नई दिल्ली: नॉमिनल जीडीपी के आधार पर देखें तो अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है जबकि चीन दूसरे, जर्मनी तीसरे, जापान चौथी और भारत पांचवें नंबर पर है। लेकिन पीपीपी आधार पर देखें तो चीन पहले नंबर पर है। ग्लोबल इकॉनमी में इसकी 19.29 फीसदी हिस्सेदारी है। अमेरिका 14.84 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दूसरे और भारत 8.49 फीसदी के साथ तीसरे नंबर पर है। रूस की ग्लोबल इकॉनमी में हिस्सेदारी 3.49 फीसदी, जापान की 3.31 फीसदी, जर्मनी की 3.02 फीसदी और इंडोनेशिया की 2.44 फीसदी हिस्सेदारी है। इस लिस्ट में ब्राजील 2.39 फीसदी के साथ आठवें, फ्रांस 2.19 फीसदी के साथ नौवें और ब्रिटेन 2.16 फीसदी के साथ दसवें नंबर पर है।इसके बाद इटली, तुर्की, मेक्सिको, दक्षिण कोरिया, स्पेन, कनाडा, मिस्र और सऊदी अरब का नंबर है। इन देशों की पीपीपी आधार पर वर्ल्ड इकॉनमी में एक फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF के मुताबिक पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान, थाईलैंड, बांग्लादेश, ईरान, वियतनाम, पाकिस्तान और नाइजीरिया की हिस्सेदारी एक फीसदी से कम है। IMF के मुताबिक 2029 तक चीन की हिस्सेदारी बढ़कर 19.64 फीसदी पहुंचने का अनुमान है जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी घटकर 14.26 फीसदी रह जाएगी। इसी तरह भारत की हिस्सेदारी बढ़कर 9.66 फीसदी पहुंचने की संभावना है।
भारत बनाम चीन
1980 में पीपीपी आधार पर दुनिया की इकॉनमी में अमेरिका की हिस्सेदारी 21.58 फीसदी थी जबकि चीन की हिस्सेदारी 2.05 फीसदी थी। उस समय भारत की हिस्सेदारी 2.77 फीसदी थी। यानी तब भारत चीन से कहीं आगे था। लेकिन उसके बाद चीन ने उड़ान भरी। 1990 में भारत की हिस्सेदारी 3.47 फीसदी थी जबकि चीन 3.63 फीसदी पर पहुंच गया। साल 2000 में चीन की हिस्सेदारी 6.55 फीसदी पहुंच गई जबकि भारत की 4% पहुंच पाई। 2010 में चीन 12.55 फीसदी पर पहुंच गया जबकि भारत की हिस्सेदारी 5.39 फीसदी थी। 2020 आते-आते चीन अमेरिका से आगे निकल गया और उसकी हिस्सेदारी 18.36 पहुंच गई। अमेरिका की घटकर 15.35 फीसदी रह गई।