हमीरपुर में यमुना पुल पर मरम्मत कार्य के चलते एक मां के शव को ले जा रहे वाहन को रोक दिया गया, जबकि नेताजी की गाड़ी को गुजरने दिया गया। बेटों ने अधिकारियों से गुहार लगाई, पर किसी ने नहीं सुनी।

मामला हमीरपुर जिले का है। यहां के यमुना पुल के मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। जिसके चलते शनिवार और रविवार को सुबह छह बजे से सभी तरह के वाहनों को पुल से आने-जाने नहीं दिया जा रहा है। लोग इस पुल से पैदल ही आवागमन कर रहे हैं। इस बीच सुमेरपुर क्षेत्र के टेढ़ा गांव की रहने वाली शिवदेवी का अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। उनका शव एंबुलेंस से गांव आ रहा था, जब शव वाहन यमुना पुल पहुंचा तो रोक दिया गया। बताया गया कि पुल से वाहन नहीं जा सकता है।
शिवदेवी के बेटे अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे कि शव वाहन को जाने दिया जाए, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। आखिर में थक हारकर बेटों ने मां के शव को एंबुलेंस से नीचे उतारा और स्ट्रेचर पर शव को रखा। भला हो उस एंबुलेंस वाले का जिसने स्ट्रेचर ले जाने दिया नहीं तो बेटे अपनी मां के शव को घर तक कैसे ले जाते। इसके बाद बेटे मां के शव को स्ट्रेचर पर रखकर पैदल ही पुल पार करते हुए चल दिए। करीब एक किलोमीटर तक बेटे अपनी मां के शव को स्ट्रेचर पर रखकर चलते रहे। इस दौरान चार जगहों पर उन्होंने शव को रखा। जिसने भी ये नजारा देखा तो सिस्टम को कोसता रहा।
मृतक महिला के पुत्र बिंदा ने बताया कि मां का पैर फ्रैक्चर हो गया था। इलाज के लिए कानपुर ले गए थे। जहां उनकी आज मौत हो गई थी। बताया कि शव वाहन में मां की अर्थी रखकर पुल से निकलने के लिए गिड़गिड़ाए, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। पुल पार करने के बाद मां के शव को ऑटो में रखकर बेटे अपने गांव चले गए।
वहीं, दूसरी ओर योग दिवस पर शनिवार (21 जून) को लखनऊ से प्रमुख सचिव आए थे, जिनकी कार को यमुना पुल से गुजरने दिया गया, जबकि उस समय भी नो एंट्री थी। यही नहीं मंत्रियों की कारों को भी पुल से पास कराया गया। वीआईपी लोगों के लिए कोई नियम नहीं और न ही इनके लिए कोई नो एंट्री लागू है। वहीं, हमीरपुर सदर सीट से विधायक मनोज प्रजापति ने पुल पर आवागमन बंद रहने के दौरान उनकी गाड़ी निकलने के मामले में उन्होंने कहा कि जब उनकी गाड़ी पुल पार कर रही थी, तब पुल पर पूरी तरह से यातायात बंद नहीं किया गया था। हालांकि, बता दें कि उनकी गाड़ी भी नो एंट्री में पुल से निकली थी।