नये आयकर विधेयक को लेकर एक मुद्दा काफी चर्चा का विषय बना रहा था कि इसमें इनकम टैक्स अधिकारियों को ये अधिकार मिल जाता है कि वह आपके खातों ईमेल और अन्य दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकते हैं। अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इस पर टिप्पणी की है। कहा गया कि यह केवल पहले से मौजूद अधिकारों का पुन उल्लेख है।
एएनआई, नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सूत्रों ने उन चिंताओं को खारिज किया है, जिनमें कहा गया था कि आयकर विधेयक 2025 में आयकर अधिकारियों को अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं।
इन अधिकारों के तहत वे ईमेल, इंटरनेट मीडिया और वर्चुअल डिजिटल स्पेस तक पहुंच सकते हैं। सीबीडीटी के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 पहले से ही अधिकृत अधिकारियों को यह अधिकार देती है कि वे किसी व्यक्ति के पास मौजूद पुस्तकों, खातों या अन्य दस्तावेजों के इलेक्ट्रानिक रिकॉर्ड का निरीक्षण और जब्ती कर सकते हैं।
एक्सेस का अधिकार पहले से मौजूद
बताया गया कि नए अधिकार दिए जाने के दावे गलत हैं। आयकर विधेयक, 2025 की धारा 247 में यह प्रविधान है कि एक अधिकृत अधिकारी कंप्यूटर प्रणाली या वर्चुअल डिजिटल स्पेस के एक्सेस कोड को ओवरराइड करके एक्सेस प्राप्त कर सकता है।
असाधारण स्थिति में होता है लागू
- सूत्रों में से एक ने यह भी दोहराया कि यह सामान्य प्रथा नहीं है। यह केवल असाधारण परिस्थितियों में ही लागू होता है। यह स्थिति आयकर अधिनियम 1961 के तहत भी थी और नए आयकर विधेयक 2025 में भी अपरिवर्तित है।
- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नए आयकर विधेयक की जांच के लिए 31 सदस्यीय चयन समिति का गठन किया है। इस विधेयक का उद्देश्य कर कानूनों को सरल बनाना, परिभाषाओं को आधुनिक बनाना और कर-संबंधी मामलों पर अधिक स्पष्टता प्रदान करना है। यह विधेयक 13 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया था।
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