Election Commission meetings लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर उठे सवालों के बाद चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ विश्वास बहाली की प्रक्रिया तेज कर दी है। आयोग अब तक 4719 बैठकें कर चुका है जिनमें विधानसभा जिला और राज्य स्तर के दलों के प्रतिनिधि शामिल रहे। पहली बार बीएलओ को प्रशिक्षण व पहचान पत्र दिए गए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में चुनाव की भले ही एक तय प्रक्रिया है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव सहित कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में हारने के बाद राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी व्यवस्था पर जिस तरह से सवाल खड़े किए, उससे चुनावी व्यवस्था पर संदेह बढ़ने के साथ राजनीतिक दलों के साथ भरोसे में कमी भी आई।
यही वजह है कि चुनाव आयोग अब राजनीतिक दलों के साथ भरोसे को मजबूती देने और सन्देहों को दूर करने के लिए राजनीतिक दलों के साथ विमर्श तेज किया है। इसमें विधानसभा स्तर से लेकर जिला, राज्य और अब राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक दलों के साथ बैठक चल रही है। आयोग ने इस कड़ी में गुरुवार को आम आदमी पार्टी के साथ भी बैठक की है। इसमें पार्टी प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे।
आयोग ने पार्टियों के साथ की बैठक
चुनाव आयोग इससे पहले भाजपा, बसपा व पीपीपी जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के साथ भी बैठक कर चुका है। इसमें उनसे जुड़ी शंकाओं को दूर करने के साथ ही चुनावी प्रक्रिया को सशक्त व पारदर्शी बनाने के सुझाव लिए जा रहे है। आयोग के मुताबिक, राजनीतिक दलों की चुनावी शंकाओं को दूर करने के लिए पहली बार देश भर के बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) का प्रशिक्षण शुरू किया गया है।
इस दौरान उन्हें मतदाता सूची तैयार करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के साथ उन्हें पहली बार पहचान पत्र से भी लैस किया गया है। इसके साथ ही आयोग ने चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अन्य कर्मचारियों व अधिकारियों को भी नए सिरे से प्रशिक्षण देने का अभियान छेड़ा है। इनमें ईआरओ, एआरओ, पुलिस अधिकारी आदि शामिल है।
चुनाव आयोग की अब कितनी बैठकें हुईं?
आयोग के मुताबिक, राजनीतिक दलों के साथ भरोसे को बढ़ाने के लिए अब तक 4719 बैठकें हो चुकी है। इनमें से 3879 बैठकें विधानसभा स्तर पर हुई है, इसमें सभी राजनीतिक दलों से जुड़े 28 हजार प्रतिनिधियों से हिस्सा लिया है।
आयोग को ये बैठकें क्यों करनी पड़ रहीं?
इसके साथ ही राजनीतिक दलों के साथ 800 बैठकें जिला स्तर पर जिला निर्वाचन अधिकारी के साथ और करीब 40 बैठकें राज्य स्तर पर राज्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के साथ हो चुकी है। आयोग के मुताबिक, अब बीएलओ के प्रशिक्षण और राजनीतिक दलों के साथ चर्चा का यह सिलसिला लगातार चलता रहेगा। वैसे भी इस शंकाओं के पीछे प्रशिक्षण की कमी व नियमों की ठीक तरीके से जानकारी का न होना भी है।
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