आतंकवाद और आतंकियों को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा कर दी थी। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान के खिलाफ जिस तरह की कार्रवाई की, वह अलग ही लेवल की थी। इससे बढ़ता तनाव वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा था। इससे स्वाभाविक रूप से दुनिया चिंतित हो गई थी।
ऐसे ही नहीं किया अमेरिका ने हस्तक्षेप
अमेरिका का हस्तक्षेप बिना किसी कारण के नहीं था। पाकिस्तान के साथ भारत के बढ़ते संघर्ष से अमेरिका के आर्थिक हित प्रभावित हो सकते थे। अस्थिरता के कारण व्यापार और निवेश पर नकारात्मक असर पड़ सकता था। इसके अलावा, क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने से तेल की कीमतें भी प्रभावित हो सकती थीं। इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रही है। अमेरिका पर मंदी के बादल छाए हुए हैं। ऐसे समय में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता को और बढ़ा सकता था। इससे अमेरिका सहित तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता। अपनी तरक्की से भारत ग्लोबल ग्रोथ का इंजन बना हुआ है।
तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है भारत
भारत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। अमेरिका के लिए वह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। इसके उलट पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संकटग्रस्त है। ऐसे हालात में अमेरिका के लिए भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना आर्थिक रूप से अधिक फायदेमंद है। आर्थिक रूप से कमजोर पाकिस्तान के पास कुछ नहीं है। वह पहले ही बर्बाद मुल्क है। अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत संघर्ष में पाकिस्तान से उलझ जाए। यह क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा सकता था। अमेरिका भारत के साथ बहुत जल्द एक समझौता करने वाला है। किसी भी तरह का तनाव भारत में निवेश के माहौल को बिगाड़ सकता था।
ट्रंप ने बताया, ‘अमेरिका की मध्यस्थता में पूरी रात चली बातचीत के बाद मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान तत्काल और पूर्ण संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं।’