इसराइल के विदेश मंत्री ने कहा है कि ग़ज़ा में उसके एक हमले में हमास के शीर्ष नेता याह्या सिनवार की मौत हो गई है.
इसराइली विदेश मंत्री इसराइल कात्ज़ ने कहा कि गुरुवार को ग़ज़ा में इसराइली सैनिकों के एक अभियान में हमास के नेता की मौत हुई. उन्होंने सिनवार को बीते साल सात अक्तूबर के हमले का मास्टरमाइंड क़रार दिया.
इससे पहले इसराइली सेना (आईडीएफ़) ने कहा था कि ग़ज़ा में उसके एक हमले में हमास के नेता याह्या सिनवार मारे गए हैं या नहीं इसकी जांच की जा रही है.
हमास की ओर से अभी तक सिनवार की मौत को लेकर कोई भी आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
इससे पहले सिनवार की मौत की पुष्टि को लेकर यह जानकारी सामने आई थी कि इसराइल मौत की पुष्टि के लिए डीएनए टेस्ट करा रहा है.
ग़ज़ा में हमास द्वारा संचालित सिविल डिफ़ेंस एजेंसी के मुताबिक़, उत्तरी ग़ज़ा में एक स्कूल की इमारत पर हुए इसराइली हवाई हमले से 22 लोगों की मौत हो गई है और दर्जनों घायल हैं.
इसराइली सेना का कहना है कि जबालिया की इस जगह का इस्तेमाल हमास और अन्य इस्लामी जिहाद ऑपरेटिव अपने मीटिंग पॉइंट के तौर पर कर रहे थे.
वहीं, हमास ने हमले की निंदा करते हुए जबालिया के स्कूल को अपने ठिकाने के तौर पर इस्तेमाल किए जाने के दावे को ख़ारिज किया है.
एक बयान में हमास ने कहा है कि इस स्कूल को हमारे कमांड सेंटर के तौर पर इस्तेमाल करने के दावे महज़ झूठ हैं.
अब शरणार्थी कैंप में तब्दील हो चुके इस स्कूल की फुटेज में ज़मीन पर खून और जले हुए तंबू दिख रहे हैं. स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि आग को बुझाने के लिए पानी भी नहीं है.
इसराइली सेना ने इस इलाक़े में दो सप्ताह पहले ज़मीनी कार्रवाई शुरू की थी. इसराइली सेना का दावा है कि वो हमास लड़ाकों को दोबारा जुटने से रोक रही है. इसराइली सेना ने दर्जनों नामों की सूची जारी की है और कहा है कि ये सभी हमले के वक़्त इमारत में थे.
वहीं, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों का कहना है कि जबालिया में फंसे हज़ारों फ़लस्तीनी बेहद बुरी परिस्थितियों में हैं. उनके पास खाने की भी किल्लत है.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया क्या दावा कर रहा है?
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ इसराइल की सुरक्षा कैबिनेट ने बताया है कि सिनवार की ‘संभवतः मौत हो गई है’.
इसराइल के दो अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि इसराइल की सुरक्षा कैबिनेट के सदस्यों को जानकारी दी गई है कि हमास नेता याह्या सिनवार की मौत की पूरी संभावना है.
इसराइल के कुछ अज्ञात अधिकारियों ने कथित तौर पर इसराइली मीडिया ‘चैनल 12’ को बताया है कि सिनवार को मार दिया गया है.
वहीं समाचार एजेंसी एएफ़पी ने इसराइल के एक सुरक्षा अधिकारी के हवाले से कहा है कि हमले में मारा गया व्यक्ति याह्या सिनवार हैं या नहीं, इस बात की पुष्टि करने के लिए डीएनए टेस्ट किया जा रहा है.
इसराइल के पास सिनवार के डीएनए और अन्य बायोमेट्रिक डेटा मौजूद होंगे, जो जेल में बिताने के दौरान रिकॉर्ड में रखे गए होंगे.
इसराइली सेना ने क्या कहा?
इसराइली सेना का कहना है कि ग़ज़ा में एक हमले में हमास के नेता याह्या सिनवार भी मारे गए हैं या नहीं, इसकी जाँच की जा रही है.
एक बयान में इसराइल डिफ़ेंस फोर्सेज़ यानी आईडीएफ़ ने कहा है कि हमले में “मारे गए तीन आतंकवादियों” की पहचान करना अब भी बाक़ी है.
आईडीएफ़ ने कहा, “जिस इमारत में हमने आतंकवादियों को मारा है, वहां बंधकों के होने की कोई जानकारी नहीं मिली है.”
एक्स पर एक पोस्ट में आईडीएफ़ ने कहा, “ग़ज़ा में आईडीएफ़ के ऑपरेशन के दौरान तीन आतंकवादी मारे गए हैं. आईडीएफ़ इसकी जांच कर रही है कि इन तीन में से एक क्या याह्या सिनवार हैं. फ़िलहाल, आतंकवादियों की पहचान नहीं हुई है.”
वहीं इसराइल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा है, “हमारे दुश्मन कहीं भी नहीं छुप सकते. हम उन्हें ढूंढकर मार गिराएंगे.”
कौन थे याह्या सिनवार?
याह्या सिनवार, ग़ज़ा में हमास की सियासी शाखा के नेता हैं और वो इसराइल के मोस्ट वॉन्टेड लोगों में से एक हैं.
इसराइल, 7 अक्टूबर 2023 को अपने दक्षिणी इलाक़े पर हमले के लिए, हमास के अन्य नेताओं के साथ याह्या सिनवार को भी ज़िम्मेदार मानता है. उन हमलों में 1200 से ज़्यादा लोग मारे गए थे और 200 से अधिक लोगों को अगवा कर लिया गया था.
तब इसराइल के सुरक्षा बलों के प्रवक्ता रियल एडमिरल डेनियल हगारी ने एलान किया था, “याह्या सिनवार एक कमांडर हैं… और अब उनकी मौत तय है.”
61 साल के याह्या सिनवार को लोग अबु इब्राहिम के नाम से जानते हैं उनका जन्म ग़ज़ा पट्टी के दक्षिणी इलाक़े में स्थित ख़ान यूनिस के शरणार्थी शिविर में हुआ था.
याह्या के मां-बाप अश्केलॉन के थे, लेकिन, जब 1948 में इसराइल की स्थापना की गई, और हज़ारों फलस्तीनियों को उनके पुश्तैनी घरों से निकाल दिया गया, तो याह्या के माता-पिता भी शरणार्थी बन गए थे. फलस्तीनी उसे ‘अल-नक़बा’ या तबाही कहते थे.
याह्या सिनवार ने ख़ान यूनिस में लड़कों के सेकेंडरी स्कूल में शुरुआती पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने, ग़ज़ा की इस्लामिक यूनिवर्सिटी से अरबी ज़बान में बैचलर की डिग्री ली.
याह्या सिनवार को पहली बार इसराइल ने साल 1982 में गिरफ़्तार किया. उस समय उनकी उम्र महज़ 19 साल थी. याह्या पर ‘इस्लामी गतिविधियों’ में शामिल होने का इल्ज़ाम था. 1985 में उन्हें दोबारा गिरफ़्तार किया गया. लगभग इसी दौरान, याह्या ने हमास के संस्थापक शेख़ अहमद यासीन का भरोसा जीत लिया.
1987 में हमास की स्थापना के दो साल बाद, याह्या ने इसके बेहद ख़तरनाक कहे जाने वाले अंदरूनी सुरक्षा संगठन, अल-मज्द की स्थापना की. उस वक़्त याह्या की उम्र केवल 25 बरस थी.
वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट ऑफ नियर ईस्ट पॉलिसी में फेलो, एहुद यारी ने पिछले साल बीबीसी को बताया था कि ऐसी कई लोगों की ‘निर्मम हत्याओं’ के पीछे याह्या का हाथ था, जिन पर इसराइल के साथ सहयोग का शक था. उन्होंने बताया था कि, “इनमें से कइयों को तो याह्या ने अपने हाथों से मारा था और उन्हें इसका बहुत गर्व था. उन्होंने मुझसे और दूसरे लोगों से बातचीत में ये बात कही भी थी.”
इसराइल के अधिकारियों के मुताबिक़, बाद में याह्या ने क़बूल किया था कि उन्होंने इसराइल के लिए जासूसी करने के शक में एक आदमी को उसके ही भाई के हाथों ज़िंदा दफ़्न करा दिया था, और ज़िंदा दफ़्न करने का ये काम फावड़े से नहीं, चम्मच से किया गया था.
एहुद यारी ने बताया था, “याह्या ऐसे इंसान हैं जो अपने इर्द गिर्द अपने समर्थकों और अनुयायियों के साथ बहुत से ऐसे लोगों को भी जमा कर सकते हैं, जो उनसे ख़ौफ़ ख़ाते हैं और उनसे किसी भी तरह की दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहते.”
आरोप है कि साल 1988 में याह्या सिनवार ने दो इसराइली सैनिकों को अगवा करके उनकी हत्या करने की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया. उनको उसी साल गिरफ़्तार कर लिया गया. इसराइल ने उन्हें 12 फलस्तीनियों की हत्या के लिए दोषी ठहराया और एक साथ चार उम्र क़ैदों की सज़ा सुनाई गई.
जेल में क़ैद के दिन
याह्या सिनवार ने अपनी वयस्क ज़िंदगी के बेशतर दिन, 1988 से 2011 के बीच क़रीब 22 बरस इसराइल की जेलों में गुज़ारे. ऐसा लगता है कि जेल में गुज़ारे दिनों के दौरान, कई बार तो उन्हें तन्हा भी रखा क़ैद रखा गया था, और शायद उन दिनों ने याह्या को और भी कट्टरपंथी बना डाला.
एहुद यारी ने बताया था, “जेल के भीतर याह्या, ताक़त के बल पर अपना दबदबा क़ायम करने में कामयाब रहे. उन्होंने क़ैदियों के बीच ख़ुद को नेता के तौर पर स्थापित कर लिया. वो क़ैदियों की तरफ़ से जेल अधिकारियों से बातचीत करते और उनके बीच अनुशासन क़ायम करते.”
याह्या सिनवार के जेल में गुज़ारे दिनों का इसराइली सरकार ने जो विश्लेषण किया है, उसमें उन्हें ‘निर्दयी, दबदबा क़ायम करने वाला, प्रभावशाली, बर्दाश्त करने की असामान्य क्षमता वाला, धूर्त, लोगों को अपने जाल में फंसाने वाला, बहुत कम सुविधाओं में संतुष्ट… जेल के भीतर क़ैदियों की भीड़ के बीच भी राज़ छुपाने में माहिर… और भीड़ जुटाने की क्षमता वाला’ बताया गया है.
याह्या सिनवार से चार मुलाक़ातों के बाद, एहुद यारी ने उनके किरदार का जो मूल्यांकन किया है उसके मुताबिक़ वो याह्या को एक मनोरोगी मानते हैं. हालांकि वो ये भी कहते हैं, “याह्या को सिर्फ़ एक मनोरोगी मान लेना ग़लती होगी. क्योंकि तब आप एक अजीब और पेचीदा इंसान की असलियत से वाक़िफ़ नहीं हो सकेंगे.”
जेल में रहने के दौरान, याह्या ने इसराइल के अख़बार पढ़-पढ़कर धड़ल्ले से हिब्रू ज़बान बोलना सीख लिया था.
एहुद यारी कहते हैं कि उनको अरबी भाषा आती है, फिर भी याह्या सिनवार उनसे हमेशा हिब्रू में बात करने को तरज़ीह देते थे.
एहुद यारी बताते हैं, “वो हिब्रू पर अपनी पकड़ बेहतर करने की कोशिश करते. मुझे लगता है कि वो जेल के कर्मचारियों से बेहतर हिब्रू बोलने वाले से फ़ायदा उठाना चाहते थे.”
2011 में जब क़ैदियों की अदला-बदली का समझौता हुआ, तो इसराइल के एक सैनिक गिलाड शलिट के बदले में इसराइल ने 1027 फलस्तीनी इसराइली अरब क़ैदियों को रिहा किया.
इनमें याह्या सिनवार भी शामिल थे.
गिलाड शलिट को अगवा करने के बाद पांच साल से बंधक बनाकर रखा गया था. उनको अगवा करने में याह्या सिनवार के भाई भी शामिल थे, जो हमास के वरिष्ठ सैन्य कमांडर हैं. उसके बाद से याह्या ने इसराइल के और सैनिकों को अगवा करने की अपील की है.
उस समय तक इसराइल ने ग़ज़ा पट्टी पर अपना क़ब्ज़ा छोड़ दिया था और ग़ज़ा की कमान हमास के हाथ में आ गई थी.
हमास ने चुनाव जीतने के बाद अपने प्रतिद्वंद्वियों यानी यासिर अराफ़ात की अल-फ़तह पार्टी के के नेताओं का सफ़ाया कर डाला था. अल-फ़तह के कई नेताओं को तो ऊंची ऊंची इमारतों से नीचे फेंक दिया गया था.
साल 2013 में याह्या को ग़ज़ा पट्टी में हमास के सियासी ब्यूरो का सदस्य चुना गया और 2017 में वो इसके प्रमुख बन गए.
याह्या सिनवार के छोटे भाई मुहम्मद भी हमास में एक बड़ी भूमिका निभाने लगे. कहा जाता है कि 2014 में मृत घोषित किए जाने से पहले मुहम्मद, कई बार इसराइल के हाथों हत्या की कोशिशों से बच निकले थे.
उसके बाद मीडिया की कई ख़बरों में ये दावा किया गया है कि मुहम्मद अभी भी ज़िंदा हैं और वो हमास की सैन्य शाखा में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. मुहम्मद के बारे में कहा जाता है कि वो ग़ज़ा की सुरंगों में छुपे हुए हैं और हो सकता है कि 7 अक्टूबर के हमले में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई हो.
अपने क्रूर और हिंसक तौर-तरीक़ों की वजह से सिनवार को ख़ान यूनिस का क़साई भी कहा जाता था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित