भारतीय सेना के अधिकारी ने सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर बात की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर एक योजनाबद्ध और लक्ष्य आधारित कार्रवाई थी, जिसका मकसद दुश्मन की आतंकवादी गतिविधियों और घुसपैठ में मदद करने वाली चौकियों को पूरी तरह खत्म करना था। सैन्य अधिकारी ने कहा कि गोली दुश्मनों ने चलाई थी, लेकिन धमाका हमने किया। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि यह ऑपरेशन कोई प्रतिक्रिया नहीं था, बल्कि पहले से तैयार की गयई जवाबी कार्रवाई थी।
दुश्मन के हौसले किए चकनाचूर
अधिकारी ने बताया कि सेना ने इस ऑपरेशन में स्वदेशी रडार सिस्टम और टारगेट एक्विजिशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से भारी गोला-बारी हुई, लेकिन भारतीय सेना ने अपने किसी जवान को नुकसान नहीं होने दिया।
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उन्होंने कहा कि ऑपरेशन में न सिर्फ दुश्मनों के चौकियों को तबाह किया गया, बल्कि उनके मनोबल को भी चकनाचूर कर दिया। अधिकारी ने कहा कि जब उन्होंने हमारे गांवों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना शुरू किया, तब हमने भी तय कर लिया कि हर गोला उनके खिलाफ जवाब बनेगा।
सेना प्रमुख ने की जवानों से मुलाकात
बता दें कि इससे पहले रविवार को सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने राजस्थान के लोंगेवाला में जाकर कॉनार्क कोर के जवानों से मुलाकात की। साथ ही उनके साहस की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना, वायुसेना और बीएसएफ ने मिलकर शानदार तालमेल से दुश्मन के इरादों को नाकाम किया।
उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन राजस्थान के जैसलमेर से लेकर कच्छ तक फैले रेगिस्तान में चला, जहां भीषण गर्मी में भी जवानों ने पूरी मुस्तैदी दिखाई। इसके साथ ही सेना प्रमुख ने जवानों की हिम्मत, समर्पण और पराक्रम को सलाम करते हुए कहा कि देश को आप पर गर्व है।
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ऑपरेशन सिंदूर, जिससे दहल उठा दुश्मन
गौरतलब है कि 6 से 7 मई की दरमियानी रात को 1:05 बजे से लेकर 1:30 बजे तक सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। 25 मिनट के इस ऑपरेशन में 24 मिसाइलों के जरिए नौ आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया गया। इन नौ ठिकानों में से पांच पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में थे, वहीं चार पाकिस्तान में थे। इन ठिकानों में आतंकियों को भर्ती किया जाता था। उन्हें प्रशिक्षित किया जाता था। इतना ही नहीं भारतीय सेना के इस कार्रवाई में आतंकी मसूद अजहर के परिवार के दस लोगों की मौत हो गई।