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Eurodrone Project India,यूरोप का किलर ड्रोन प्रोग्राम ‘यूरोड्रोन’ क्या है जिसका सदस्‍य बना भारत, भारतीय वायुसेना की बल्ले-बल्ले – india joins eurodrone european combat drone program as observer big boost for indian air force

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Jan 23, 2025


पेरिस: भारत आधिकारिक तौर पर एक पर्यवेक्षक राष्ट्र के रूप में यूरोप के मल्टीनेशनल यूरोड्रोन कार्यक्रम में शामिल हो गया है। यह घोषणा ऑर्गनाइजेशन ऑफ ज्वाइंट आर्मामेंट कोऑपरेशन (OCCAR) ने की है। उसने अत्याधुनिक यूरोड्रोन मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (MALE) रिमोटली पायलटेड एयर सिस्टम (RPAS) कार्यक्रम में भारत की भागीदारी का स्वागत किया है। इस प्रोग्राम में शामिल होने से भारतीय रक्षा उद्योगों खासकर वायुसेना को सबसे ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है। इतना ही नहीं, भारत को यूरोप की स्टेट ऑफ ऑर्ट रक्षा तकनीक के मिलने की संभावना भी कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी।

यूरोड्रोन में यूरोप की कई प्रमुख कंपनियां शामिल

OCCAR यूरोप की कई प्रमुख डिफेंस प्रोजेक्ट की देखरेख करता है। इनमें A400M एटलस एयरलिफ्टर, बॉक्सर आर्मर्ड यूटिलिटी व्हीकल, टाइगर अटैक हेलीकॉप्टर और होराइजन मिड-लाइफ अपग्रेड (MLU)/FREMM मल्टीरोल फ्रिगेट शामिल हैं। सीसीएआर-कार्यकारी प्रशासन (ईए) के निदेशक जोआचिम सकर ने 21 जनवरी को बर्लिन में भारतीय दूतावास को पर्यवेक्षक राष्ट्र का स्वीकृति पत्र व्यक्तिगत रूप से सौंपा। सीसीएआर-ईए निदेशक ने इस उपलब्धि पर भारत सरकार को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि यह दीर्घकालिक, फलदायी और पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग की नींव रखेगा।

जापान के बाद दूसरा देश बना भारत

यूरोड्रोन कार्यक्रम में भारत का शामिल होना रक्षा क्षेत्र में एक बहुत बड़ी घटना है। ऐसे में भारत अब जापान के बाद पर्यवेक्षक का दर्जा पाने वाला दूसरा एशिया-प्रशांत देश बन गया है। नवंबर 2023 में जापान के पर्यवेक्षक के रूप में प्रवेश के बाद, अगस्त 2024 में पर्यवेक्षक के दर्जे के लिए भारत का आवेदन प्रस्तुत किया गया था। पर्यवेक्षक बनने से भारत को यूरोड्रोन के तकनीकी डेटा तक पहुंच और विमानों के लिए ऑर्डर देने की क्षमता बढ़ जाएगी। हालांकि, पर्यवेक्षक देश प्लेटफ़ॉर्म के डिज़ाइन, विकास या भाग लेने वाले देशों के बीच वर्कशेयर के वितरण के बारे में निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में शामिल नहीं होते हैं।

यूरोड्रोन भारत की रक्षा रणनीति का हिस्सा

OCCAR ने भारत को मिलने वाले विशिष्ट लाभों के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन यह कदम भारत की व्यापक रक्षा रणनीति के अनुरूप है, जिसमें वैश्विक भागीदारों के साथ प्रौद्योगिकी सहयोग को गहरा करना शामिल है। यूरोड्रोन कार्यक्रम में भारत की भागीदारी अक्टूबर 2024 में जर्मनी के साथ हस्ताक्षरित एक संयुक्त रक्षा सहयोग समझौते के तुरंत बाद हुई है। यह समझौता प्रौद्योगिकी सहयोग, सह-उत्पादन और रक्षा प्लेटफार्मों के सह-विकास के लिए प्रतिबद्धताओं को रेखांकित करता है।

अरबों डॉलर का प्रोजेक्ट है यूरोड्रोन

2016 में शुरू किए गए यूरोड्रोन कार्यक्रम का अनुमानित मूल्य €7 बिलियन ($7.3 बिलियन) है और इसका नेतृत्व फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन के चार यूरोपीय देश कर रहे हैं। एयरबस, डसॉल्ट और लियोनार्डो जैसे प्रमुख उद्योग भागीदार इस परियोजना को आगे बढ़ा रहे हैं। इस परियोजना को अमेरिकी MQ-9B रीपर जैसी गैर यूरोपीय सिस्टम पर यूरोप की निर्भरता को कम करने के लिए तैयार किया गया है। हालांकि, यूरोड्रोन कार्यक्रम में देरी और बढ़ती लागत की समस्या रही है।

भारतीय वायुसेना को होगा फायदा

यूरोड्रोन प्रोग्राम से सबसे ज्यादा फायदा भारतीय वायुसेना को होने की उम्मीद है। भारतीय वायुसेना अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए कई चुनौतियों का सामना कर रही है। इसमें इंजन की सप्लाई में आ रही देरी एक बहुत बड़ी समस्या है। भारत अभी तक खुद का जेट इंजन भी विकसित नहीं कर सका है। ऐसे में यूरोड्रोन जैसे कार्यक्रम के जरिए भारत यूरोपीय भागीदारों को साथ मिलकर विमानन क्षेत्र में लंबी छलांग लगा सकता है।

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