दिल्ली एनसीआर में शुक्रवार को भी वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार ‘गंभीर’ स्थिति में है और वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) 3 प्रतिबंधों को लागू कर दिया गया है.
यह प्रतिबंध अगले आदेश तक शुक्रवार की सुबह आठ बजे से लागू कर दिया गया है.
बीते तीन दिनों से दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर बना हुआ है और 39 में से 27 निगरानी केंद्रों में वायु प्रदूषण ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया है.
प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने पांचवीं तक के स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए हैं हालांकि ऑनलाइन क्लासेज़ जारी रहेंगी.
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा कि शहर में प्रदूषण के स्तर के बढ़ने के कारण प्राइमरी स्कूल की कक्षाओं को अगले आदेश तक ऑनलाइन कर दिया गया है.
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग या कमिशन फ़ॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने कहा कि दिल्ली और एनसीआर के गुरुग्राम, फ़रीदाबाद, ग़ाज़ियाबाद और नोएडा में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीज़ल से चलने वाले वाहनों के संचालन पर प्रतिबंध लगाया जाएगा.
सर्दियों में दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति ख़राब श्रेणी में पहुंच जाती है. इस पर नियंत्रण करने के लिए जीआरएपी को चार चरणों में लागू किया जाता है.
एक्यूआई 201-300 को ख़राब श्रेणी माना जाता है और इस दौर में जीआरएपी का स्टेज-1 लागू किया जाता है. एक्यूआई 301 से 400 की स्थिति में स्टेज-2, एक्यूआई 401-500 में स्टेज-3 और एक्यूआई 450 पार होने पर स्टेज-4 लागू किया जाता है.
इस साल अक्टूबर में दिल्ली में एक्यूआई के 300 से ऊपर पहुंच जाने के कारण जीआरएपी-2 लागू कर दिया गया था.
जीआरएपी-3 में क्या है प्रतिबंधित?
सीएक्यूएम ने दिल्ली एनसीआर में शुक्रवार से जीआरएपी-3 लागू किए जाने की घोषणा की है.
इसके तहत इमारतों के निर्माण और ढहाने पर प्रतिबंध लग जाता है. हालांकि ज़रूरी और राष्ट्रीय सुरक्षा, स्वास्थ्य और सार्वजनिक आधारभूत ढांचे से जुड़े प्रोजेक्टों को इसमें छूट मिली हुई है.
पूरे एनसीआर में स्टोन क्रशिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
शहर में चलने वाले वाहनों पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाते हैं. बीएस-3 और बीएस-4 के उत्सर्जन मानकों वाले वाहनों को दिल्ली और एनसीआर के शहरों, गुरुग्राम, फ़रीदाबाद, ग़ाज़ियाबाद और नोएडा में चलाने पर प्रतिबंध है.
डीज़ल से चलने वाले जनरेटर सेटों के अलावा, उन उद्योगों के संचालन पर भी प्रतिबंध होता है, जो मंज़ूर मानकों वाले ईंधन का इस्तेमाल नहीं करते.
किन वाहनों पर रहेगा प्रतिबंध?
सीएक्यूएम के ताज़ा जारी निर्देशों के मुताबिक़, बीएस-3 और बीएस-4 मानकों वाले चौपहिया वाहनों का दिल्ली में और बाहर से आने पर प्रतिबंध रहेगा.
दिल्ली में केवल इलेक्ट्रिक, सीएनजी और बीएस-6 मानक वाले डीज़ल वाहनों को चलाने की अनुमति है.
हालांकि आवश्यक सामानों की आपूर्ति करने वाले मालवाहक वाहनों को इससे छूट दी गई है.
दिल्ली में दूसरे राज्यों की उन बसों को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी, जो इलेक्ट्रिक व्हीकल, सीएनजी या बीएस-6 मानक वाले नहीं हैं.
इसके अलावा और छोटी दूरी के लिए साइकिल इस्तेमाल को बढ़ावा देने और निजी वाहनों की बजाय सार्वजनिक परिवहन को तरजीह देने की सलाह दी गई है.
मरम्मत के कार्य पर प्रतिबंध
सीएक्यूएम के अनुसार, वेल्डिंग और गैस कटिंग पर प्रतिबंध है, हालांकि वेल्डिंग की छोटी गतिविधियों को जारी रखने की इजाज़त है.
घरों में छोटी मोटी मरम्मत के अलावा पेंटिंग, पॉलिशिंग और वार्निशिंग कामों जिसमें सीमेंट, प्लास्टर या अन्य कोटिंग का इस्तेमाल होता है, प्रतिबंधित है.
इसी तरह टाइल्स, पत्थर आदि को काटने या उन्हें तोड़ने और वॉटरप्रूफ़िंग के काम पर प्रतिबंध है.
क्या उपाय किए गए हैं?
एनसीआर के बाकी शहरों में भी वहां की राज्य सरकारें प्राइमरी स्कूलों की कक्षाओं को ऑनलाइन करने का आदेश जारी कर सकती हैं.
सड़कों को साफ़ करने के लिए स्वीपिंग मशीन का इस्तेमाल और धूल को शांत करने के लिए पानी का छिड़काव नियमित आधार पर करना होगा.
व्यस्त समय में उन सड़कों पर रोज़ाना पानी की बौछार का प्रबंध करना होगा जहां ट्रैफ़िक अधिक है या प्रदूषण का स्तर बाकी इलाक़ों की अपेक्षा अधिक है.
इसके अलावा जीआरएपी-3 के तहत लोगों के लिए कुछ सलाहें जारी की गई हैं.
इसमें कहा गया है कि जो लोग अपना काम घर से कर सकते हैं, उन्हें वर्क फ़्रॉम होम करने का विकल्प चुनने की सलाह दी गई है.
इसमें गर्म करने के लिए कोयला या लकड़ी को जलाने से परहेज़ करने की सलाह दी गई है.
स्वास्थ्य के ख़तरे
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक़ सुबह सात बजे दिल्ली में अधिकतर जगहों पर एक्यूआई 400 से ऊपर और कई जगहों पर 450 से अधिक रहा जो कि प्रदूषण की ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है.
स्विट्ज़रलैंड आधारित एयर क्वालिटि इंडेक्स मॉनिटरिंग ग्रुप आईक्यूएयर के अनुसार, दिल्ली में गुरुवार को पीएम 2.5 का औसत 254 है, जो कि डब्ल्यूएचओ के मानकों से 15 गुना अधिक है.
यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है क्योंकि पीएम 2.5 इतने महीन कण होते हैं जो फेफड़े में अंदर तक चले जाते हैं और अन्य अंगों को प्रभावित करते हैं.
इससे दिल और सांस की बीमारी होती है, जबकि शोध बताते हैं कि यह बच्चों के विकास को धीमा कर सकता है.
आईक्यूएयर के अनुसार, दिल्ली के अलावा गुरुग्राम और नोएडा के मुकाबले चंडीगढ़ की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है.
स्थानीय मीडिया में ऐसी ख़बरें हैं कि बीते तीन दिनों से दिल्ली में फ़ॉग की जो स्थिति है उसमें बहुत से लोगों ने बेचैनी और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत की है.
बीती जुलाई में मेडिकल जर्नल लांसेट में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ था, जिसके अनुसार, दिल्ली में होने वाली मौतों में से 7.2% को पीएम 2.5 प्रदूषण के कारण माना जा सकता है.
हालांकि आने वाले समय में प्रदूषण का स्तर कम होने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन इसका स्तर फिर भी स्वास्थ्य के लिए बदतर बना रहेगा.
हालांकि प्रशासन ने प्रदूषण को नियंत्रण करने के उपायों की घोषणा की है लेकिन आलोचकों का कहना है कि ये उपाय बेअसर साबित हुए हैं.
शहर पर स्मॉग की इतनी मोटी परत है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है. नासा ने जो सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं, उसमें उत्तरी भारत से लेकर पाकिस्तान तक घनी धुंध दिखाई देती है.
इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के लाहौर में भी वायु प्रदूषण ख़तरनाक़ स्तर पर पहुंच गया था और प्रशासन को प्राइमरी स्कूलों को अस्थाई रूप से बंद करना पड़ा था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित