इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले चर्चित कोचिंग संस्थान फ़िटजी (FIITJEE) के कई सेंटर अचानक बंद हो जाने से छात्र और उनके परिवार वाले परेशान हैं.
उत्तर प्रदेश और दिल्ली में कई सेंटरों के बाहर कोचिंग ले रहे छात्रों और उनके अभिभावकों ने प्रदर्शन भी किए हैं.
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में पुलिस ने फ़िटजी सेंटर संचालकों के ख़िलाफ़ मुक़दमा भी दर्ज किया है. यूपी के कई अन्य थानों में फ़िटजी के ख़िलाफ़ शिकायतें भी दी गई हैं.
हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम पर अभी तक फ़िटजी प्रबंधन की तरफ़ से कोई बयान नहीं आया है.
दिल्ली के लक्ष्मी नगर और नोएडा के सेक्टर 62 स्थित फ़िटजी के प्रमुख सेंटर भी अचानक बंद हो गए हैं.
इसके अलावा ग़ाज़ियाबाद, मेरठ, लखनऊ और वाराणासी जैसे शहरों से भी फ़िटजी संस्थान बंद होने की रिपोर्टें हैं.
नोएडा पुलिस ने बीबीसी से सेक्टर 58 पुलिस थाने में मुक़दमा दर्ज किए जाने की पुष्टि की है.
ग़ाज़ियाबाद में दस दिन पहले दर्ज एफ़आईआर के मुताबिक़, प्रभावित छात्रों के परिजनों ने फ़िटजी पर अचानक सेंटर बंद करने और छात्रों की तैयारी को प्रभावित करने के आरोप लगाए हैं.
अभिभावकों की तरफ़ से पुलिस को दी गई शिकायत में ये दावा भी किया गया है कि सेंटर के अध्यापकों को भी वेतन नहीं दिया जा रहा था.
अचानक कई सेंटर बंद हो जाने से फ़िटजी की वित्तीय हालत को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
छात्रों की परेशानी
नीट और आईआईटी-जेईई की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए ये अहम समय है.
जेईई की परीक्षा साल में दो बार होती है.
24 जनवरी यानी शुक्रवार को भी जेईई की परीक्षा है. अगली परीक्षा अप्रैल में हो सकती है. वहीं नीट की परीक्षा आमतौर पर अप्रैल-मई में होती है.
उत्तर प्रदेश के नोएडा में थाने में एफ़आईआर कराने पहुंचे एक परिजन अविनाश कुमार ने बताया, “बच्चों के भविष्य का सवाल है. सेंटर के प्रबंधन के फ़ोन बंद है, मौके पर कोई नहीं है. अब हम अपने बच्चों को कहां लेकर जाएं?”
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए एक और परिजन राजीव कुमार चौधरी ने कहा, “हम एफ़आईआर कराने थाने में आए हैं. मेरा बेटा दसवीं क्लास में है, उसने पांच साल का कोर्स लिया था. मेरे बेटे ने तीन साल यहां तैयारी की है लेकिन अब उसके दो साल बचे हैं.”
उन्होंने कहा, “फ़िटजी ने हमें दूसरे संस्थान में बच्चे को ले जाने के लिए कहा है. फ़िटजी ये तय नहीं कर सकता है कि हम अपने बच्चे को कहां पढ़ाएंगे.”
राजीव कुमार ने कहा, “मेरे बच्चे के दसवीं के इम्तेहान हैं, वो तनाव में रात भर सो नहीं पा रहा है.”
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों (आईआईटी) में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा जेईई का आयोजन करती है. बारहवीं पास करने वाले छात्र इस परीक्षा में शामिल होते हैं.
कई छात्र क्लास 9 से ही इस परीक्षा की तैयारी करते हैं. ऐसे बहुत से छात्र, फ़िटजी के चार वर्षीय कोचिंग कार्यक्रम में दाख़िला लेते हैं.
प्रदर्शन करने वाले कई परिजन ऐसे हैं जिनके बच्चे पिछले दो-तीन सालों से इस संस्थान में कोचिंग ले रहे हैं.
फ़िटजी का सफ़र
आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले इंजीनियर डीके गोयल ने साल 1992 में फ़ोरम फॉर आईआईटी-जेईई शुरू किया था.
इस संस्थान का मक़सद आईआईटी में दाख़िला लेने का सपना देखने वाले बच्चों को तैयारी में मदद करना था.
शुरुआत में दिल्ली में फ़िटजी का एक छोटा सा कोचिंग केंद्र था. कुछ ही सालों में इस संस्थान ने आईआईटी जेईई प्रवेश परीक्षा के टॉप रैंकर छात्र तैयार कराने की साख़ बना ली.
फ़िटजी ने अगले कुछ सालों में कोचिंग की दुनिया में अपनी अलग जगह बनाई और ये आईआईटी के लिए कोचिंग कराने वाले संस्थानों का पर्याय बन गया.
हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, लखनऊ और अन्य बड़े शहरों में फ़िटजी के केंद्र खुल गए. मौजूदा समय में फ़िटजी के देश में 73 कोचिंग सेंटर हैं.
इसके अलावा फ़िटजी के दो ग्लोबल स्कूल, 6 फ़िटजी वर्ल्ड स्कूल और 49 सहयोगी स्कूल हैं.
यह कोचिंग संस्थान कक्षा 6 से 12वीं तक के छात्रों के लिए कई कार्यक्रम चलाता है. जेईई के अलावा यहां नीट (मेडिकल प्रवेश परीक्षा), बोर्ड एग्ज़ाम और कई अन्य परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है.
फ़िटजी ने इंटीग्रेटेड स्कूल प्रोग्राम भी शुरू किए जिनके ज़रिए छात्र प्रवेश परीक्षा के साथ-साथ बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी भी करते हैं.
पिछले तीन दशकों में फ़िटजी से निकलकर हज़ारों छात्रों ने आईआईटी से इंजीनियरिंग करने का सपना पूरा किया.
लेकिन अब ये संस्थान सवालों में है. अध्यापकों का वेतन न दिए जाने के आरोपों के बाद फ़िटजी की वित्तीय सेहत को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
फ़िटजी की वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान में इस संस्थान के चैयरमैन डीके गोयल कहते हैं, “सिर्फ़ आईआईटी-जेईई की कोचिंग कराने वाले संस्थान से लेकर गंभीर शिक्षा के मामले में सबसे ताक़तवर ब्रांड बनने तक का फ़िटजी का सफ़र उत्साहवर्धक रहा है. लेकिन फ़िटजी में हमारा सफ़र कभी ख़त्म नहीं होगा, हमारे लिए ये सफ़र ही मंज़िल है.”
फ़िटजी के कई सेंटर फ्रेंचाइज़ी मॉडल पर चलते हैं. यानी फ़िटजी के ब्रैंड के साथ स्थानीय संचालक इन सेंटरों का प्रबंधन संभालते हैं.
कोचिंग सेंटर की चुनौती
फ़िटजी कोचिंग की दुनिया का एक प्रतिष्ठित संस्थान रहा है. ख़ासकर जेईई की तैयारी कराने वाले संस्थानों में ये अग्रणी है.
हरियाणा में एक कोचिंग संस्थान से जुड़े नवीन कोचिंग उद्योग की चुनौतियां बताते हुए कहते हैं, “कोचिंग संस्थानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये होती है कि बहुत से छात्र दाख़िला लेकर पूरी फ़ीस जमा नहीं करते.”
वो कहते हैं, “कई बीच में ही कोचिंग छोड़ देते हैं. ऐसे में, कई बार, प्रबंधन के सामने कर्मचारियों को वेतन देने का संकट पैदा हो जाता है.”
नवीन कहते हैं, “कोचिंग संस्थानों के पास ऐसा कोई मैकेनिज़्म नहीं होता जिसके ज़रिए दाख़िला लेने वाले छात्रों से फीस वसूली जा सके. क्योंकि कोचिंग संस्थान के पास रोकने के लिए कोई रिज़ल्ट नहीं होता है.”
वहीं फ़िटजी के सेंटर के एक अध्यापक ने अपना नाम न ज़ाहिर करते हुए बताया कि टीचिंग स्टाफ़ तक के सामने दो सबसे बड़ी चुौतियां थीं- एक समय पर वेतन ना मिलना और दूसरा तीन साल तक काम करने का कांट्रैक्ट.
एडटेक फ़र्म ईकोर्स के फ़ाउंडर और दो दशकों तक कोटा कोचिंग इंडस्ट्री में काम कर चुके डॉक्टर सोमवीर तायल का कहना है कि इस संकट की वजह प्रबंधन नज़र आता है.
सोमवीर तायल कहते हैं, “फ़िटजी के कोचिंग सेंटर के अचानक बंद हो जाने की बड़ी वजह ये है कि यहां पढ़ाने वाले टीचर छोड़कर जा रहे हैं. समय पर वेतन ना मिलना इसका बड़ा कारण बताया जा रहा है.”
हालांकि, अचानक सेंटर बंद हो जाने का सबसे ज़्यादा असर यहां तैयारी कर रहे छात्रों पर पड़ सकता है.
तायल कहते हैं, “कोचिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को ज़िम्मेदारी लेकर कोई ऐसा हल निकालना चाहिए जिससे बच्चों का नुकसान ना हो, क्योंकि ये वो समय है जब छात्रों के एग्ज़ाम शुरू हो गए हैं और तीन से चार महीने में सभी परीक्षाएं हो जाएंगी.”
तायल कहते हैं कि ‘ऐसी स्थिति में क्या किया जाए, इसके लिए दिशानिर्देश भी बनने चाहिए.’
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.