कहां फंसा है पेच?
ब्लैकस्टोन इस सौदे को 8 अरब डॉलर में पूरा करना चाहती है। जबकि हल्दीराम अपने नमकीन बिजनेस की कीमत 12 अरब डॉलर आंक रही है। इस मामले से वाकिफ एक सूत्र ने बताया, ‘ब्लैकस्टोन इस सौदे को पूरा करने के लिए बहुत उत्सुक है क्योंकि उसने इसमें काफी मेहनत की है।’
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्लैकस्टोन के नेतृत्व में एक समूह ने मई में हल्दीराम में 75% हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी। एक गैर-बाध्यकारी बोली भी लगाई थी। लेकिन, यह बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई थी। कारण है कि हल्दीराम अभी अपनी बड़ी हिस्सेदारी बेचने को तैयार नहीं है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने बताया कि ब्लैकस्टोन अब 20% हिस्सेदारी खरीदने पर विचार कर रही है। जबकि तीसरे सूत्र का कहना है कि ब्लैकस्टोन 15% से 20% हिस्सेदारी खरीद सकती है।
दौड़ में ब्लैकस्टोन अकेली नहीं
इस सौदे में ब्लैकस्टोन अकेली दावेदार नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, बैन कैपिटल, सिंगापुर की सरकारी निवेश कंपनी टेमासेक और अबूधाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) भी हल्दीराम में माइनॉरिटी हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में शामिल हैं। हालांकि, टेमासेक ने अटकलों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है, वहीं बैन और ADIA ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हल्दीराम के सीईओ कृष्ण कुमार चुटानी और ब्लैकस्टोन ने भी इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
पिछले साल, रॉयटर्स ने खबर दी थी कि भारत का टाटा समूह हल्दीराम के पूरे नमकीन और रेस्टोरेंट व्यवसाय में बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत कर रहा था। उस समय, हल्दीराम अपनी कंपनी की कीमत 10 अरब डॉलर आंक रही थी। हालांकि, यह बातचीत भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।
छोटी सी दुकान से शुरुआत
हल्दीराम की शुरुआत 1937 में राजस्थान के बीकानेर शहर में एक छोटी सी दुकान से हुई थी। उसके सबसे लोकप्रिय नमकीन में ‘भुजिया’ शामिल है, जो आटे, जड़ी-बूटियों और मसालों से बना एक कुरकुरा तला हुआ भारतीय नाश्ता है। यह भुजिया छोटी-बड़ी सभी दुकानों में 10 रुपये तक में मिलती है।