भारत और चीन की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर के डेमचोक और देपसांग इलाकों में हर हफ्ते एक समन्वित गश्त करने पर सहमति जताई है। वहां गश्त का एक दौर पहले ही पूरा कर लिया गया है। अक्टूबर के आखिरी हफ्ते मे डेमचोक और देपसांग दोनों जगहों से सैनिकों की वापसी पूरी होने के बाद दोनों पक्षों ने महीने के पहले हफ्ते में समन्वित गश्त शुरू की थी।
एएनआई, नई दिल्ली। भारतीय और चीनी सेना इस बात पर सहमत हो गई हैं कि पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग इलाके में हर सप्ताह एक बार गश्त की जाएगी। दोनों सेनाएं एक बार यह गश्त कर भी चुकी हैं। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नवंबर के पहले सप्ताह में दोनों तरफ से पैट्रोलिंग की जा चुकी है।
दोनों पक्ष पैट्रोलिंग के लिए राजी
अस्थायी निर्माण को हटाने पर सहमति बनी
जून 2020 के बाद पिछले चार वर्षों से भी ज्यादा समय में राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर की कई चरण की चर्चाओं के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध के पांच स्थानों में अनसुलझे डेमचोक और देपसांग से सेनाओं और वहां मौजूद अस्थायी निर्माण को हटाने पर सहमति बनी थी।
ग्राउंड कमांडर स्तर की चर्चा जारी
अब साप्ताहिक गश्त के बाद भी भारतीय और चीनी पक्ष नियमित अंतराल पर इन इलाकों में ग्राउंड कमांडर स्तर की चर्चा जारी रखेंगे। आपसी सहमति के बाद दोनों पक्षों ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि पूरी तरह से सेनाओं की वापसी के साथ अस्थायी निर्माण नष्ट किया जा चुका है, तय करने के लिए वेरिफिकेशन पैट्रोलिंग भी की थी।
क्यों बिगड़े भारत-चीन के संबंध?
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण थे, जिससे दशकों में दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष हुआ।
चीन न्यूक्लियर प्रोपल्शन पर कर रहा काम
चीन ने एक युद्धपोत के लिए प्रोटोटाइप परमाणु रिएक्टर का निर्माण किया है, जो स्पष्ट संकेत है कि बीजिंग अपने पहले परमाणु ऊर्जा से चलने वाले विमान वाहक पोत के निर्माण की दिशा में अग्रसर है। चीनी नौसेना संख्या के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है और इसका तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है।
पहाड़ी स्थल की जांच के बाद निष्कर्ष
अपने बेड़े में परमाणु ऊर्जा से चलने वाले वाहक को जोड़ना देश के लिए एक बड़ा कदम होगा। कैलिफोर्निया में मिडिलबरी इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल स्टडीज के शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने सिचुआन में लेशान शहर के बाहर एक पहाड़ी स्थल की जांच के बाद निष्कर्ष निकाला कि चीन बड़े युद्धपोत के लिए प्रोटोटाइप रिएक्टर का निर्माण कर रहा है।