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‘G20 समिट से एक घंटे पहले PM मोदी ने मुझसे पूछा…’ जब चीन-रूस को मनाने के लिए अमिताभ कांत ने संभाला मोर्चा

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Jan 12, 2025


भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने हाउ इंडिया स्केल्ड माउंट जी20 द इनसाइड स्टोरी ऑफ द जी20 प्रेसीडेंसी अपनी किताब में जी 20 शिखर सम्मेलन से जुड़ी एक दिलचस्प बातों का जिक्र किया है। उन्होंने किताब में इस बात का जिक्र किया कि कैसे रूस-यूक्रेन और अमेरिका-चीन के रिश्तों में खटास के बीच सभी नेताओं को नई दिल्ली घोषणा-पत्र के लिए सहमत करना एक बड़ा कठिन काम था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  पिछले साल जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाले भारत की सराहना पूरी दुनिया ने की। दुनिया भर के कई दिग्गज नेता पिछले साल आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में शिरकत करने के लिए भारत आए थे। सम्मेलन को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार और नौकरशाही मशीनरी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।

भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने “हाउ इंडिया स्केल्ड माउंट जी20: द इनसाइड स्टोरी ऑफ द जी20 प्रेसीडेंसी” अपनी किताब में जी 20 शिखर सम्मेलन से जुड़ी एक दिलचस्प बातों का जिक्र किया है। उन्होंने किताब में लिखा कि जी- 20 शिखर सम्मेलन शुरू होने से एक घंटे पहले तक नई दिल्ली घोषणा-पत्र NDLD (New Delhi Leaders’ Declaration) पर आम सहमति नहीं बन पाई थी। पीएम मोदी लगातार इसका अपडेट ले रहे थे।

जब 9 सितंबर की सुबह पीएम मोदी ने लिया तैयारियों का जायजा

अमिताभ कांत ने किताब में लिखा,”9 सितंबर की सुबह प्रधानमंत्री तैयारियों का जायजा लेने भारत मंडपम पहुंचे थे। मैंने उन्हें तैयारियों के बारे में जानकारी दी।  जब उन्होंने नेताओं की घोषणा के बारे में पूछा, तो मैंने अमेरिका और चीन के बीच संघर्ष की जानकारी दी। मैंने बताया कि घोषणा पत्र को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
वह एक पल के लिए रुके और कहने लगे कि बहुपक्षीय बैठक में द्विपक्षीय मुद्दों को क्यों उठाया जा रहा है, जवाब देने से पहले उन्होंने कहा कि वह  प्रक्रियाओं में नहीं पड़ना चाहते, लेकिन परिणाम ‘आम सहमति’ बहुत जल्द देखना चाहते हैं।

अमिताभ कांत ने किताब में बताया कि 37 पेज की घोषणा पत्र पर सभी देश के नेताओं की आम सहमित बनने के लिए भारत सरकार को काफी मेहनत करनी पड़ी। 250 से अधिक द्विपक्षीय बैठकों में 300 घंटे की बातचीत के बाद भी लगातार संशोधन और आपत्तियों का सामना करना पड़ा।

यूक्रेन मुद्दे पर रूस था नाराज

यूक्रेन मुद्दे को लेकर दिल्ली घोषणा-पत्र पर आम सहमति का मामला अटका हुआ था। रूस प्रतिबंध शब्द शामिल करने पर जोर दे रहा था। इसे लेकर मैंने ढाई घंटे तक रूसी संघ के विदेश मामलों के उप मंत्री अलेक्जेंडर पैनकिन के साथ बातचीत की।  हमने रूस के प्रतिनिधि को बताया कि यह संभव नहीं है और अन्य देश इसके लिए तैयार नहीं होंगे। वहीं,  वार्ता के दौरान जी-7 देश भारत पर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को आमंत्रित करने के लिए दबाव डाल रहे थे, लेकिन हमारा मानना था कि अतिथि सूची केवल जी-20 नेताओं तक ही सीमित रहे।

चीन-अमेरिका के संघर्ष का कैसे निकला हल?

वहीं, अमेरिका और चीन के बीच द्विपक्षीय टकराव की वजह से आम सहमति नहीं बन पा रही थी। चीन का कहना था कि 2026 जी20 शिखर सम्मेलन अमेरिका में आयोजित किया जाएगा। अमेरिका उन्हें (चीन) वीजा नहीं देगा, यहां तक कि हांगकांग के उनके गवर्नर को भी नहीं वीजा नहीं मिलेगा। चीन का कहना था कि जब तक उन्हें लिखित गारंटी नहीं मिल जाती कि उन्हें वीजा जारी किया जाएगा, तब तक वे भू-राजनीतिक प्रावधानों से सहमत नहीं होंगे।
  9 सितंबर को एक तरफ जहां नौ बजे सुबह जी-20 देशों के नेताओं की बैठक शुरू हुई तो वहीं दूसरी ओर हॉल के नजदीक मैंने दोनों देशों (अमेरिका और चीन) के शेरपाओं से बात की। “मैंने (यूएस शेरपा माइक) पाइले और ली (चीनी टीम के प्रमुख केक्सिन) के साथ मिलकर पत्र का विवरण तैयार किया।  हमने ‘गारंटी’ के बजाय ‘सुनिश्चित’ शब्द का उपयोग करने का विकल्प चुना। इस तरह हमने द्विपक्षीय मामले को सफलतापूर्वक  समाधान निकाला।
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