चुनाव आयोग ने मतदान आंकड़ों में अंतर को लेकर राजनीतिक दलों की आशंकाओं का समाधान खोज लिया है। अब किसी भी मतदान केंद्र पर 1200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। आयोग के सूत्रों ने बताया है कि एक दशक से अधिक समय से यह मुद्दा लंबित रहा है। इसलिए आयोग ने तय किया है कि भविष्य में किसी भी चुनाव में किसी भी मतदान केंद्र पर 1200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। इससे मतदान समय से पहले पूरा हो सकेगा और लंबी कतारें नहीं लगेंगी। अभी तक एक मतदान केंद्र पर 1500 तक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग पर मतदान प्रतिशत के आंकड़ों में बड़े बदलाव का आरोप लगाया था।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने लंबित मुद्दों के सक्रिय और निर्णायक कदम उठाने शुरू किए
नए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कार्यभार संभालने के करीब एक महीने के अंदर दशकों से लंबित विरासत संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए सक्रिय और निर्णायक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए 31 मार्च से पहले ईआरओ, डीईओ और सीईओ के स्तर पर सर्वदलीय बैठकें करने का फैसला किया। आयोग ने पहली बार, इस साल 30 अप्रैल तक कानूनी ढांचे के अंदर सभी राष्ट्रीय और राज्य दलों से सुझाव मांगे हैं। अगले 3 महीनों में लगभग 25 वर्षों से लंबित डुप्लीकेट ईपीआईसी मुद्दे का समाधान देने पर भी आयोग ने सहमति दी है।
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एजेंटों, मतदान एजेंटों और मतगणना एजेंटों को देगा प्रशिक्षण
आयोग बूथ स्तर के एजेंटों, मतदान एजेंटों, मतगणना एजेंटों और चुनाव एजेंटों सहित क्षेत्र स्तर के राजनीतिक एजेंटों को पहली बार कानूनी ढांचे के अनुसार उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में प्रशिक्षण देगा। मतदाताओं के प्रति आयोग की अटूट प्रतिबद्धता का नतीजा है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी वास्तविक भारतीय नागरिकों का मतदाता कार्ड बनाया जाएगा। इस कड़ी में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ना एक कदम है। इसके अलावा 18 मार्च को होने वाली बैठक में भी चुनाव आयोग राजनीति दलों की चिंताओं पर विस्तार से चर्चा करेगा। बैठक में गृह सचिव, प्रशासनिक प्रमुख और अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल होंगे।