राजविंदर कौर कहती हैं कि जैसे ही मुझे खबर मिली, मैं बेहोश हो गई। मुझे लगा जैसे मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया हो। तब से वह लगातार प्रार्थना कर रही हैं। एक पल उन्हें उम्मीद की किरण दिखती है, तो अगले ही पल वह इस चिंता में डूब जाती हैं कि अगर अनहोनी हो गई तो वह अपनी दो बेटियों और बीमार सास की देखभाल कैसे करेंगी। राजविंदर ने बताया कि उन्होंने आखिरी बार अपने पति से शनिवार को सुरंग में काम पर जाने से पहले बात की थी।
सलामती के लिए दुआएं
वह कहती हैं कि उसके बाद से मैंने उनकी आवाज़ नहीं सुनी। बाद में मुझे कंपनी के किसी व्यक्ति का फोन आया, जिसने मुझे बताया कि गुरप्रीत अंदर फंस गया है। राजविंदर ने बताया कि उनके पति 15 साल से ज़्यादा समय से इस तरह के प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं, लेकिन ऐसा हादसा पहली बार हुआ है। गुरप्रीत के परिवार के साथ-साथ गांव के कई लोग भी उनके घर पर इकट्ठा होकर उनकी सलामती के लिए दुआएं कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक, शनिवार को सुरंग के अंदर लगभग 14 किलोमीटर पर निर्माण कार्य चल रहा था, तभी अचानक पानी का तेज बहाव आया और सुरंग की छत ढह गई। बचाव दल तुरंत मौके पर पहुँचा और फंसे हुए लोगों तक पहुंचने की कोशिश शुरू कर दी। बचाव कार्य अभी भी जारी है।
पूर्व सहकर्मी ने खतरनाक परिस्थितियों के बारे में बताया
गुरप्रीत के दोस्त और पूर्व सहकर्मी सुखदेव सिंह जो ने काम करने की खतरनाक परिस्थितियों के बारे में बताया। वो 2016 तक सुरंग परियोजनाओं में काम करते थे। उन्होंने कहा कि गुरप्रीत ने एक मजदूर के रूप में शुरुआत की थी और समय के साथ कंपनी में मशीन ऑपरेटर के पद पर पदोन्नत हुए। सुखदेव, गुरप्रीत के रिश्तेदारों और साथी ग्रामीणों की तरह उसकी सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं ताकि वह अपनी पत्नी, दो बेटियों और एक बीमार मां की देखभाल जारी रख सके।