगों के लिए भी हानिकारक है। डॉक्टर्स का कहना है कि प्रदूषित वातावरण का बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर सबसे ज्यादा असर देखा जाता रहा है, हालांकि ये वयस्कों के लिए भी बहुत खतरनाक हो सकता है।

घरों से बाहर निकलते समय एक बार फिर से सभी लोगों के लिए मास्क पहनना जरूरी हो गया है। इसके अलावा बच्चों को स्कूल भेजते समय माता-पिता को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वायु प्रदूषण के कारण मौत के जोखिमों को बढ़ता हुआ भी देखा जा रहा है।

पटाखों के धुंआ में विषैले रसायन

अमर उजाला से बातचीत में श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ अभिजात सहाय कहते हैं, हर साल दिवाली के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। इसके कारण होने वाली बीमारियां स्वास्थ्य क्षेत्र पर अतिरिक्त बोझ को बढ़ाने वाली होती हैं।

पटाखे जलाने से सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और छोटे कण सहित कई हानिकारक वायु प्रदूषक हवा में मिल जाते हैं। ये सभी श्वसन प्रणाली के माध्यम से शरीर में पहुंचकर सांस लेने में कठिनाई और अस्थमा के दौरे का कारण बन सकते हैं। अस्थमा के रोगियों को अगले कुछ हफ्तों तक अपनी सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।

2021 में 16 लाख से अधिक की मौत

मेडिकल जर्नल द लैंसेट की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में भारत में वायु प्रदूषण के कारण 16 लाख मौतें हुईं। इनमें से 38% मौतों के लिए कोयला और तरल प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन से होने वाले उत्सर्जन को प्रमुख कारण माना गया है। लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज 2024 के अनुसार साल दर साल बढ़ता वायु प्रदूषण श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों, फेफड़ों के कैंसर, मधुमेह, तंत्रिका संबंधी विकार, गर्भावस्था की दिक्कतों को तो बढ़ा ही रहा है साथ ही इससे वैश्विक स्तर पर मृत्यु के मामलों में भी उछाल आया है।

विशेषज्ञों ने हवा में मौजूद छोटे कण पीएम 2.5 को बहुत खतरनाक पाया है जो सांस के जरिए आसानी से फेफड़ों और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

डॉक्टर अभिजात कहते हैं, अगले कुछ दिनों तक हवा की गुणवत्ता बहुत खराब बनी रह सकती है। ओपीडी में पिछले एक महीने में सांस की समस्या वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है, इसके मामले अब और अधिक हो सकते हैं। पटाखों के धुंआ से अस्थमा और श्वसन समस्याएं बढ़ सकती हैं, इसलिए जिन लोगों को सांस की बीमारी है उन्हें हमेशा अपने पास इनहेलर रखना चाहिए।

वायु प्रदूषण से खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है मास्क पहनना। बाहर निकलते समय मास्क पहनें और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। ये सभी लोगों के लिए जरूरी है। श्वसन संबंधी  किसी भी तरह की दिक्कत होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें, ये आपातस्थिति है। 

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।



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