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Iran China J-10c Fighter Jet Deal,राफेल से टकराने वाला J-10C फाइटर जेट खरीद सकता है ईरान, इजरायल से युद्ध में खत्म हो चुकी है वायुसेना, चीन की शरण में पहुंचा! – iran may buy j-10c fighter jet from china to counter israel air force f-35 aircraft after battle with israel

Byadmin

Jun 28, 2025


तेहरान/बीजिंग: इजरायल ने ईरान के दशकों पुराने एयरफोर्स को 12 दिनों तक चले युद्ध में खत्म कर दिया है। इजरायली लड़ाकू विमानों ने चुन-चुनकर ईरानी लड़ाकू विमानों को खत्म किया है। ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम और रडार सिस्टम खत्म हो चुके हैं। इजरायल ने ईरान के बेहद कमजोर रडार यूनिट्स को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। जिसके बाद ईरान अब नये सिरे से अपनी वायुसेना का निर्माण कर सकता है और इसमें वो चीन की मदद लेने पर विचार कर रहा है। रूस से ईरान की Su-35 की डील पहले ही फेल हो चुकी है, ऐसे में ईरान के पास चीन के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता है। ऐसे में ईरान, चीन से J-10C फाइटर जेट खरीदने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। ईरान इस सौदे के जरिए ना सिर्फ अपने एयरफोर्स को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, बल्कि अगर ये सौदा होता है तो ये एक बड़ा जियो-पॉलिटिकल संकेत होगा और इससे फारस की खाड़ी में चीन की धमक तेजी से बढ़ेगी।

ईरान के खुरासान अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान क्षेत्रीय तनाव को देखते हुए अपने जीर्ण-शीर्ण एयरफोर्स बेड़े को आधुनिक बनाने के लिए चीन की तरफ झुक गया है। अखबार ने बताया है कि ईरानी एयरफोर्स हताश है और उसे चीनी मदद की सख्त जरूरत है। ईरान की वायु सेना, जिसे आधिकारिक तौर पर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान एयर फोर्स (IRIAF) के नाम से जाना जाता है, उसके पास ऑपरेशनल पॉवर नहीं है। इजरायल के साथ युद्ध में ईरान सिर्फ और सिर्फ अपनी लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों पर ही निर्भर था, जबकि इजरायल लगातार अपने फायरट जेट्स से ईरान के अंदर से ईरानी ठिकानों पर हमले कर रहा था। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज द्वारा प्रकाशित मिलिट्री बैलेंस 2025 के मुताबिक हाल के संघर्ष से पहले ईरान की वायु सेना के पास करीब 150 लड़ाकू जेट थे, लेकिन उनमें से ज्यादातर बीते युग के अवशेष हैं।

ईरान अपनी वायुसेना को बनाएगा आधुनिक
ईरान की वायुसेना आज भी अमेरिकी मूल के 1970 के दशक के विमानों पर निर्भर है। 64 F-4 फैंटम II, 35 F-5 टाइगर II, और 41 F-14A टॉमकैट्स उसकी रीढ़ हैं। इनमें से कई विमान उड़ने की हालत में भी नहीं हैं। 1980 के दशक में आए कुछ मि-29 भी ईरान के पास हैं, लेकिन स्पेयर पार्ट्स और तकनीकी सपोर्ट की भारी कमी के चलते ये भी बेकार हो चुके हैं। 13 जून 2025 से शुरू हुए युद्ध में ईरान ने माना कि उसकी एयरफोर्स का 30% हिस्सा निष्क्रिय हो गया है। इसके अलावा, Bavar-373 जैसे स्वदेशी सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम, इजरायल की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और स्टील्थ क्षमताओं के आगे पूरी तरह नाकाम रहे।

जबकि J-10C, जिसे चीन में “Vigorous Dragon” कहा जाता है, उसके बारे में चीन दावा करता है कि ये एक 4.5-जनरेशन का मल्टीरोल फाइटर जेट है। अपनी डिजाइन डेल्टा विंग और कैनार्ड्स के साथ ये लड़ाकू विमान हवा में गोते लगाने में माहिर है। इसमें KLJ-7A AESA रडार है, जो पुराने मैकेनिकल रडार की तुलना में कई गुना ज्यादा सटीक और तेज है। इसका सबसे बड़ा हथियार PL-15 मिसाइल है जिसकी रेंज 200 किमी से ज्यादा मानी जाती है। यह विमान SEAD और DEAD ऑपरेशनों में भी सक्षम है, यानी दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को नष्ट करने में अहम भूमिका निभा सकता है। अगर ईरान J-10C फाइटर जेट खरीदता है, तो ये लड़ाकू विमान PL-15 मिसाइल और AESA रडार की मदद से इजरायल के विमानों को दूर से ट्रैक और इंटरसेप्ट कर सकता है। हालांकि इसके बाद भी, ईरान सिर्फ 36 J-10C लड़ाकू विमान खरीदने पर बात कर रहा है, ऐसे में सिर्फ इतनी संख्या में विमान, ईरान की पूरी वायुसेना की कमजोरियों को नहीं छुपा सकते। इजरायल के पास F-35 जैसे स्टेल्थ प्लेटफॉर्म हैं, जिनसे मुकाबला करना J-10C की औकात के बाहर की चीज है।

ईरान के लिए बेकार ही साबित होंगे J-10C!
ईरान के पास कोई एडवांस लड़ाकू विमान नहीं है और उसके पास एयर डिफेंस का नेटवर्क भी नहीं है। जो भी बचाखुचा था, उसे इजरायल नष्ट कर कुका है। इसके अलावा उसने अभी तक कभी चीनी फाइटर नहीं उड़ाया है। ऐसे में J-10C को अपने एयर फोर्स से इंटीग्रेट करना आसान नहीं होगा। उसे नया सप्लाई चेन, ट्रेन्ड पायलट्स और ग्राउंड मेंटेनेंस इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी। चीन आम तौर पर अपने फाइटर्स के सॉफ्टवेयर को लॉक रखता है, जिससे स्थानीय मॉडिफिकेशन मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा ईरान अगर J-10C खरीदता है तो इजरायल चुपचाप नहीं बैठेगा। पहले ही वो अमेरिका से और F-35 के और यूनिट्स मांग रहा है। इसके अलावा ये ध्यान रखना जरूरी है तो इजरायल वही एफ-35 ऑपरेट करता है, तो अमेरिका की वायुसेना करती है। CNN की रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल नई डिलीवरी को लेकर बातचीत कर रहा है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है इस डील से ईरान को नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ चीन को ही फायदा होगा, क्योंकि ईरान के पास अरबों डॉलर नहीं हैं कि वो नये सिरे से अपने एयरफोर्स का विशाल नेटवर्क तैयार कर सके।

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