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Hamirpur News,Opinion: वाह रे सिस्टम! नेता जी गाड़ी से पुल पार करें, एक मां के शव को वाहन से ना जाने दिया जाए, 1 किमी पैदल चले बेटे – in hamirpur hearse was not allowed to cross yamuna bridge sons carried dead body of their mother on foot

Byadmin

Jun 29, 2025


हमीरपुर में यमुना पुल पर मरम्मत कार्य के चलते एक मां के शव को ले जा रहे वाहन को रोक दिया गया, जबकि नेताजी की गाड़ी को गुजरने दिया गया। बेटों ने अधिकारियों से गुहार लगाई, पर किसी ने नहीं सुनी।

Hamirpur News

हमीरपुर: सरकारी सिस्टम के आगे आम आदमी बेबस नजर आता है। कभी लाइन में घंटों खड़े होने के बाद अपना नंबर आने पर काउंटर बंद हो जाता है तो कभी शव वाहन न मिलने पर ठेले, पीठ और स्ट्रेचर पर शव घर लाता है। यह आम आदमी का दर्द है। पर, अगर जब वीआईपी की बात करें तो इसके उलट मामला नजर आता है। कुछ ऐसा ही उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में घटित हुआ, जो एक बार फिर सिस्टम पर सवाल खड़े करने लगा है। जिले से सामने आईं दो तस्वीरों ने सरकारी सिस्टम और अधिकारियों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। फिर सवाल उठने लगे हैं कि क्या नियम सिर्फ आम आदमी के लिए हैं? भेड़-बकरियों की तरह ट्रेन से लेकर अस्पताल तक में आम आदमी पिसने के लिए है। वीआईपी तो आराम से अपना काम कर लेते हैं।

मामला हमीरपुर जिले का है। यहां के यमुना पुल के मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। जिसके चलते शनिवार और रविवार को सुबह छह बजे से सभी तरह के वाहनों को पुल से आने-जाने नहीं दिया जा रहा है। लोग इस पुल से पैदल ही आवागमन कर रहे हैं। इस बीच सुमेरपुर क्षेत्र के टेढ़ा गांव की रहने वाली शिवदेवी का अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। उनका शव एंबुलेंस से गांव आ रहा था, जब शव वाहन यमुना पुल पहुंचा तो रोक दिया गया। बताया गया कि पुल से वाहन नहीं जा सकता है।

शिवदेवी के बेटे अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे कि शव वाहन को जाने दिया जाए, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। आखिर में थक हारकर बेटों ने मां के शव को एंबुलेंस से नीचे उतारा और स्ट्रेचर पर शव को रखा। भला हो उस एंबुलेंस वाले का जिसने स्ट्रेचर ले जाने दिया नहीं तो बेटे अपनी मां के शव को घर तक कैसे ले जाते। इसके बाद बेटे मां के शव को स्ट्रेचर पर रखकर पैदल ही पुल पार करते हुए चल दिए। करीब एक किलोमीटर तक बेटे अपनी मां के शव को स्ट्रेचर पर रखकर चलते रहे। इस दौरान चार जगहों पर उन्होंने शव को रखा। जिसने भी ये नजारा देखा तो सिस्टम को कोसता रहा।

मृतक महिला के पुत्र बिंदा ने बताया कि मां का पैर फ्रैक्चर हो गया था। इलाज के लिए कानपुर ले गए थे। जहां उनकी आज मौत हो गई थी। बताया कि शव वाहन में मां की अर्थी रखकर पुल से निकलने के लिए गिड़गिड़ाए, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। पुल पार करने के बाद मां के शव को ऑटो में रखकर बेटे अपने गांव चले गए।

वहीं, दूसरी ओर योग दिवस पर शनिवार (21 जून) को लखनऊ से प्रमुख सचिव आए थे, जिनकी कार को यमुना पुल से गुजरने दिया गया, जबकि उस समय भी नो एंट्री थी। यही नहीं मंत्रियों की कारों को भी पुल से पास कराया गया। वीआईपी लोगों के लिए कोई नियम नहीं और न ही इनके लिए कोई नो एंट्री लागू है। वहीं, हमीरपुर सदर सीट से विधायक मनोज प्रजापति ने पुल पर आवागमन बंद रहने के दौरान उनकी गाड़ी निकलने के मामले में उन्होंने कहा कि जब उनकी गाड़ी पुल पार कर रही थी, तब पुल पर पूरी तरह से यातायात बंद नहीं किया गया था। हालांकि, बता दें कि उनकी गाड़ी भी नो एंट्री में पुल से निकली थी।

विवेक मिश्रा

लेखक के बारे मेंविवेक मिश्राजन्मस्थली बाराबंकी है और कर्मस्थली तीन राज्य के कई शहर रहे हैं। 2013 में प्रिंट मीडिया से करियर की शुरुआत की। मप्र जनसंदेश, पत्रिका, हिंदुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण होते हुए नवभारत टाइम्स के साथ डिजिटल मीडिया में कदम रखा।और पढ़ें