भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) होने से शराब चाकलेट्स और बिस्कुट जैसी चीजें सस्ती हो सकती हैं! इस डील से भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा जिससे गारमेंट लेदर और आईटी सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। जानिए इस समझौते से किसानों युवाओं और कारोबारियों को क्या फायदे होंगे और भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर पड़ेगा।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। वर्ष 2022 से ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) को लेकर चल रही वार्ता की सफल समाप्ति से जल्द ही शून्य व अति मामूली शुल्क के साथ भारतीय निर्यात के लिए एक और विकसित देश का दरवाजा खुल जाएगा। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार यूएई और आस्ट्रेलिया के साथ एफटीए करने में सफल रही है।
ब्रिटेन के साथ एफटीए पर अमल से गारमेंट, लेदर, जेम्स व ज्वेलरी, इंजीनियरिंग गुड्स, हैंडीक्राफ्ट्स, खिलौना जैसे रोजगारपरक सेक्टर के निर्यात में बढ़ोतरी होगी, जिससे भारत में मैन्यूफैक्चरिंग के साथ रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
एफटीए में सर्विस सेक्टर को शामिल करने से आइटी सेक्टर के निर्यात में बढ़ोतरी के साथ दोनों देशों के प्रोफेशनल्स को भी एक-दूसरे देश में कारोबार करने का मौका मिलेगा। इनमें शिक्षक से लेकर वित्तीय सेवाएं, योग प्रशिक्षक और कुक जैसे प्रोफेशनल्स शामिल होंगे।
ये चीजें भारत में होंगे सस्ते
एफटीए से ब्रिटेन की शराब, चाकलेट्स, बिस्कुट और मांस जैसै कई खाद्य आइटम भारत में सस्ते हो जाएंगे, क्योंकि एफटीए में ब्रिटेन की इन वस्तुओं पर शुल्क कम करने पर सहमति बन गई है। ब्रिटिश आटोमोबाइल सेक्टर को भी शुल्क में राहत दी गई है।
भारत के रोजगारपरक सेक्टर से जुड़ी वस्तुओं के निर्यात पर अब ब्रिटेन में कमोवेश कोई शुल्क नहीं लगेगा, जिससे भारतीय वस्तुएं अन्य देशों की तुलना में वहां काफी सस्ती हो जाएंगी। वित्त वर्ष 2024 में ब्रिटेन और भारत के बीच 21.34 अरब डालर का वस्तु व्यापार किया गया था। अगले पांच साल में इस व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य है। ब्रिटेन सरकार ने 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार 100 अरब डालर करने का लक्ष्य रखा है।
भविष्य निधि के मद में होने वाली कटौती से मिलेगी राहत
दूसरी तरफ भविष्य निधि के मद में ब्रिटेन में काटी जाने वाली राशि उस कर्मचारी के भारत लौटने पर वापस नहीं मिलती है। अब तीन साल के लिए ब्रिटेन जाने वाले कर्मचारियों को इस कटौती से राहत मिल जाएगी।इससे देश के किसान, मछुआरे, कामगार, एमएसएमई, स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स को मदद मिलने के साथ भारत को वैश्विक आर्थिक पावरहाउस बनने में भी मदद मिलेगी। वैश्विक सप्लाई चेन में भारत एक प्रमुख भागीदार के रूप में उभरेगा।-पीयूष गोयल, वाणिज्य और उद्योग मंत्री
एफटीए से भारत के अपैरल, लेदर जैसे कई आइटम अब ब्रिटेन के बाजार में बांग्लादेश और वियतनाम का आसानी से मुकाबला कर सकेंगे। शुल्क में पूरी छूट से भारत के हर सेक्टर के निर्यात को इस एफटीए से प्रोत्साहन मिलेगा। ट्रंप की शुल्क नीति की वजह से कारोबारी रूप से वैश्विक अनिश्चितता के इस माहौल में इस एफटीए को दोनों देशों के लिए काफी अहम माना जा रहा है। -एससी रल्हन, प्रेसिडेंट, फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस
दुनियाभर में 350 एफटीए लागू
मुक्त व्यापार समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच एक व्यवस्था है, जिसके तहत वे अपने बीच व्यापार वाली अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क को या पूरी तरह समाप्त करने या कम करने पर सहमत होते हैं। दुनियाभर में वर्तमान में 350 से अधिक एफटीए लागू हैं और अधिकांश देशों ने एक या अधिक ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।इन समझौतों का वर्णन करने के लिए कभी-कभी एफटीए, पीटीए या आरटीए जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है। डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) सभी प्रकार के अधिमान्य आर्थिक संबंधों को दर्शाने के लिए संक्षिप्त नाम आरटीए (क्षेत्रीय व्यापार समझौता) का उपयोग करता है। कुल 166 सदस्यों वाला जिनेवा स्थित यह संगठन निर्यात और आयात से संबंधित मुद्दों के लिए वैश्विक निगरानी संस्था है।
भारत 1995 से इसका सदस्य है। यदि दो या दो से अधिक देश वस्तुओं पर शुल्क कम करने या समाप्त करने के लिए सहमत होते हैं, तो इसे तरजीही व्यापार समझौता (पीटीए) या अर्ली हार्वेस्ट स्कीम (भारत-थाइलैंड) कहा जाता है।भारत ने श्रीलंका, भूटान, थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, आस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, मारीशस, 10 देशों के समूह आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) और चार यूरोपीय देशों के समूह ईएफटीए (आइसलैंड, लीश्टेंस्टाइन, नार्वे और स्विट्जरलैंड) के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
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