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Indigo Crisis:भारत के विमानन इतिहास में इंडिगो जैसा संकट पहली बार; छह दिनों में 7 लाख से अधिक यात्री बेहाल – India’s Largest Aviation Crisis: Indigo Breakdown Disrupts Travel For Over 700,000 Passengers

Byadmin

Dec 7, 2025



भारत में इंडिगो एयरलाइन का जो अभूतपूर्व ऑपरेशनल पतन दो दिसंबर से सात दिसंबर के बीच सामने आया, वह वैश्विक विमानन इतिहास में एक दुर्भाग्यपूर्ण, दुर्लभ और चौंका देने वाली घटना है। इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन (आईसीएओ), इंटरनेशनल एयर ट्रैफिक ऑर्गेनाइजेशन (आईएटीओ) और एशिया पैसिफिक रीजनल ऑफिस की शुरुआती रिपोर्ट इस संकट को पूरा सिस्टम फेल होने की श्रेणी में रखती हैं, जो अब तक किसी देश में प्राकृतिक आपदा को छोड़कर शायद ही कभी देखने को मिला हो। इस अवधि में छह से सात लाख यात्री पूरे देश के हवाईअड्डों पर बिना सूचना, बिना सहायता और बेहद दयनीय परिस्थितियों में फंसे रहे। न एयरलाइन के अधिकारी सामने आए, न नियामक एजेंसियों ने दिशा दिखाई और न सरकार ने राहत की ठोस व्यवस्था की। इस सामूहिक चूक ने हवाई यात्रा को एक ऐसी अराजकता में बदल दिया जिसमें किसी की परीक्षा छूट गई, किसी की शादी, किसी का इंटरव्यू और किसी का जीवन बचाने वाला इलाज।

रिपोर्ट्स के अनुसार यह एक ऐसा ब्लैकआउट रहा जिसने सिर्फ घनघोर लापरवाही की वजह से भारत की विमानन व्यवस्था की नींव हिला दी। इंडिगो के संचालन पतन की शुरुआत दो दिसंबर की सुबह दिखी, जब कई हवाईअड्डों पर अचानक बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द और अनिश्चितकाल के लिए विलंबित होने लगीं। अगले कुछ ही घंटों में यह संख्या सैकड़ों में पहुंच गई और तीन दिनों के भीतर परिस्थितियां इतनी विकराल हो गईं कि आईसीएओ ने अपने आकलन नोट में इस स्थिति को अभूतपूर्व स्तर का परिचालन पतन कहा। छह दिनों में रद्द हुई उड़ानों की कुल संख्या दो हजार से अधिक रही, जबकि चार हजार से अधिक उड़ानें लंबी देरी से चलीं। यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है। इसी अवधि में देश के लगभग हर बड़े हवाईअड्डे पर यात्रियों का औसत प्रतीक्षा समय चौदह से तीस घंटे के बीच दर्ज किया गया। कई टर्मिनल पर भोजन और पानी की कमी से यात्री परेशान और बेहाल नजर आए। बच्चे विलख रहे थे और महिलाओं की आंखों में गम और गुस्से के आंसू थे। रात में रुकने की कोई व्यवस्था न होने के कारण हजारों यात्रियों को फर्श पर सोना पड़ा।




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India’s Largest Aviation Crisis: IndiGo Breakdown Disrupts Travel for Over 700,000 Passengers

इंडिगो के उड़ान रद्द
– फोटो : amarujala.com


सबसे चिंताजनक बात यह रही कि एयरलाइन ने न कोई स्पष्ट प्रेस ब्रीफिंग की, न ही यात्रियों को यह बताया कि स्थिति कब सामान्य होगी। सूचना मॉनिटर लगातार देर और रद्द के बीच बदलते रहे, लेकिन स्थिति की जड़ में क्या समस्या है, यह जानने का बुनियादी अधिकार होने के बावजूद किसी यात्री को स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। यात्रियों विशेषकर बुजुर्गों, महिलाओं और छोटे बच्चों में तनाव और असुरक्षा का भाव लगातार बढ़ता गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इंडिगो के तेज विस्तार, सीमित क्रू बफर, अत्यधिक सघन टाइम-टेबल और नियामक ढील ने मिलकर एक ऐसा दबाव तैयार किया, जो अंततः सिस्टम को तोड़ गया।

मौन, भ्रम और जवाबदेही का अभाव

रिपोर्ट के अनुसार इस बड़े पैमाने के संकट का सबसे हैरान करने वाला पहलू था सरकार और नियामक संस्थाओं की बेहद धीमी प्रतिक्रिया। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दो संक्षिप्त बयान जारी किए, जिनमें केवल इतना कहा गया कि स्थिति की निगरानी की जा रही है और यात्रियों से धैर्य रखने का आग्रह किया गया है। इस संकट का पैमाना और उसके मानवीय प्रभाव इतने विशाल थे कि विशेषज्ञों ने इसे उड्डयन क्षेत्र के लिए नेशनल-लेवल इमरजेंसी मानने की मांग की, लेकिन सरकार ने इसे सामान्य परिचालन अव्यवस्था के दायरे में ही रखा। नियामक संस्था डीजीसीए ने एयरलाइन से रिपोर्ट मांगी, पर रिपोर्ट की समय सीमा और जांच के दायरे को लेकर भी अस्पष्टता रही।


India’s Largest Aviation Crisis: IndiGo Breakdown Disrupts Travel for Over 700,000 Passengers

इंडिगो की फ्लाइट (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : ANI


बेबसी की अनगिनत कहानियां

इस संकट की सबसे मार्मिक और निर्णायक तस्वीर वे लोग हैं जिनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षण इस अव्यवस्था में छिन गए। कई छात्रों ने बताया कि वे प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सके, जिनके लिए वे पूरे वर्ष तैयारी करते रहे थे। एक छात्रा ने कहा कि उसकी परीक्षा साल में केवल एक बार होती है और फ्लाइट के रद्द होने से उसका पूरा वर्ष दांव पर लग गया। शादियों में शामिल होने जा रहे परिवारों की स्थिति भी कम दारुण नहीं थी। मध्यप्रदेश के एक परिवार ने कहा कि उनकी बेटी की विदाई हो रही थी और वे एयरपोर्ट पर फंसे रह गए। कुछ लोगों ने बताया कि शादी स्थगित करने का निर्णय लेना पड़ा, क्योंकि रिश्तेदारों का आधा हिस्सा अभी भी अलग-अलग शहरों के एयरपोर्ट पर है।

कितनों की नौकरी छूट गई

पेशेवर और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह संकट और भी भीषण साबित हुआ। हैदराबाद, मुंबई और बंगलूरू में सैकड़ों युवाओं के इंटरव्यू और नियुक्ति तिथि छूट गईं। एक यात्री ने कहा कि उसकी बहुराष्ट्रीय कंपनी में जॉइनिंग का आखिरी दिन था और वह केवल इसलिए नौकरी से वंचित हो गया, क्योंकि एयरलाइन ने वैकल्पिक यात्रा उपलब्ध कराने से हाथ खड़े कर दिए।


India’s Largest Aviation Crisis: IndiGo Breakdown Disrupts Travel for Over 700,000 Passengers

इंडिगो एयरलाइंस के संचालन में दिक्कतों का असर यात्रियों पर भी पड़ा।
– फोटो : PTI/Amar Ujala


मरीज भी समय पर नहीं पहुंच पाए

सबसे गंभीर असर उन मरीजों पर पड़ा जिन्हें बड़े शहरों के अस्पतालों में जांच, सर्जरी या कीमोथेरेपी के लिए पहुंचना था। एशिया-पैसिफिक रीजनल ऑफिस की रिपोर्ट में दर्ज है कि लगभग 500 से अधिक मरीज महत्वपूर्ण चिकित्सा अपॉइंटमेंट तक नहीं पहुंच पाए। कई अस्पतालों ने पुष्टि की कि सर्जरी की तारीखें अगले महीने तक खिसकानी पड़ीं। कोलकाता की एक महिला ने कहा कि उसका कीमो सेशन था और एयरलाइन ने उसे केवल एक वाक्य कहा, कल देखेंगे।

भारत की विमानन प्रतिष्ठा पर दीर्घकालिक खतरा

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इस संकट को केवल एक एयरलाइन का परिचालन पतन नहीं मानते, बल्कि भारत के संपूर्ण विमानन ढांचे में गहरे संरचनात्मक दोष का संकेत बताते हैं। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार है, लेकिन संकट-प्रबंधन, क्रू-स्ट्रक्चर, आपात समन्वय और नियामक प्रतिक्रिया के स्तर पर यह घटना दर्शाती है कि देश इस पैमाने के किसी भी ऑपरेशनल झटके के लिए तैयार नहीं है। आईसीएओ के वरिष्ठ सलाहकारों का कहना है कि इस प्रकार की विफलता भविष्य में भारत के एयर सेफ्टी ऑडिट को प्रभावित कर सकती है।


India’s Largest Aviation Crisis: IndiGo Breakdown Disrupts Travel for Over 700,000 Passengers

इंडिगो की उड़ानें रद्द होने से हवाई अड्डों पर अफरा-तफरी।
– फोटो : PTI/अमर उजाला


राष्ट्रीय अलार्म

इंडिगो संकट ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत के विमानन क्षेत्र में अब सामान्य सुधार की गुंजाइश नहीं रह गई है। यह घटनाक्रम केवल एक एयरलाइन की असफलता नहीं, बल्कि उस पूरे तंत्र की नाकामी है जिस पर करोड़ों नागरिकों की आवाजाही, कारोबार और जीवन निर्भर करता है। यदि इस पर त्वरित, निर्णायक और दीर्घकालिक कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले समय में भारत का आसमान उतना सुरक्षित और भरोसेमंद नहीं रहेगा, जितना एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के लिए आवश्यक है।


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