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Hyderabad News,हैदराबाद में IT प्रफेशनल्स ने इनकम टैक्स से बचने के लिए किया 110 करोड़ का बड़ा खेल, आप भी पढ़कर रह जाएंगे दंग – hyderabad techies pull off 110 crore income tax refund scam over fake political funding

Byadmin

Feb 5, 2025


हैदराबाद : तेलंगाना की साइबर हब हैदराबाद से एक बड़ी खबर आई है। कई IT प्रोफेशनल्स मुश्किल में फंस गए हैं। इन पर फर्जी राजनीतिक चंदा देने का आरोप है। आयकर विभाग (I-T) इनकी जांच कर रहा है। ये लोग टॉप डोनर्स बनकर सामने आए हैं। ये चंदा उन्होंने ऐसे राजनीतिक दलों को दिया है, जिन्हें मान्यता प्राप्त नहीं है। लेकिन इनका राजनीति प्रेम असल में एक धोखा है। ये लोग Income Tax Act के सेक्शन 80GCC का गलत फायदा उठा रहे थे। इस सेक्शन के तहत राजनीतिक दलों को चंदा देने पर टैक्स में छूट मिलती है।I-T विभाग की जांच में 110 करोड़ रुपये के रिफंड घोटाले का खुलासा हुआ है। शहर के 36 कंपनियों के IT प्रोफेशनल्स इसमें शामिल हैं। इन्होंने फर्जी राजनीतिक चंदे के नाम पर टैक्स रिफंड लिया। हकीकत में इन्होंने कोई चंदा नहीं दिया था।

46 लाख वेतन, 45 लाख किया दान

एक मामला जांचकर्ताओं का ध्यान खींचा। एक IT कर्मचारी, जिसकी सैलरी ₹46 लाख थी, उसने ₹45 लाख का चंदा देने का दावा किया। कुछ मामलों में, इन राजनीतिक दलों ने चेक या बैंक ट्रांसफर से चंदा स्वीकार किया। फिर कमीशन काटकर नकद में पैसा वापस कर दिया।

पहले ऐसे होते थे फ्रॉड

पहले की जांच में, घर के किराए (HRA), शिक्षा ऋण और होम लोन के ब्याज के दावों में धोखाधड़ी का पता चला था। 2023 में, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई थी। ये कर्मचारी फर्जी रिफंड क्लेम कर रहे थे। अब, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

गुजरात, तेलंगाना समेत अन्य राज्यों के दल शामिल

जांच में एक बड़ी सफलता मिली। जांचकर्ताओं ने एक कॉमन ईमेल एड्रेस का पता लगाया। कई IT कर्मचारी फर्जी रिटर्न फाइल करने के लिए इसी ईमेल का इस्तेमाल कर रहे थे। इसी राशि का टैक्स में छूट के तौर पर गलत दावा किया गया था। इस घोटाले में शामिल RUPPs गुजरात, तेलंगाना और दूसरे राज्यों से जुड़े थे। कुछ राजनीतिक दल, जिनसे ये चंदे जुड़े हैं, उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा। यहां तक कि उन्होंने चुनाव आयोग (ECI) को अपनी चंदा रिपोर्ट भी जमा नहीं की।

अब भेजे जाएंगे नोटिस

विभाग वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक के टैक्स रिटर्न की जांच करेगा। टैक्सपेयर्स को गलत दावों को वापस लेने का निर्देश दिया जाएगा। कर्मचारियों को नोटिस भेजे जाएंगे। उनसे उनके रिफंड दावों की वैधता पर सवाल किया जाएगा। पूछा जाएगा कि कटौती को क्यों नहीं रद्द किया जाना चाहिए। साथ ही, जिन टैक्सपेयर्स ने सेक्शन 80GGC के तहत कटौती का दावा किया है, उन्हें SMS और ईमेल अलर्ट मिलेगा। उन्हें अपनी फाइलिंग की दोबारा जांच करने के लिए कहा जाएगा। अगर उन्होंने गलत दावे किए हैं, तो उन्हें 31 मार्च, 2025 से पहले अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) फाइल करना होगा। ऐसा न करने पर 200% जुर्माना लगेगा।

सूत्रों ने बताया कि कई बड़ी टेक कंपनियां अब सेक्शन 80GGC के तहत कटौती की प्रक्रिया नहीं कर रही हैं। इसके बजाय, वे टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) का विकल्प चुन रही हैं। हालांकि, कर्मचारी बाद में स्वतंत्र रूप से रिफंड का दावा करके इससे बच रहे हैं। एक बड़ी IT फर्म में, 430 कर्मचारियों ने इस सेक्शन के तहत ₹17.8 करोड़ की कटौती का दावा किया। औस्‍तत तौर पर, प्रत्येक कर्मचारी को ₹4.2 लाख का रिफंड मिला। सूत्रों ने कहा कि कंपनी की कोई भूमिका नहीं थी क्योंकि कर्मचारी कानून के गलत पक्ष में पकड़े गए थे।

80GGC का गलत इस्तेमाल

I-T विभाग ने अब बड़ी IT और वित्तीय फर्मों में सत्र आयोजित करने शुरू किए हैं। कर्मचारियों को सेक्शन 80GGC का गलत इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी जा रही है। हैदराबाद में इसकी जांच शाखा ने 28, 29 और 30 जनवरी को इन कंपनियों में एक आउटरीच प्रोग्राम आयोजित किया। कर्मचारियों से आग्रह किया गया कि वे अपने टैक्स रिटर्न में फर्जी दावे न करें।

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