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India-Pak Relation: जयशंकर ने शहबाज से दो बार मिलाया हाथ, बातचीत भी हुई; बीते 9 साल में क्यों सबसे अच्छे रहे ये 24 घंटे

Byadmin

Oct 16, 2024


विदेश मंत्री जयशंकर इस्लामाबाद से भारत लौट आए हैं। जयशंकर ने वहां एससीओ की बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान वह करीब 24 घंटे वहां रहे। जयशंकर ने पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से दो बार हाथ मिलाया। दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत भी हुई। जयशंकर ने दिल्ली लौटकर थैंक्यू कहा है। जयशंकर के धन्यवाद का जवाब पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भी एक धन्यवाद से दिया।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इस्लामाबाद में एससीओ की बैठक में हिस्सा लेकर बुधवार देर शाम तक नई दिल्ली लौट आए। जयशंकर तकरीबन 24 घंटे पाकिस्तान की राजधानी में रहे, इस दौरान उन्होंने दो बार पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से हाथ मिलाया, पीएम शरीफ की तरफ से आयोजित रात्रि भोज में हिस्सा लिया और दोपहर के भोज में जयशंकर की शरीफ के साथ अनौपचारिक बातचीत भी हुई। हालांकि, इसे दोनों देशों के बीच संबंध में बड़े सुधार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

जयशंकर ने कहा- थैंक्यू

बहरहाल, इस्लामाबाद से लौटने के बाद विदेश मंत्री ने पीएम शरीफ, विदेश मंत्री ईशाक दार और पाकिस्तान सरकार को उनकी तरफ से दिए गए आवभगत के लिए धन्यवाद भी दिया। सोशल मीडिया साइट एक्स पर जयशंकर के धन्यवाद का जवाब पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भी एक धन्यवाद से दिया।

पीएम मोदी अचानक पहुंच गए थे लाहौर

ऐसा मौहाल 25 दिसंबर, 2015 को तब देखने को मिला था तब पीएम नरेन्द्र मोदी अचानक ही लाहौर तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के घर पर आयोजित एक शादी में हिस्सा लेने पहुंच गये थे। इस्लामाबाद का माहौल पिछले वर्ष गोवा में एससीओ की इसी बैठक से बिल्कुल अलग रहा है। तब पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो एससीओ बैठक में हिस्सा लेने गोवा आये थे।

रिश्तों में तल्खी का आलम यह था कि दोनों विदेश मंत्रियों ने औपचारिक तौर पर एक दूसरे से हाथ भी नहीं मिलाया। बैठक के अंतिम दिन भुट्टो ने भारत के कुछ मीडिया को साक्षात्कार दे कर कश्मीर का मुद्दा उठा दिया। इसके बाद एससीओ बैठक की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री आतंकवाद के उद्योग के प्रवर्तक, पोषक व प्रवक्ता हैं।

अलग रहा इस्लामाबाद का माहौल

उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ सिर्फ एक बात होनी है और वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेने को लेकर होनी है। भुट्टो के भारत आने पर द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार की जो संभावनाएं थी वह उल्टी साबित हुई थी। इस लिहाज से इस्लामाबाद का माहौल पूरी तरह से अलग रहा।

सूत्रों के मुताबिक, जयशंकर व पाक पीएम के बीच अनौपचरिक बातचीत को द्विपक्षीय संबंधों के सुधार के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। भोजन के दौरान हर नेता एक दूसरे से अनौपचारिक तौर पर बात कर रहे थे। इस्लामाबाद जाने से पहले ही जयशंकर ने कहा था कि वह एक सभ्य व्यक्ति हैं और वहां पर मैं वैसा ही व्यवहार करुंगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि यह यात्रा एससीओ के संदर्भ में हो रही है, इसे द्विपक्षीय संबंधों से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए।

पठानकोट हमले से बिगड़े रिश्ते

सनद रहे कि पीएम मोदी की दिसंबर, 2015 की यात्रा के बाद भारत व पाक के रिश्तों में सुधार की गुंजाइश बनी थी। जनवरी, 2016 में दोनों देशों के विदेश सचिवों की अगुवाई में समग्र वार्ता को नये सिरे से शुरू होने वाली थी, लेकिन पाक पोषित आतंकवादियों की तरफ से पठानकोट हमले से द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार की सारी संभावनाएं ध्वस्त हो गई थी।

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