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DMK ने लगाया गुमराह करने का आरोप तो धर्मेंद्र प्रधान ने साझा किया पत्र, सीएम स्टालिन को लिया आड़े हाथ

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Mar 12, 2025


तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और त्रिभाषा फॉर्मूले के खिलाफ है। सीएम एमके स्टालिन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार नहीं करेंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने अपील की कि पुराने विचारों से बाहर आना चाहिए और एक नया देश बनाना चाहिए। इस बीच मंगलवार को डीएमके सांसदों ने त्रिभाषा नीति के खिलाफ संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तमिलनाडु स्कूलों में हिंदी भाषा पढ़ाने का विरोध कर रहा है। इस बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु स्कूल शिक्षा विभाग का एक पत्र साझा किया है। यह पत्र 15 मार्च 2024 का है। इसमें कहा गया कि राज्य पीएम श्री स्कूल स्थापित करने के लिए बेहद उत्सुक है।

इससे पहले डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा था कि शिक्षा मंत्री का दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है। यह सदन को गुमराह करने वाला है। इसके बाद शिक्षा मंत्री ने यह पत्र साझा किया।

सहमति पत्र किया साझा

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लिखा कि कल डीएमके सांसदों और सीएम स्टालिन ने मुझ पर पीएम श्री स्कूलों की स्थापना पर तमिलनाडु की सहमति के बारे में संसद को गुमराह करने का आरोप लगाया था। मैं अपने बयान पर कायम हूं। 15 मार्च 2024 को तमिलनाडु स्कूल शिक्षा विभाग का सहमति पत्र साझा कर रहा हूं।

जनता को जवाब देना होगा

शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि डीएमके सांसद और माननीय सीएम जितना चाहें झूठ का अंबार लगा लें। मगर सीएम स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार को तमिलनाडु के लोगों को बहुत कुछ जवाब देना होगा। भाषा के मुद्दे को ध्यान भटकाने की रणनीति के रूप में उठाना और अपनी सुविधा के मुताबिक तथ्यों को नकारना उनके शासन और कल्याण घाटे को नहीं बचा पाएगा।

अचानक यह बदलाव क्यों?

प्रधान ने आगे पूछा कि एनईपी पर रुख में अचानक यह बदलाव क्यों? निश्चित रूप से सियासी स्वार्थ और डीएमके के राजनीतिक भाग्य को पुनर्जीवित करने की खातिर होगा। डीएमके की यह राजनीति तमिलनाडु और वहां के छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के लिए बड़ा नुकसान है।

सुधा मूर्ति का किया जिक्र

धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति के साथ अपनी बातचीत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैंने सुधा मूर्ति जी से पूछा कि आप कितनी भाषाएं जानती हैं? जवाब में उन्होंने कहा कि जन्म से वह कन्नड़ हैं, पेशे से उन्होंने अंग्रेजी सीखी, अभ्यास से उन्होंने संस्कृत, हिंदी, ओडिया, तेलुगु और मराठी सीखी। इसमें गलत क्या है?
सुधा मूर्ति जी पर इन भाषाओं को सीखने का किसने दबाव बनाया? कोई किसी पर कुछ नहीं थोप रहा है। यह एक लोकतांत्रिक समाज है। कई बार आपको बहुभाषी बनना चाहिए। इस बीच तमिलनाडु सीएम ने राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू नहीं करने का एलान किया है। 
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